- बालू माफियाओं पर गंभीर धाराओं में नहीं दर्ज हुआ मुकदमा

- धोखाधड़ी का मामला उजागर होने के बाद भी नहीं लगाई गई धाराएं

- एसएसपी ने छापेमारी कर 35 बालू माफियाओं पर दर्ज कराया था केस

PATNA : पटना पुलिस की चूक से बालू माफियाओं पर शिकंजा ढीला पड़ गया है। एक के बाद एक माफिया जेल से बाहर आ रहा है। पुलिस अगर जमानत का विरोध करती तो शायद माफिया इतनी जल्दी बाहर नहीं आ पाते। जानकारों की मानें तो मुकदमा दर्ज करने में भी पुलिस से कहीं न कहीं चूक हुई है। मामला अवैध खनन के साथ धोखाधड़ी का है लेकिन धाराएं नहीं लगाई गई। ऐसे में पुलिस की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़ा किया जा रहा है। एक तरफ जहां बिहार में बालू माफियाओं के खिलाफ अभियान चल रहा है वहीं तेजी से माफियाओं को जमानत मिलना पुलिस की चूक का नतीजा है।

एसएसपी ने की थी छापेमारी

सरकार बालू के अवैध कारोबार को लेकर गंभीर हुई तो पुलिस भी पूरे फॉर्म में आ गई। हर तरफ छापेमारी चलने लगी। पटना में छापेमारी की कमान एसएसपी मनु महाराज ने संभाली और फ्क् जुलाई को बिहटा के अमनाबाद में बालू के अवैध कारोबार का बड़ा खुलासा करते हुए ख्8 पोकलेन बरामद करते हुए फ्भ् लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस की इस बड़ी कार्रवाई में ख्8 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। पूछताछ के दौरान बालू माफिया गुड्डू का भी नाम सामने आया था जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था।

ऐसे हुआ था खुलासा

एसएसपी मनु महाराज की छापेमारी में बालू के अवैध कारोबार का बड़ा खुलासा हुआ था। इसमें माफियाओं के पास से फर्जी बालू की पर्ची तो बरामद हुई थी साथ ही गाडि़यों के नंबर से भी छेड़छाड़ का भी मामला प्रकाश में आया था। मामला धोखाधड़ी का था इसलिए पुलिस को ब्क्9, ब्ख्0 और ब्म्7, ब्म्8 की धारा में केस दर्ज केस को और मजबूत करना चाहिए था जिससे माफियाओं को जल्दी जमानत नहीं मिलती।

पुलिस कार्रवाई पर सवाल

- एसआईटी ने जब बालू माफियाओं का इतना बड़ा खुलासा किया तो धोखाधड़ी का केस क्यों नहीं दर्ज किया?

- बालू माफियाओं के पास से बरामद पर्ची वैध थी या अवैध?

- छापेमारी के दौरान बरामद गाडि़यों के नंबर से छेड़छाड़ का मामला सामने आने पर क्या कार्रवाई हुई?

- बालू माफियाओं के बेल का विरोध किस तरह से किया गया?

- क्या मामला धोखाधड़ी का नहीं बन रहा था?

- पुलिस ने माफिया गुडडू खान की जमानत पर किस तरह से विरोध किया?

- गुड्डू खान के लिए लगा था जोर मिल गई जमानत

एसएसपी की छापेमारी में गुड्डू का खान का नाम बालू के अवैध कारोबार में सरगना के रूप में सामने आया था। पुलिस ने गिरफ्तार कर उसे जेल भेज दिया था लेकिन वह दो दिन पूर्व जमानत पर बाहर आ गया और किसी को भनक तक नहीं लगी। जानकारों का कहना है कि पुलिस को ऐसे अपराधियों का विरोध करना चाहिए जिनके बाहर आने से समाज को या सरकार को क्षति पहुंचने का खतरा हो। गुड्डू खान के मामले में पुलिस से क्या चूक हुई इसे लेकर सवाल खड़ा किया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि पुलिस के पर्यवेक्षण में देरी होने और मुकदमों में धाराएं गंभीर नहीं होने से माफियाओं को राहत मिल गई है।

अपराधिक मामलों में एके चूक से आरोपियों को राहत मिल जाती है। इसलिए पुलिस को अनुसंधान में प्रतिदिन केस डायरी में इंट्री करनी चाहिए और अरोपियों की गिरफ्तारी कर शीघ्र साक्ष्य इकट्ठाकर चार्जशीट दाखिल करना चाहिए। देरी होने से साक्ष्य उपलब्ध होने में दिक्कत होती है जिससे आरोपियों को राहत मिल जाती है।

- कुमार निखिल, अधिवक्ता

पटना हाईकोर्ट

बालू माफियाओं के खिलाफ पुलिस का अभियान चल रहा है। इसमें किसी भी प्रकार की कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं है। इस अवैध कारोबार में शामिल किसी कीमत पर बच नहीं पाएंगे और इन्हें संरक्षण देने वालों पर भी कार्रवाई की जा रही है।

- नैयर हसनैन खां, जोनल आईजी पटना