पीयू का हिस्सा होते हुए भी पीडब्ल्यूसी अन्य कॉलेजों के मुकाबले अपनी अलग राह रखता आया है। एडमिनिस्ट्रेटिव लाइन पर तो पीडब्ल्यूसी अलग है ही, स्टूडेंट्स मैटर में भी कोई मर्सी नहीं होती। कॉलेज में मनमानी फीस ली जाती है और एडमिनिस्ट्रेशन मनमाना रवैया रखता है। इसके कई उदाहरण सामने आए हैं।

नुकसान स्टूडेंट्स को ही

वैसे तो अर्से से ये मामले चले आ रहे हैं, लेकिन अब पीयू एडमिनिस्ट्रेशन को यह खटकने लगा है। कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन और पीयू एडमिनिस्ट्रेशन फिलहाल टकराव की स्थिति में है। हालांकि यह टकराव नुकसान करने जा रहा स्टूडेंट्स को ही। फंड इश्यू सबमिट करने के इश्यू पर शो-कॉज नोटिस के बाद भी कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन अड़ा है, तो पीयू एडमिनिस्ट्रेशन ने स्टूडेंट्स का रिजल्ट रोकने की धमकी दे दी है।

हर साल का यही रवैया

पटना यूनिवर्सिटी में किसका हुक्म चलता है, किसके आदेश पर काम होता है इससे पटना वीमेंस कॉलेज को कोई फर्क नहीं पड़ता। हर साल सेशन शुरू होने के ठीक पहले यह मामला उठता है, क्योंकि सेशन की शुरुआत से ही पीडब्ल्यूसी की राह अलग होती है। नेक्स्ट सेशन में एडमिशन पीयू एडमिनिस्ट्रेशन ने भले ही मई में शुरू करने का ऐलान किया था, पर इस बार भी पीडब्ल्यूसी ने सेपरेट डेट्स दे दी।

अब नहीं चलेगी मनमानी

इस बार मामला उलटा पड़ गया, पीयू एडमिनिस्ट्रेशन ने पीडब्ल्यूसी की मनमानी नहीं मानने का डिसीजन लिया है। पीयू एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा है पीडब्ल्यूसी एडमिशन से लेकर दूसरे फीस के मामले तक, अगर पीयू के रूल्स फॉलो नहीं करेगा, तो उनके कोर्सेज की रिजल्ट रोक दी जाएगी।

बस पीडब्ल्यूसी असहमत

पीयू के सभी कॉलेज एक साथ फार्म रिलीज करने की बात पर सभी कॉलेज राजी हो चुके थे लेकिन पीडब्ल्यूसी की बगावत अब यहां के स्टूडेंट्स पर भारी पड़ेगी। पीयू एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि सभी कॉलेजों को एक समान निर्देश दिए गए थे, लेकिन पीडब्ल्यूसी ने इसे फॉलो नहीं किया है।

चलता रहा है अपनी राह

पिछले साल भी बिहार बोर्ड इंटरमीडिएट का रिजल्ट थोड़ी देरी से निकला। तब तक पीयू के कॉलेजों में फॉर्म भरने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी, लेकिन इंटरमीडिएट का रिजल्ट निकलने के बाद पीयू एडमिनिस्ट्रेशन ने डेट्स की एक बार फिर समीक्षा की। सभी प्रिंसिपल्स जुटे, पीयू एडमिनिस्ट्रेशन के सभी ऑफिसर्स मौजूद रहे और डिसीजन लिया गया कि एडमिशन फॉर्म भरने की डेट को बढ़ा दिया, पीडब्ल्यूसी अपनी राह ही चलता रहा।

नाफरमानी का दौर

पीडब्ल्यूसी, पटना यूनिवर्सिटी का एक कंस्टीच्युएंट कॉलेज है, पर यूनिवर्सिटी के कई निर्देश यहां लागू नहीं हो पाए। बीएड इंट्रांस के लिए सेंटर अलॉट करने का मामला हो या फिर कोर्स फीस की हिस्सेदारी, हर डिपार्टमेंट में पीडब्ल्यूसी एडमिनिस्ट्रेशन पीयू एडमिनिस्ट्रेशन के निर्देश को दरकिनार करता आया है। कुछ महीनों पहले यहां राहुल गांधी का प्रोग्राम आयोजित किया गया था, लेकिन पीयू एडमिनिस्ट्रेशन से इसकी कोई परमिशन नहीं ली गयी थी। तत्कालीन वीसी प्रो श्यामलाल और प्रोवीसी प्रो एसआई अहसन ने इस पर ऐतराज भी जताया था, पर पीडब्ल्यूसी एडमिनिस्ट्रेशन की तबियत पर कोई असर नहीं पड़ा।

ली जाती है दोगुनी फीस

पटना यूनिवर्सिटी के छह कॉलेजों में कन्वेंशनल कोर्सेज की पढ़ाई होती है, जिसमें पीडब्ल्यूसी भी एक है। अन्य कॉलेजों और पीडब्ल्यूसी के फी स्ट्रक्चर में जमीन-आसमान का अंतर है। सबसे कम फी है पटना कॉलेज की। पटना कॉलेज के बीए के लिए मैक्सिमम फी है 1653 रुपए, जबकि बीए के लिए ही पीडब्ल्यूसी में 7897 रुपए लगते हैं।

पीयू को भी इकनॉमिकल लॉस

पीयू के सभी कॉलेजों में सभी कोर्सेज के लिए एक ही फीस निर्धारित है। हालांकि कॉलेजों को डेवलपमेंट फंड के नाम पर एक्स्ट्रा फंड लेने की छूट है। इंफ्रास्ट्रक्चर देखते हुए अपने हिसाब से सभी कॉलेज फीस बढ़ाते हैं। इस बढ़ी हुई फीस का 60 परसेंट हिस्सा पीयू एडमिनिस्ट्रेशन को सबमिट होता है, जबकि शेष कॉलेज के डेवलपमेंट पर खर्च करते हैं। इसमें भी पीडब्ल्यूसी द्वारा पीयू एडमिनिस्ट्रेशन को कोई फंड नहीं दिया जाता।

 

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