पटनाइट्स पर 'पड़ोसी प्रेम' हावी

इन दिनों पटना के यूथ पर पाकिस्तानी बालाओं का जादू सिर चढ़ कर बोल रहा है। एफबी पर गर्ल्स की तस्वीर शेयर व पोस्टिंग और कमेंट करना इनके लिए किसी नशे से कम नहीं है। फेसबुक पर शुरुआत सबने की अपने करीबियों से जुडऩे के एक और माध्यम के रूप में, लेकिन थोड़े दिनों में ही यह उससे कहीं आगे निकल गया।

रोज नए बेवजह के एप्लीकेशन और प्रोफाइल्स से जुडऩे की चाह में घंटों फेसबुक के सामने बिताना शुरू हो गया। दूसरे स्टेट्स के मुकाबले बिहार भले ही पिछड़ा हो, किंतु जीडीपी की तरह फेसबुक पर सोशलाइट बनने में बिहारी पीछे नहीं हैं, खासकर पटनाइट्स। रीजन्स तो कई हैं, पर फिलहाल 'पड़ोसी प्रेम' पटनाइट्स पर हावी दिख रहा है।

विदेशी लड़कियों का मायाजाल

फेसबुक हाल के दिनों में बड़ा मीडियम बन चुका है। किसी भी नई बात की शेयरिंग पहले फेसबुक पर ही हो रही है, बाद में वह तमाम जगहों पर फैलती है। फेसबुक पर फ्रेंड्स की पोस्ट लाइक करने या उस पर कमेंट के अलावा हम देश-विदेश में नए दोस्त बनाने की राह पर चल निकले हैं। इस राह को आसान किया है पाकिस्तान, बांग्लादेश से ओरिजिनेटेड प्रोफाइल्स ने।

प्रोफाइल में लगी डिस्प्ले पिक्चर अगर अच्छी हो, तो सभी उसे ऐड करना चाहते हैं। इसी का फायदा उठा कर कुछ पाकिस्तानी लड़कियों की प्रोफाइल इंडियन यूजर्स को टारगेट कर रही हैं। फ्रेंड रिक्वेस्ट भी उन्हीं की ओर से आती है। ऐसे में इंडियन यूजर्स की इंवाल्वमेंट कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है। आज हालात यहां तक आ चुके हैं कि ऑफिस में 12 घंटे देेने के बाद भी फेसबुक पर खूबसूरती निहारने में लोग 1-2 घंटे यूं ही जाया कर देते हैं।

'ना बात, ना मुलाकात'

पाकिस्तानी लड़कियों के प्रोफाइल्स पटनाइट्स ने तो धड़ल्ले से ऐड किया। कोई करांची से है तो कोई इस्लामाबाद से। एड्रेस और इंफॉर्मेशन भी सही मालूम पड़ता है। कंकड़बाग के इंजीनियरिंग स्टूडेंटस रितेश के शब्दों इन्हें जोडऩे से केवल बोल्ड और ब्यूटी देखने को मिलता है, और कुछ नहीं।

इनके बारे में कुछ जानना तो दूर आप पाकिस्तानी सिटीज या सोसाइटी पर भी सवाल पूछेंगे तो ये नहीं बताएंगी। सारी दोस्ती एकतरफा। अलग-अलग पेज और पोस्ट का प्रमोशन ही इनका मकसद होता है। बस यूथ पागलपन में घंटों अपने इन स्पेशल विदेशी दोस्तों के ऑनलाइन होने का इंतजार करते है या फिर उनके पोस्ट या टैग्स पर लाइक या कमेंट ही करते रहते हैं।

एजग्रुप ऑन फेसबुक

इन इंडिया

* 18-24 : 48 परसेंट

* 25-34 : 28 परसेंट

* 13-15 : 7 परसेंट

मेल-फीमेल रेशियो

* मेल : 73 परसेंट

* फीमेल : 27 परसेंट

इन पाकिस्तान

* 18-24 : 50 परसेंट

* 25-34 : 26 परसेंट

* 13-15 : 14 परसेंट

मेल-फीमेल रेशियो

* मेल : 69 परसेंट

* फीमेल : 31 परसेंट

'इंटरनेट जैसी सर्विस के बारे जितनी अच्छाइयां हैं, उतनी ही बुराइयां भी हैं। फेसबुक या दूसरे साइट्स पर तो कई चीजें ओपन हैं। ऐसे में अगर हम खुद ध्यान नहीं देंगे, तो दूसरों से कैसे अच्छा एक्सपेक्ट कर सकते हैं। सोशल नेटवर्किंग साइट्स बुरी नहीं हैं। हां, उनके पीछे का पागलपन बुरा है। लेकिन सोसाइटी बुरी चीजों से ज्यादा इंस्पायर्ड होती है.'

प्रो रणधीर कुमार सिंह

सोशियोलॉजिस्ट