चार फीसद सालाना

रिजर्व बैंक ने तीन मार्च को जारी एक मास्टर सर्कुलर में कहा कि घरेलू बचत खातों पर ब्याज का भुगतान तिमाही आधार पर होना चाहिए। बैंक चाहें तो वे इससे कम अवधि के अंतराल पर भी ब्याज अदा कर सकते हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक जहां चार फीसद सालाना ब्याज अदा करते हैं जबकि प्राइवेट बैंक छह फीसद तक ब्याज दे रहे हैं। रिजर्व बैंक ने 2011 में बैंकों को लघु बचत खाता में जमा राशि पर ब्याज दर तय करने की आजादी दी थी। ब्याज दरों पर नियंत्रण खत्म करने की दिशा में रिजर्व बैंक ने यह आखिरी कदम उठाया था, लेकिन बैंकों पर यह शर्त लागू है कि वे एक लाख रुपये तक की जमाराशि पर सभी खातों में एक समान ब्याज दर अदा करेंगे।

ब्याज दर में अंतर

इससे ज्यादा जमाराशि पर बैंकों को ब्याज दर में अंतर करने की अनुमति है। विश्लेषकों के अनुसार बचत खातों पर कम समय में ब्याज अदायगी से ज्यादा ग्राहकों को लाभ होगा। बैंकों को इस पर ज्यादा पैसा खर्च करना होगा। एक अनुमान के अनुसार अवधि कम होने से बैंकों पर करीब 500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इससे पहले बैंक बचत खातों पर सिर्फ 3.5 फीसद ब्याज देते हैं। वे महीने की दस तारीख से आखिरी तारीख के बीच सबसे कम बैलेंस पर ब्याज देते थे।

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