यूं ही नही बेहाल
चाहे जिस घर में चले जाए, जिस नुक्कड़ पर खड़े हो जाए महंगाई का रोना रोते लोग जरुर मिल जाएंगे। पर ये उनकी आदत नही बल्कि मजबूरी है। स्टेट में मिनरल्स की जितनी प्रचुर मात्रा है। महंगाई के मामले में भी राज्य उतना ही धनी है। कमी है तो सिर्फ इंकम की। पर कैपीटा इंकम के मामले में स्टेट देश के बॉटम फाइव राज्यों में शुमार है। 2012-13 के दौरान कंट्री में पर कैपीटा इंकम (करेंट प्राइसेज) 68 हजार 747 रुपया थी, वहीं झारखंड में इस दौरान पर कैपीटा इंकम सिर्फ 43 हजार 384 रुपया रहा। बात अगर ग्र्रोथ रेट की हो तो यहां भी स्टेट बॉटम लिस्ट में ही शामिल नजर आता है। 2005-06 से 2011-12 के दौरान कंट्री का ग्र्रोथ रेट जहां 8.3 परसेंट रहा वहीं झारखंड में ये रेट महज 5.1 परसेंट रहा। पड़ोसी राज्य बिहार और छत्तीसगढ़ 11.3 और 9.2 परसेंट ग्र्रोथ रेट के साथ इस दौैरान झारखंड से काफी आगे रहे। पर इंकम और ग्र्रोथ रेट के मामले में झारखंड भले ही बॉटम लिस्ट में नजर आने वाला झारखंड महंगाई के मामले में टॉप पर नजर आता है।

आसमान छू रहा inflation
 झारखंड इंफ्लेशन के मामले में  ज्यादातर राज्यों को पीछे छोड़ दिया है.  हाल ही में जारी हुए कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) के अनुसार नवंबर महीने इंफ्लेशन रेट 11.24 परसेंट रहा वही झारखंड में ये रेट 15.5 परसेंट रहा है। नेशनल लेवल पर सीपीआई जहां 139.5 है, वहीं झारखंड में सीपीआई देश में सबसे ज्यादा 144.9 है।

Policies में सुधार की है जरूरत
रिजर्व बैैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने हाल ही में दिए अपने एक बयान में डिफरेंट स्टेट्स के एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केटिंग एक्ट्स (एपीएमसी) को हाई फूड इंफ्लेशन के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि स्टेट्स के एपीएमसी एक्ट की वजह से वेजिटेबल्स का डिस्ट्रीŽयूशन कॉल्स हाई हो जाता है। इकोनॉमिस्ट डॉ रमेश शरण भी इसमें सुधार की जरूरत बता रहे हैं। उन्होंंने कहा कि कोल्ड स्टोरेज और वेयरहाउसेज की कमी की वजह से बड़ी मात्रा में वेजिटेबल जैसे एग्रीकल्चरल प्रोडक्ट दूसरे राज्यों में भेज दिए जाते हैैं। जिसकी वजह से यहां कीमतें नही घटती। कई बार अवेलिबिलिटी के बावजूद कीमतें घटती नहीं। ऐसे में जरूरी है कि सरकार द्वारा इस दिशा में कदम उठाए जाए।

जर्जर road एक बड़ा कारण
एक्सएलआरआई के इकोनॉमिक्स के प्रोफसर और एन्टरप्रेन्योर डेवलपमेंट कमिटी के चेयरपर्सन प्रो प्रवाल कुमार सेन स्टेट में बढ़ते इंफ्लेशन के लिए गवर्नमेंट पॉलिसीज और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैैं। प्रो सेन ने कहा कि स्टेट में महंगाई बढऩे का सबसे इंपोर्टेंट रीजन ट्रांसपोर्ट कॉस्ट, इंटरमिडिएशन कॉस्ट और होर्डिंग है। उन्होंने कहा कि ट्रांसपोर्टेशन की सही फैसिलिटी ना होने की वजह से सŽिजयों से लेकर दूसरे फूड आइटम्स के कॉस्ट में इजाफा होता है। स्टेट में सडक़ों की हालत देखते हुए ये महंगाई का एक बड़ा रीजन है। यहां इंटरमीडियरिज की संख्या भी ज्यादा है। जिसकी वजह से कंज्यूमर तक पहुंचते-पहुंचते किसी भी प्रोडक्ट का प्राइस काफी बढ़ जाता है। स्टेट में गवर्नमेंट द्वारा होर्डिंग पर लगाम लगाने के भी प्रयास नही किए जाते जिसकी वजह से आर्टिफिशियल क्राइसिस पैदा होती है। यह भी प्राइस बढऩे का एक बहुत बड़ा कारण है।

'इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार जरुरी है। स्टोरेज की सही व्यवस्था ना होने की वजह से कई बार एग्र्रीकल्चरल प्रोडक्ट्स बाहर भेज दिए जाते हैं, जिसकी वजह से कीमतें कम नहीं होती.'
-डॉ रमेश शरण, इकोनॉमिस्ट

'महंगाई बढ़ाने में ट्रांसपोर्ट कॉस्ट, इंटरमीडिएशन कॉस्ट और होर्डिंग का अहम रोल है। सरकार को अपनी पॉलिसीज में सुधार करने चाहिए और होर्डिंग जैसी चीजों पर लगाम लगाने के लिए प्रयास करने चाहिए.'
-प्रो प्रवाल कुमार सेन, प्रोफेसर, इकोनॉमिक्स, एक्सएलआरआई

Report by: abhijit.pandey@inext.co.in