छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : सरकारी अस्पताल में अब गरीबों को वीआइपी इलाज नहीं मिल सकेगा। इसकी अनुमति मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) ने रद्द कर दी है। दरअसल, एमसीआइ की टीम ने अपने निरीक्षण में पाया था कि स्पेशल वार्ड (पेइंग वार्ड) का उपयोग गलत ढंग से किया जा रहा है। इसपर उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए जल्द से जल्द बंद करने का निर्देश दिया था। इसे देखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने अस्पताल के सभी स्पेशल वार्ड को बंद कर दिया है। एमजीएम सूत्रों के अनुसार एमसीआइ की टीम ने मरीजों से मनमानी ढंग से राशि वसूली करने पर नाराजगी जाहिर की थी।

बेड फुल, फर्श पर इलाज

अब सर्जरी वार्ड स्थित स्पेशल वार्ड के सभी मरीजों को जेनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। इससे वार्ड में सभी बेड फुल हो गए है। सर्जरी वार्ड में कुल 80 बेड हैं, लेकिन 90 मरीज भर्ती हैं। इनमें बर्न व सर्जरी के मरीज शामिल हैं। 10 मरीजों का इलाज फर्श पर चल रहा है। बेड कम पड़ जाने से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

जानलेवा हो सकता है क्रास इंफेक्शन

सामान्यत: बर्न के मरीजों को आइसोलेट कर अन्य सभी प्रकार के मरीजों से अलग रखने का प्रॉविजन है। इसकी वजह बर्न के मरीजों को इंफेक्शन का खतरा सबसे अधिक होता है। इसके लिए एयर कंडीशन वार्ड का भी होना जरूरी है। दूसरी तरफ जले हुए मरीजों के संपर्क में आने से दूसरे मरीजों को भी क्रास इंफेक्शन का खतरा रहता है। इसलिए मच्छरदानी के अंदर बर्न के मरीजों को रखा जाता है। इंफेक्शन के मामले में सर्जरी और बर्न के दोनों मरीज संवेदनशील होते हैं।

सात पेइंग वार्ड हैं एमजीएम में

एमजीएम हॉस्पीटल के सर्जरी वार्ड में सात पेइंग वार्ड थे। लेकिन यह आरामगाह में तब्दील हो गया था। इलाज कराने के मकसद से आए मरीज मामूली शुल्क होने से इसका फायदा अनावश्यक लोग उठा रहे थे। पेइंग वार्ड के लिए रोजाना 20 रुपये की राशि जमा करने होते है। इसमें ट्वॉलेट, बाथरूम, अटेंडर के रहने की व्यवस्था, फैन, लाइट सहित अन्य की व्यवस्था है। वहीं साफ-सफाई पर भी विशेष ख्याल रखा जाता है।

पेइंग वार्ड को बंद कर दिया गया है। अब इसका यूज टीचिंग के लिए किया जाएगा। विभागाध्यक्ष अपने अनुसार भी इसका उपयोग कर सकते है। ताकि किसी को परेशानी नहीं हो।

- डॉ। आरवाई चौधरी

सुपरिटेंडेंट, एमजीएम हॉस्पिटल