-एनआरआई समिट खत्म होने के बाद अपने पुराने स्वरूप में लौटने लगा बनारस

-शहर में की गई हरियाली हो रही खत्म, चौराहों पर लगाए गए गमलों व पेड़ों में नहीं पड़ रहा पानी

बनारस में जब भी किसी बड़े आयोजन को करना होता है तो पूरे शहर को चमका कर बदल दिया जाता है। ग्रीनरी के लिए फूल, पौधों से सजा दिया जाता है ताकि आने वाले देशी विदेशी मेहमान यहां की खूबसूरत इमेज देख वाह वाह कर सकें लेकिन आयोजन खत्म होने के बाद जो नजारा अब तक देखने को मिला है वो एक बार भी सामने है। जी हां,पिछले दिनों बनारस में हुए एनआरआई समिट (प्रवासी भारतीय सम्मेलन) में शामिल होने वाले मेहमानों के लिए भी शहर की एक अलग ही छवि तैयार कर दी गई थी। मेहमानों को यह शहर कहीं से खराब न दिखे इसके लिए सरकार ने यहां पैसा पानी की तरह बहाया था, लेकिन उनके जाते ही बनारस अपने पुराने स्वरूप में लौटने लगा है। सड़क के चौराहों और डिवाइडर्स पर लाखों रुपए के पेड़ पौधों से की गई हरियाली खत्म होने लगी है। यहां रखे गमलों में लगे पौधे पानी बिना सूख रहे हैं, लेकिन इसे देखने वाला कोई नहीं है। ऐसी हालत एक दो नहीं करीब-करीब हर उस जगह की है जहां नगर निगम की ओर से गमले और पेड़ लगाए गए हैं।

50 चौराहों की खतरे में हरियाली

सम्मेलन के दौरान नगर निगम के उद्यान विभाग की ओर से मलदहिया, सिगरा, गोदौलिया, लंका, बीएचयू, पांडेयपुर, आशापुर, सारनाथ समेत शहर के करीब 50 प्रमुख चौराहों पर साढ़े नौ हजार गमले और पौधे लगाकर शहर में हरियाली बढ़ाई गई थी। लेकिन आज हालत ये है कि हरियाली बचना तो दूर गमले भी टूटने लगे हैं। कई जगहों के तो गमले गायब भी हो चुके हैं। चौंकाने वाली बात ये भी है कि अधिकारियों को इसकी जानकारी तक नहीं है।

तो कहां जा रहा दो टैंकर पानी?

अधिकारियों की दलील है कि कहीं भी कोई पौधा नहीं सूख रहा है। हर पौधे में रोजाना पानी डाला जाता है। इसके लिए नगर निगम रोजाना दो टैंकर पानी भेजता है। ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि जब निगम पौधों के लिए दो टैंकर पानी भेज रहा है तो वह जा कहां रहा है? अगर वाकई पौधों को पानी मिलता तो शायद उनकी ऐसी हालत नहीं होती। सूत्रों की मानें तो प्रवासी सम्मेलन के दौरान तीन दिनों तक रोजाना पौधों में पानी डाला जाता था, लेकिन उसके बाद से बंद हो गया।

पहले भी हो चुकी है लापरवाही

ऐसा पहली बार नहीं है जब निगम की तरफ से इस तरह की लापरवाही की जा रही है। इससे पहले पिछले साल मार्च में भी पीएम मोदी के साथ बनारस आए फ्रांस के प्रेसिडेंट इमैनुअल मैक्रो के लिए भी शहर में ऐसी ही हरियाली की गई थी। जिसके बाद हजारों गमले गायब हो गए थे। इससे विभाग को लाखों का नुकसान हुआ था।

एक नजर

5,500

पौधे लगाएं गए थे सम्मेलन के दौरान

4,000

गमलों से सजाये गए थे चौराहे

20

लाख के करीब आया था खर्च

50

से ज्यादा चौराहों पर लगाए गए हैं पौधे

वर्जन--

जो चौराहा जाली से कवर्ड या जहां बाउंड्री नहीं है वहां गाड़ी के धक्के से कुछ गमले टूटे हैं। रही बात सूखने की तो इसकी हरियाली के लिए दो टैंकर पानी जाता है। अगर पानी नहीं पड़ रहा है तो इसकी जांच कराई जाएगी।

केएस पांडेय, उद्यान अधीक्षक, नगर निगम