नए-पुराने मुद्दों का काम्बिनेशन था पीसीएस मेंस 2017 निबंध के पेपर में

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भारत में स्मार्ट सिटी का स्वप्न: कल्पना या वास्तविकता। इस सवाल के रहस्य पर तो फैक्ट और फिगर के साथ निबंध लिखते। बदले में उन्हें 50 अंकों में से नंबर मिलते। यह एक पहलू है। दूसरा पहलू यह है कि 'स्वप्न' शब्द का इस्तेमाल स्मार्ट सिटी बनने की राह पर चल रहे इलाहाबाद शहर के लिए ज्यादा प्रासंगिक है। पॉजिटिव और निगेटिव दोनों पहलू एक पखवारे के भीतर ही सामने आ चुके हैं। इसका जवाब तो अब हर इलाहाबादी ढूंढ रहा है कि यह कल्पना है वास्तविकता।

पहला प्रयास हो गया था डिब्बा बंद

कुंभ के शहर प्रयाग को स्मार्ट सिटी बनाने का सपना सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देखा। प्रधानमंत्री बनने के बाद 26 से 30 सितंबर तक पहले अमेरिकी दौरे में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात के बाद भारत के तीन शहरों विशाखापत्तनम, अजमेर और इलाहाबाद को स्मार्ट सिटी के रूप में डेवलप करने की घोषणा की थी। तय किया था कि अमेरिका इस काम में भारत का पूरा सहयोग करेगा। इस सपने को साकार करने के लिए अमेरिकी टीम ने 2015 में कई बार यहां का दौरा किया और संभावनाएं तलाशी। डीपीआर बनाया गया। 2016 आते-आते अमेरिका के साथ मिलकर शहर को स्मार्ट बनाने की सारी संभावनाएं हवा हो गयीं।

दूसरे प्रयास में सिर फुटौव्वल

2015-16 में भारत सरकार ने देश के शहरों पर बढ़ते आबादी के प्रेशर को देखते हुए अगले पांच सालों में (2019-200) देश के 100 शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में डेवलप करने का बीड़ा उठाया। शहरी विकास मंत्रालय ने शहरों का चयन करने के लिए 10 प्वाइंट तय किये। स्मार्ट सिटी बनने की दौड़ में शामिल शहरों के लिए प्रत्येक प्वाइंट पर नंबर तय किये गये। इन प्वाइंट्स पर बनी रैंकिंग से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल होने का मौका मिलना था। इलाहाबाद को सफलता तीसरे प्रयास में मिली और 23 जून 2017 को इसे स्मार्ट सिटी के तौर पर डेवलप करने की घोषणा हुई। इसके लिए पैसा आना शुरू हुआ तो आपस में ही सिर फुटौव्वल की नौबत आ गयी है। आयुक्त और नगर निगम सीधे आमने सामने हैं। शहर का क्या हाल है यह वे छात्र बेहतर बता सकते हैं जिन्होंने पिछले दो दिन स्टेशन, जंक्शन या फिर किसी लॉज में बिताये हैं। इस लिहाज से तो स्मार्ट सिटी 'स्वप्न' ही है।

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स्मार्ट सिटी मिशन को आप क्या मानते हैं कल्पना या वास्तविकता?

सवाल जिसमें से तीन पर निबंध लिखना था

भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों पर बहस क्यों

समाज पर साहित्य का प्रभाव

राष्ट्र निर्माण में नारी की भूमिका

उच्च शिक्षा के क्षेत्र में निजी विश्व विद्यालयों की भूमिका

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की भूमिका

भारत में स्मार्ट सिटी का स्वप्न कल्पना या वास्तविकता

वैश्रि्वक पर्यावरण परिवर्तन: पृथ्वी के लिए गंभीर चेतावनी

भारत के सम्मुख संकट: नैतिक या आर्थिक

भारत की सीमावर्ती समस्याएं और निदान

(नोट: अभ्यर्थी जवाब हिंदी, अंग्रेजी या ऊर्दू किसी भी भाषा में लिखने को स्वतंत्र थे)

150

अंकों का होता है निबंध का प्रश्न पत्र

03

खंडों में विभाजित होता है पूरा पेपर

50

अंक निर्धारित होते हैं प्रत्येक प्रश्न पत्र के लिए

700

शब्दों की लिमिट में देना होता है जवाब

03

घंटे मिलते हैं परीक्षार्थी को जवाब लिखने के लिए