- कई जगह बाघ दिखने की सूचना से हड़कंप

- वन विभाग की टीम को मंडे को बाघ के पगमा‌र्क्स तक नहीं मिले

- कई गांवों में फैली दहशत, अकेले नहीं निकल रहे हैं लोग

LUCKNOW: साड़ ने गाय को दौड़ाया तो लोग चिल्ला उठेभागो बाघ आया। लोग गाय को बचाने के लिए दौड़ पड़े। आनन-फानन में बाघ की टीम भी मौके पर पहुंची। बाघ की तलाश की गई लेकिन उसके पगमा‌र्क्स तक नहीं मिले। पता चला कि गाय को एक बाघ ने दौड़ा लिया। सोमवार को न तो कहीं बाघ दिखा और न ही उसके पगमा‌र्क्स मिले। लेकिन, कई इलाकों में लोगों ने बाघ देखने की बात कही। कभी इस गांव में तो कभी उस गांव में बाघ के देखे जाने की खबर आती रही।

लखनऊ से सटे कई गावों में बाघ की दहशत फैली हुई है। हर आहट पर बाघ के आने का खौफ मन में घर कर जा रहा है। वहीं, वन विभाग ने बाघ की तलाश के लिए चार टीमें बनाई हैं लेकिन उन्हें बाघ मिलना तो दूर रहा, उसकी लोकेशन तक नहीं तलाश पा रहे हैं। सोमवार को वन विभाग की टीम ने कई इलाकों में छानबीन की। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि सुबह सबसे पहले यह सूचना मिली कि लखनऊ सदर सन्यासी बाग के पास बाघ को देखा गया है। इस पर देवेश प्रसाद के दिशा-निर्देश में बाघ की तलाश कर रही टीम मौके पर पहुंची लेकिन वहां कुछ भी ऐसा नहीं मिला।

दो दिन पहले दिखे थे निशान

इसके अलावा दो दिन पहले रहमान खेड़ा इलाके में बाघ की टीम के पगमा‌र्क्स मिले थे। वहां पर भी सोमवार को वन दारोगा सुरेश मिश्र की देखरेख में अभियान चलाया गया। मगर कोई सफलता नहीं मिली। मलिहाबाद में मोहम्मडन टोला इलाके में रविवार की रात हसन यहां बनी मस्जिद में नमाज पढ़ने के बाद घर जा रहे थे तो उन्होंने शोर मचाया। लोगों की भीड़ जुट गई। देर रात तक लोग हाथों में मशाल और टॉर्च लेकर बाघ तलाशते रहे। हसन के अनुसार घर लौटते समय उन्होंने बाघ को देखा। यहां पर भी वन विभाग की टीम ने क्षेत्रीय वनाधिकारी केके उपाध्याय की देखरेख में निरीक्षण किया लेकिन बाघ के बारे में कोई सुराग नहीं मिला। खास बात तो यह है कि गुड़वा गांव में एक गाय दौड़ रही थी तभी लोग चिल्ला उठे कि बाघ आ गया। यहां भी वन विभाग की टीम पहुंची। यहां पर लक्ष्मीदेवी ने बताया कि गाय उनकी है और उसे साड़ ने दौड़ा लिया था। विभागीय अधिकारियों के अनुसार काकोरी, मडि़यांव, गोधन, मुंशी खेड़ा, गोपरा मऊ, पुलवा, बहरौरा, रहमान खेड़ा समेत कई गावों में बाघ की दहशत फैली हुई है।

बाघ की तलाश के लिए चार टीमें बनाई गई हैं। देवेश प्रसाद, सुरेश मिश्रा, केके उपाध्याय और शकील अहमद इन टीमों को नेतृत्व कर रहे हैं। बाघ की लोकेशन अभी तक नहीं मिल पा रही है।

एससी यादव

डीएफओ अवध

बदला नजर आ रहा माहौल

बाघ न मिलने से कई गांवों में अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं। प्राथमिक स्कूल जाने वाले बच्चों की संख्या घटती जा रही है। सुबह के समय निकलने वाले लोग गु्रप में चल रहे हैं।