आपका उन लड़ाइयों के बारे में क्या विचार है, जो धर्म के नाम पर लड़ी जाती हैं? आफताब असलम, लखनऊ

धर्म के नाम पर अक्सर तमाम तरह की लड़ाइयां लड़ी जाती हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि वास्तव में वे लड़ाइयां धर्म के बारे में नहीं होतीं। कोई भी असल में पूजा-अर्चना करने या फिर प्रार्थना के तौर-तरीकों को लेकर नहीं लड़ता है। कोई इस बात को लेकर भी नहीं लड़ता कि हमें प्रार्थना करने किसी मंदिर में जाना चाहिए या चर्च में, मस्जिद में प्रार्थना करनी चाहिए या गुरुद्वारे में या फिर सिनगॉग में।

असल में तो लोग सिर्फ इसलिए लड़ते हैं ताकि धन, जमीन और सत्ता हासिल कर सकें। धर्म का इस्तेमाल तो वो सिर्फ इसलिए करते हैं ताकि लोगों को अपने लिए लड़ने को उकसा सकें। अगर वो धर्म का जिक्र नहीं करेंगे, उसकी बात नहीं करेंगे तो कोई उनके लिए क्यों लड़ेगा? कोई भी किसी को सिर्फ धन, जमीन या सत्ता दिलाने के लिए दूसरों से लड़ना पसंद नहीं करेगा। जाहिर है इसके लिए उन्हें कोई न कोई बहाना चाहिए, ऐसे में धर्म का नाम लेने से अच्छा दूसरा कुछ नहीं होता।

आमतौर पर लोगों को दूसरों के लिए धन या सत्ता पाने की महत्वाकाक्षाओं के नाम पर लड़ाने से कहीं ज्यादा आसान होता है, भगवान के नाम पर लड़ाना। यही कारण है कि जिन लोगों को जमीन, पैसा और सत्ता की जरूरत होती है, वे लोगों को समझाते हैं कि उनकी लड़ाई भगवान के लिए है। वे ईश्वर के नाम पर लोगों को उकसाते हैं और बताते हैं कि इस लड़ाई में शामिल होना हर व्यक्ति का कर्तव्य है।

आज के समय में यह एक त्रासदी ही है कि धर्म का इस्तेमाल ऐसी महत्वाकांक्षाओं के लिए किया जा रहा है। ऐसी चीजों के लिए धर्म के नाम का धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा है, जिनका धर्म से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है। हमें इस सच्चाई को समझना चाहिए और खुद को इस दिशा में ज्यादा से ज्यादा जागरूक करने की कोशिश करनी चाहिए।

— साध्वी भगवती सरस्वती

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