- आई नेक्स्ट के होम मिनिस्टर्स के पैनल को नहीं लगा यह आम आदमी का बजट

- सर्विस टैक्स बढ़ाने और इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव न करने की निंदा की

- किचन से लाइफ स्टाइल तक को बिगाड़ने वाला बताया बजट

- अपने-अपने तरीके से दी फाइनेंस मिनिस्टर के बजट को रेटिंग्स

Meerut : फाइनेंस मिनिस्टर द्वारा पेश किए गए बजट से देश का हरेक आदमी सोचने पर मजबूर हो गया होगा कि आखिर उसे इस बजट में क्या मिला? बजट सेशन के बाद आई नेक्स्ट ने इन्हीं बातों को खोजने की कोशिश की। सिटी के सात होम मिनिस्टर को बुलाकर फाइनेंस मिनिस्टर यानि बजट के सामने लाकर खड़ा कर दिया और उनसे पूछा कि क्या आप इस बजट से सहमत हैं? ये सातो होम मिनिस्टर्स सोसायटी के 7 अलग-अलग सेगमेंट्स को बिलांग करने वाले आम आदमी थे, जिनमें एक हाउस वाइफ थी, तो एक बिजनेस क्लास से बिलांग करने वाले थे। एक प्रोफेशनल भी थे। वहीं होम मिनिस्टर में एक स्टूडेंट थी। सीनियर सिटीजन को भी होम मिनिस्टर के तौर पर बुलाया गया था। वहीं गवर्नमेंट और प्राइवेट सेक्टर में जॉब करने वाले लोगों को भी होम मिनिस्टर की श्रेणी में रखा गया था, जिन्होंने आई नेस्क्ट के साथ इस बजट को अपने बजट के समतुल्य रखकर बताया कि ये बजट आम आदमी का बजट बिल्कुल भी नहीं था।

टैक्स ने बिगाड़ा पूरा बजट

अगर बात टैक्स की करें तो घर का पूरा बजट बिगड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया। वहीं सर्विस टैक्स को क्ख्.फ्म् से क्ब् फीसदी करके आम जनता की पूरी सेविंग को खत्म करने की कोशिश की गई। आई नेक्स्ट के सातो होम मिनिस्टर ने सर्विस टैक्स बढ़ाने की कड़ी निंदा की। एक्सपर्ट के तौर पर आए सीए अनुपम भारद्वाज ने पूरे बजट को आम आदमी का ख्याल न रखने वाला बताया। उन्होंने कहा कि सर्विस टैक्स नहीं बढ़ना चाहिए था। अगर सर्विस टैक्स बढ़ाया भी तो इनकम टैक्स स्लैब में छूट मिलनी चाहिए थी। जैसा कि हर कोई उम्मीद कर रहा था।

घर का सपना हुआ मुश्किल

अपना खुद का आशियाना का सपना किसका नहीं होता? लेकिन ये बजट आशियाने के सपने को चूर-चूर कर रहा है। होम लोन में कोई छूट न मिलने से आम लोगों को काफी मुश्किलें होंगी। बिजनेस क्लास से आए और रियल सेक्टर से जुड़े कमल ठाकुर ने बताया कि लोगों को थोड़ी मुश्किल जरूर होगी। होम लोन में छूट आम जनता को काफी बड़ी राहत देती लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ। सर्विस और अन्य टैक्स बढ़ने से मकान बनाने की सामग्री के दाम बढ़ेंगे और उससे मकान की प्रोडक्शन कॉस्ट भी बढ़ेगी, ऐसे में मकान बनाना आसान नहीं होगा।

विकल्प तो खुले, लोन पर राहत नहीं

वहीं अगर बात पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो उसपर भी भार बढ़ा ही है कम नहीं हुआ है। अगर आप हायर स्टडीज लोन लेकर पूरा करने का सपना देख रहे हैं तो आपको अब ज्यादा ब्याज देना होगा। पैनल होम मिनिस्टर स्टूडेंट प्रीती गौड़ ने कहा कि वैसे तो विकल्प काफी खुल गए हैं। बजट में आईआईटी, आईआईएम, फिल्म इंस्टीट्यूट, स्किल मिशन की घोषणा की है, लेकिन एजुकेशन लोन बढ़ने से स्टूडेंट्स को कोई फायदा नहीं मिलता दिखाई दे रहा है। वहीं स्टूडेंट कुणाल कौशिक ने कहा कि युवाओं को बजट में मेक इंडिया के तहत जॉब देने की बात की चर्चा की गई है, लेकिन ज्यादा एक्सप्लेन नहीं किया गया। इससे थोड़ी निराशा हुई।

किचन का बिगड़ा बजट

बजट को हमेशा से किचन से जोड़कर देखा जाता है। क्योंकि असल में घर की होम मिनिस्टर गृहणी ही होती है, लेकिन उन्हें भी इस बजट से निराशा ही हाथ लगी। गृहणी पायल शर्मा ने कहा कि सर्विस टैक्स ने किचन के पूरे बजट को बिगाड़ कर रख दिया। घर का सामान काफी महंगा हो जाएगा। तेल से लेकर साबुन तक। मसालों से लेकर वो तमाम सामान जो किचन में यूज होते हैं वो महंगे हो जाएंगे। वहीं इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव न होने से सेविंग काफी कम हो जाएगी, जिससे बच्चों का फ्यूचर प्लान करने में काफी मुश्किल हो जाएगी। इस बजट से तो अब सभी गृहणियों को कामकाजी बनना पड़ेगा। तभी किचन मैनेज हो पाएगा।

बिगड़ जाएगा पूरा लाइफ स्टाइल

ये बजट पूरी तरह से लाइफ स्टाइल बिगाड़ने वाला है। पार्लर जाना, वाई-फाई, फोन बिल, रेस्टोरेंट में खाना, हवाई यात्रा, कंप्यूटर-लैपटॉप, जिम, ड्राइक्लिनिंग, क्रेडिट व डेबिट कार्ड से भुगतान, टीवी, तंबाकू, सिगरेट आदि सभी चीजों के महंगे होने से हर वर्ग के लोगों को एक बार सोचना जरूर पड़ेगा। प्रोफेशनल शिव कुमार कांबोज ने कहा कि अगर मैं अब महीने के एक बार अपनी फैमिली के साथ बाहर रेस्त्रां में डिनर के लिए जाता था तो अब दो या तीन महीने में एक बार जाउंगा, जो आउटिंग साल में एक बार होती थी अब डेढ़ या दो साल में एक बार होगी।

गाड़ी का सपना भूल जाइये

अपनी एक गाड़ी हो इसका सपना हर मिडिल क्लास फैमिली के आदमी का होता है, लेकिन जिस तरह का बजट आया है वो आपके इस सपने को चकनाचूर कर दिया है। प्राइवेट सेक्टर में जॉब करने वाले अनिल सहरावत ने बताया कि जब आपकी सेविंग ही कम हो या खत्म हो गई तो एक मिडिल क्लास आदमी अपनी गाड़ी का सपना कैसा देख सकता है। उसे बाइक या स्कूटर खरीदने के लिए एक बार सोचना होगा। वहीं इन्हें खरीदने में भी सर्विस टैक्स की मार पड़ेगी।

होम मिनिस्टर्स का व्यू

आम आदमी की दृष्टि से बजट पूरी तरह से सामान्य है। कॉर्पोरेट टैक्स में मिली छूट एक अच्छा कदम है। सर्विस टैक्स में हुए इजाफे को छोड़ दिया जाए तो बजट बैलेंस है। आम जनता के हिसाब से देखा जाए जो इनकम टैक्स स्लैब में राहत मिलनी चाहिए थी। जो नहीं दी गई।

- कमल ठाकुर, व्यापारी

रेटिंग : भ्

बजट पूर्ण रूप से निराशा भरा रहा है। देश में रोजगार के अवसर शून्य हो गए हैं। सरकार ने इंपोर्ट ड्यूटी कम कर दी है। इससे देश में इंडस्ट्रीयल मार्केट को बड़ा झटका लगा है। इस विस्फोटक कदम का परिणाम यह है कि देश में अब बिजनेस मैन इंडस्ट्री स्थापित करने से पहले सौ बार सोचेंगे, जिसका सीधा प्रभाव रोजगार पर पड़ेगा। होना तो यह चाहिए था कि इंपोर्ट ड्यूटी को बढ़ाया जाता, ताकि अपने देश के मैन्यूफैक्चरिंग कंपनीज को बढ़ावा मिलता।

- दिलमणी प्रसाद थपलियाल, गवर्नमेंट वर्कर

रेटिंग : ब्

बजट आम आदमी के लिए डिजाइन नहीं किया गया है। बजट में रखे गए प्रावधानों से सबसे बड़ी चोट मध्यम वर्गीय लोगों को लगी है। सर्विस टैक्स बढ़ जाने से अब आम आदमी को मंहगाई की दोहरी मार झेलनी होगी। आम बजट में आम आदमी को ध्यान में रख कर कुछ भी नहीं किया गया है।

- अनिल सहरावत, प्राइवेट वर्कर

रेटिंग : भ्

बजट पूरी तरह से उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है। कुछ पेंशन योजनाओं को यदि छोड़ दें तो बजट में कुछ भी खास नहीं है। बजट के माध्यम से सरकार ने एक बार फिर बता दिया कि भारतीय जनता पार्टी का आम आदमी से कोई सरोकार नहीं है। भाजपा पहले से ही हाई क्लास सोसायटी की पार्र्टी है। उसकी क्लास को ध्यान में रखकर बजट बनाया गया है।

- आदित्य कक्कड़, सीनियर सिटीजन

रेटिंग : भ्

बजट में कुछ खास नहीं है। बजट में युवा वर्ग को पूरी तरह से किनारे कर दिया गया है। हमारे देश का प्रोडक्ट विदेशी कवर में महंगी दरों में बिक रहा है। एक रुपए की चीज के लिए देश की जनता को दस रुपए चुकाने पड़ रहे हैं। बजट में मैन्यूफैक्चरिंग कंपनीज को बढ़ावा मिलना चाहिए था, ताकि देश में रोजगार के अवसर भी बढ़ते।

- मृणाल कौशिक, स्टूडेंट

रेटिंग : भ्

अगर मैं एक गृहणी होने के नाते बजट को देखूं तो किचन का बजट पूरी तरह से बिगड़ गया है। इस बजट से सेविंग्स पूरी तरह से गड़बड़ा गई है। मुझे तो लगता है कि अब हम जैसी गृहणियों को कामकाजी बनना होगा। तभी घर का खर्च और बच्चों के फ्यूचर को बना सकते हैं।

पायल शर्मा, गृहणी

रेटिंग : फ्

बजट एजुकेशन के हिसाब से बिल्कुल फिट है। नए मैनेजमेंट और इंजीनियरों कॉलेजों के प्रावधानों से छात्रों के लिए विकल्प खुले हैं। एजुकेशनल लोन में हुई बढ़ोत्तरी से छात्रों का मनोबल गिरा है। बजट बैलेंस है।

प्रीति गौड़, स्टूडेंट

रेटिंग : भ्

अब टैक्स बचाने के लिए लोग चेक व प्लास्टिक मनी का यूज कम करेंगे। कैश के बदले अब आम पब्लिक केवल कच्चा बिल बनवाकर ही भुगतान करेगी। इससे टैक्स में चोरी के प्रकरण में इजाफा देखने को मिलेगा।

शिवकुमार कांबोज, चार्टड एकाउंटेंट

रेटिंग : भ्

एक्सपर्ट व्यू

सर्विस टैक्स में हुई अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी को यदि छोड़ दिया जाए तो बजट ओके है। बजट में हर वर्ग को तरजीह दी गई है। खास तौर पर यदि देखा जाए तो रुपए के प्रवाह को सिस्टमैटिक किया गया है। कैश फ्लो के स्थान पर प्लास्टिक मनी का यूज एक कमाल का कदम है। इससे कालाबाजारी में बड़ी मात्रा में कमी आएगी।

-नितिन अहलूवालिया, अधिवक्ता

बजट में युवा वर्ग को बिल्कुल अनदेखा कर दिया गया है। जिस तरह से मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद युवा उनकी ओर आशा भरी नजरों से देख रहा था। उस हिसाब से देश की यूथ के हाथों निराशा ही लगी है। दूसरे शब्दों में कहें तो युवा किसी भी देश की शक्ति है, लेकिन सरकार ने उसके हाथों में औजार नहीं दिए हैं, जिससे वह निष्क्रिय हो गया है।

-अनुपम भारद्वाज, चार्टड एकाउंटेंट

बजट को लेकर फाइडिंग्स

क्। बिल बनवाने से बचेंगे लोग।

ख्। लोगों को अब ब् घंटे का ओवर टाइम करना पड़ेगा।

फ्। गृहणी को भी अब कमाना होगा।

ब्। अपने गजेट्स को बार-बार बदलने के लिए सोचना होगा।

भ्। घर बनाना मुश्किल हो जाएगा।

म्। सेविंग्स कम होगी और बच्चों का फ्यूचर ट्रबल में होगा।

7. आउंटिंग में सर्वाइव करना मुश्किल।

8. विकल्प तो खुले लेकिन एजुकेशन लोन पर पड़ी मार।

9. इंडस्ट्री में छूट न मिलने से युवाओं के लिए नौकरी नहीं।

क्0. सर्विस टैक्स से बाहर आए सीनियर सिटीजन।

क्क्। टैक्स में रिबेट में होना चाहिए।

क्ख्। लोगों को अपने खर्चे कम करने होगे।

क्फ्। अमीर लोगों पर दो फीसदी सरचार्ज ठीक।

क्ब्। देखना होगा कस्टम ड्यूटी किन ख्ख् चीजों पर कम हुई है।