कौन से राज्यों में है उम्रकैद की सजा

सुप्रीम कोर्ट ने मिलावटी दूध पर चिंता जताते हुए राज्यों को मिलावट में सजा के प्रावधान कड़े करने का सुझाव दिया है. बृहस्पतिवार को कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, ओडिशा व पश्चिम बंगाल की तर्ज पर अन्य राज्यों से भी कानून में संशोधन पर विचार करने को कहा है. इन राज्यों में मिलावट के अपराध में उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने मिलावटी दूध की बिक्री के मामले में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा व राजस्थान सरकारों की ओर से की गई कार्रवाई पर असंतुष्टि जताते हुए ब्योरा पेश करने का आदेश दिया है.

कोर्ट नहीं संतुष्ट

जज केएस राधाकृष्णन व एके सीकरी की पीठ ने दूध में मिलावट और सिंथेटिक दूध की बिक्री पर चिंता जताते हुए कहा कि लगता है कि सरकार का पूरा तंत्र फेल हो चुका है. राज्य सरकारों की ओर से दिए गए जवाब बिल्कुल झूठे हैं. इस बीच उत्तरप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के अधिकारी बृहस्पतिवार को कोर्ट में पेश हुए और उन्होंने मिलावटी दूध की बिक्री रोकने के लिए की गई कार्रवाई की जानकारी दी, जिससे कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ.

क्या नुकसान हो सकता है स्वास्थ को

याचिकाकर्ता के वकील अनुराग तोमर ने पीठ को बताया कि फूड सेफ्टी अथॉरिटी की 2011 की रिपोर्ट में 8.4 फीसद नमूने सिंथेटिक दूध के पाए गए जिसमें डिटर्जेट था. उन्होंने कहा कि ये स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक है और उत्तर प्रदेश को छोड़कर किसी ने भी अपने यहां सिंथेटिक दूध पाए जाने की बात नहीं स्वीकारी है. तोमर ने कहा कि मिलावटी दूध बेचने पर सिर्फ छह माह की सजा है, जो बहुत कम है.

राज्यों से हलफनामे की मांग

उत्तर प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल सरकारों ने आईपीसी की धारा 272, 273 में संशोधन कर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान किया है. लेकिन उत्तर प्रदेश ने अपने हलफनामे में यह नहीं बताया है कि उसने मिलावटी दूध के दोषियों के खिलाफ किस कानून के तहत कार्रवाई की है. कोर्ट ने उप्र, उत्तराखंड, राजस्थान, हरियाणा व दिल्ली से कहा है कि वह हलफनामा दाखिल कर बताए कि उसने मिलावटी दूध की बिक्री पर क्या कारवाई की और उसका क्या नतीजा रहा.

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