कंज्यूमर्स को दिखाने के लिए टैरिफ अलग से

दरअसल अभी 100 यूनिट की खपत पर प्रति यूनिट टैरिफ 2.70 रुपए है लेकिन कई प्रकार के चार्ज को मिलाकर यह 4 रुपए से अधिक हो जाता है। यह चार्ज एक प्रकार से क्लोज रहते हैं यानी कंज्यूमर्स को दिखाने के लिए टैरिफ अलग से है। लेकिन वसूली अलग दर के हिसाब से की जाती है। कंज्यूमर्स इस टैरिफ के मैथ को समझ नहीं पाता है। कुछ कंज्यूमर्स हिसाब लगाकर बिजली दफ्तर पहुंचते हैं। लेकिन वहां भी सीधा जवाब नहीं मिल पाता है। एक्सपर्ट की मानें तो बिजली कंपनियों का ऑटिड होना चाहिए इससे साफ पता चल जाएगा कि कितना मोटा मुनाफा वसूला जा रहा है। दिल्ली में बिजली की दरें 50 फिसदी कम हो गई तो पटना में भी सवाल उठ रहे हैं कि यहां भी बिजली की दर कम क्यों नहीं हो सकती है।

इस तरह से बढ़ता है बिजली का बिल

अगर प्रति महीने आपकी खपत 100 यूनिट हुई तो 2.70 रुपए प्रति यूनिट की दर से आपका बिल 270 रुपए आना चाहिए। इसमें रेट को परसेंटेज में जोड़ा जाता है। 270 रुपए के 6 परसेंट के हिसाब से 16.20 रुपए बनता है। इसके बाद इसमें मीटर चार्ज, सरचार्ज, सर्विस टैक्स सहित कुल जुड़कर तय टैरिफ से 270 रुपए में यह राशि जुड़कर कंज्यूमर्स को 280 रुपए से अधिक बिल दिया जाता है।

प्रति कनेक्शन ऐसे लगता है चार्ज

- 50 यूनिट तक 25 रुपए प्रति कनेक्शन

- 100 यूनिट तक 35 रुपए प्रति कनेक्शन

- 300 यूनिट तक 55 रुपए प्रति किलोवाट

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

बिजली प्रोडक्शन को लेकर बिहार के पास कुछ नहीं है। यह एनटीपीसी से बिजली परचेज है। गवर्नमेंट चाहे तो दिल्ली की तरह पटना में भी बिजली का बिल कम हो सकता है। इसके लिए टैरिफ कम करने की कोशिश करनी होगी। यदि बिजली के बिल में एक पैसा भी बढ़ता है तो कंपनियों को करोड़ों रुपए का फायदा होता है। कंपनियों के खर्चे का यहां भी ऑडिट हो और देखा जाए कि कौन सा चार्ज कितना लिया जा रहा है।

बीएल यादव, रिटायर जेनरल सेक्रेटरी, पेसा।

कंपनी को हो रहा करोड़ों का लाभ

साउथ बिहार पॉवर डिट्रीब्यूशन लिमिटेड कंपनी के पटना सर्किल से कमाई को देखें तो प्रति यूनिट एक पैसा की बढ़ोतरी से कंपनी को करीब 8 लाख रुपए का रेवेन्यू कलेक्शन हो जाता है। प्रति यूनिट से कंपनी को प्रतिमाह एक करोड़ से अधिक का कलेक्शन होता है। करीब 3 लाख कंज्यूमर्स एक माह में आठ करोड़ रुपए से अधिक का बिजली खपत करते हैं।

तो पटना में क्यों ना हो बिजली सस्ती

बिजली की कीमत में कमी को लेकर आज कल कंट्री में एक बहस शुरू हो गई है। केजरीवाल गवर्नमेंट दिल्ली में बिजली की कीमतें आधी कर दी गई हैं। इस डिसिजन के बाद अब कैपिटल सिटी पटना के साथ बिहार के कंज्यूमर्स भी एक्सपेक्ट कर रहे हैं कि यहां भी बिजली की कीमतें कम हों। लेकिन पटनाइट्स को इसके विपरीत दूसरे स्टेट के कंपैरिजन में दोगुना रेट पे करना पड़ रहा है। कंज्यूमर्स का कहना है कि दिल्ली के बाद हरियाणा, मुंबई सहित कई बड़े शहरों में बिजली बिल की कीमत आधी हो गई है।

प्रति यूनिट अभी का रेट

- बिना मीटर के पर मंथ- 160 रुपए।

- मीटर रहने पर 50 यूनिट तक 2.00 रुपए।

- 51-100 यूनिट के यूज पर 3.00 रुपए।

- 101 यूनिट से ज्यादा पर 2.70 रुपए।

प्रपोज्ड चार्ज

- बिना मीटर के हर मंथ - 350 रुपए।

- मीटर रहने पर हर यूनिट - 3.50 रुपए।

- फिक्स चार्ज के रूप में पहला किलोवाट 100 यूनिट और दूसरे किलोवाट से हर किलोवाट पर 40 यूनिट की कीमत देनी पड़ेगी।

अरबन एरिया के कंज्यूमर्स पर बिजली की मार

अरबन एरिया में कंज्यूमर्स को बिजली की बढ़ती कीमतों का सामना करना पड़ रहा है।

- 1 से 100 यूनिट तक- 300 रुपए।

- 101 से 200 यूनिट तक- 380 रुपए।

- 200 से अधिक 470 रुपए यूनिट लगता है।

रूरल एरिया में बिल के रेट बढ़ाने की डिमांड   

कैपिटल के रूरल एरिया में रहने वाली पब्लिक को बिजली कंपनी भारी झटका देने जा रही है। हर मंथ 160 रुपए लगने वाले बिल की जगह 350 रुपए मंथली देने पड़ेंगे। बिजली कंपनियों का प्रपोजल है कि अगर बिहार बिजली आयोग मान लेगा तो गांव की जनता को घर में रोशनी बहुत महंगी पड़ेगी।

दिल्ली में बिजली बिल एक नजर

1-200 यूनिट बिजली यूज करने वाले कंज्यूमर को पचास परसेंट सब्सिडी मिलेगी। इसके साथ 201 से 400 तक की कीमतों में भी सब्सिडी दी जाएगी। 50 परसेंट कमी होने से दिल्लीवासियों को काफी राहत मिली है।

इन स्टेट्सकी जनता भी है खुशहाल

दिल्ली में बिजली की कीमतों में 50 परसेंट की कमी को देखते हुए हरियाणा गवर्नमेंट ने करीब 40 लाख रूरल एरिया के कंज्यूमर्स के बिजली बिल में कमी की है। यहां 1600 यूनिट से कम बिजली यूज करने वाले कंज्यूसर्म को 200 रुपए पर बिल में राहत मिलेगी।

खुलकर बोले कंज्यूमर्स

शहर के कंज्यूमर्स को डेली बिजली की प्रॉब्लम झेलनी पड़ रही है। बिजली सस्ती तो दूर यहां हर साल बिजली के बिल बढ़ाए जाते हैं। - योगेन्द्र प्रसाद, बुद्धा कॉलोनी.

बिजली कंपनी रौशन बिहार विकसित बिहार की बात करती है, लेकिन बेलगाम बिल बढ़ाकर प्रॉब्लम झेलने पर मजबूर किया जा रहा है।

- विक्रम चंदेशी, आर ब्लाक एरिया.