फाड़ दिया था वोटर आईडी कार्ड

माया बाजार बनकटी चक निवासी ओम प्रकाश प्रजापति (40) ने करीब दस साल पहले वोटर आईडी कार्ड बनवाया था, लेकिन तब वोटर आईडी कार्ड में उनकी उम्र 60 साल प्रिंट कर दी गई थी। गलती ठीक कराने के लिए वह इलेक्शन ऑफिस के चक्कर काटते रहे, लेकिन गलती नहीं सुधारी गई। जिसके चलते उन्होंने अपना वोटर आईडी कार्ड ही फाड़ दिया। डॉक्यूमेंटेशन में जरूरत पडऩे पर ऑप्शन के रूप में पैन कार्ड लगा देते थे, लेकिन उनका कहना है कि अब वोटर आईडी कार्ड बनाना जरूरी है। न केवल भारत की नागरिकता के चलते बल्कि इस बार लोकसभा चुनाव में भी हिस्सा लेने के लिए।

बिजनेस में बिजी रह गए

पुर्दिलपुर के निवासी कृष्ण कुमार गर्ग का कहना है कि वोटर आईडी कार्ड कितना जरूरी है, ये सिटी से बाहर जाने पर ही पता चलता है। अपने बिजनेस के सिलसिले में बिजी रहने की वजह से वो वोटर आईडी कार्ड नहीं बनवा सके। हालांकि उनका मानना है कि वोटर आईडी कार्ड केवल वोट डालने के लिए ही जरूरी नहीं है, बल्कि यह हमें भारतीय होने का एहसास भी कराता है। वे कहते हैं कि इस बार मैैं टाइम निकाल कर इलेक्शन ऑफिस जाऊंगा और अपना वोटर आईडी कार्ड बनवाऊंगा। लोक सभा चुनाव में भी वोट डालकर देश को एक सही सरकार देना भी हमारी जिम्मेदारी है।

जनगणना से ही गायब हो गया नाम

शाहमारूफ में रहने वाले बिजनेसमैन सरदार मंजीत सिंह ने बताया कि बिजनेस में बिजी होने के चलते जनगणना में उनका नाम ही गायब हो गया। वो बताते हैं कि पहले वे राशन कार्ड से वोट डाल देते थे, लेकिन अब लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए वोटर आईडी कार्ड बनवाना जरूरी है। मंजीत का कहना है कि इस बार वे अपना वोटर आईडी कार्ड बनाने के लिए कोशिश में लग गए हैं।

वोटर आईडी कार्ड से मिलता है गौरव

बेसिकली कानपुर की निवासी पूजा गर्ग शादी के बाद वह गोरखपुर आ गईं। वह सिटी के एक फेमस स्कूल में जॉब भी करती हैं, लेकिन बिजी शेड्यूल के चलते कभी उन्हें वोटर आईडी कार्ड बनवाने का टाइम नहीं मिला। हालांकि इस बार उन्होंने अपने हसबैैंड कृष्ण कुमार को इलेक्शन ऑफिस से वोटर रजिस्ट्रेशन फॉर्म लेकर आने के लिए कहा है। उनका कहना है कि वोटर आईडी कार्ड से देश के नागरिक होने का गौरव मिलता है।

कैसे देंगे दूसरों को नसीहत

शाहमारूफ में रहने वाले सचिन दुआ की वाइफ कंचन ने भी इस बार अपना वोटर आईडी कार्ड बनवाने का फैसला किया है। उनका कहना है कि शादी को 9 साल हो गए लेकिन कभी वोटर आईडी कार्ड की जरूरत नहीं पड़ी। उनके मुताबिक बात जरूरत की नहीं बल्कि जिम्मेदारी की है। सोसायटी का पढ़ा-लिखा तबका ही अगर अवेयर नहीं होगा तो हम दूसरों को नसीहत कैसे दे सकेंगे। हर डॉक्यूमेंट की तरह वोटर आईडी कार्ड भी जरूरी है।