दिल्ली में वामपंथी दलों द्वारा बुलाए गए सांप्रदायिकता विरोधी सम्मेलन में नीतीश कुमार ने कहा कि धार्मिक जुलूसों और यात्राओं के ज़रिए समाज को तोड़ने और टकराव की स्थितियां पैदा की जा रही हैं.

उन्होंने कहा कि कुछ लोग इनसे उत्तेजना फैलाना चाहते हैं. ये वही लोग हैं जो दंगों, फ़सादों और ध्रुवीकरण से लाभ लेते हैं. ऐसे तबकों से सचेत रहें.

उन्होंने सम्मेलन में हिस्सा ले रही 14 पार्टियों से अपील की कि वो ये संकल्प लें कि देश का सांप्रदायिक सदभाव नहीं बिगड़ने देंगे. दंगाइयों को कड़ी सजा दी जाएगी.

उन्होंने इस मौके पर ये भी बताया कि किस तरह उनकी सरकार ने भागलपुर दंगों की फ़ाइलें न्यायालय की अनुमति लेकर फिर से खुलवाईं और न केवल दोषियों को सजा दिलाई गई बल्कि दंगा पीड़ितों की संपत्ति भी वापस की गई. साथ ही दंगा पीड़ितों के लिए ताज़िंदगी पेंशन का इंतजाम भी किया गया.

नीतीश कुमार ने कहा पुलिस में अल्पसंख्यकों की संख्या काफ़ी कम है, ये सही अनुपात में नहीं है, जिसे बढाने और अल्पसंख्यकों की पुलिस में भर्ती किए जाने की ज़रूरत है. हम उनकी बहाली पर ध्यान देंगे.

बीजेपी ने ख़ारिज़ किए आरोप

वहीं दूसरी ओर  बीजेपी नेता रविशंकर ने एक प्रेस कांफ़्रेंस में आरोप लगाया कि नीतीश कुमार अपनी सरकार को बचाने के लिए कांग्रेस की भाषा बोल रहे हैं.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस का कुशासन, महंगाई और भ्रष्टाचार अब नीतीश के लिए कोई मुद्दा क्यों नहीं है, ये भी एक सवाल है.

उन्होंने साथ ही चुटकी भी ली कि ऐसा लगता है कि वह कांग्रेस पर नरम और मोदी पर गरम हैं और मान चुके हैं कि मोदी पीएम बनने वाले हैं.

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