लोक आयुक्त की टीम ने किया खुलासा, आयुक्त के पास पहुंच रही रिकार्ड शिकायतें

मेरठ में जन सुनवाई में आई 150 शिकायतें, चर्चित प्रकरण पहुंचे लोकायुक्त के समक्ष

Meerut : सर्वाधिक भ्रष्टाचार नगर निगम और मेरठ विकास प्राधिकरण के गलियारों में है। शुक्रवार को मेरठ पहुंची लोकायुक्त की टीम ने खुलासा करते हुए बताया कि नगर निगम में आउटसोर्सिग कर्मचारियों की भर्ती एक बड़ा घोटाला है। इसमें लगातार शिकायतें लोकायुक्त के समक्ष पहुंच रही हैं। एमडीए आवंटियों के साथ धोखाधड़ी कर रहा है। विभिन्न आवासीय योजनाओं में आवंटियों से रकम वसूलने के बाद उन्हें प्राधिकरण ने कब्जा नहीं दिलाया। पुलिस, प्रशासन, डूडा आदि विभागों क खिलाफ नियमित भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही हैं।

आई 150 शिकायतें

शुक्रवार को मेरठ पहुंची लोकायुक्त की 3 सदस्यीय टीम ने सर्किट हाउस में प्रात: 9 बजे से जन शिकायतों की सुनवाई की। टीम में शामिल अन्वेषण अधिकारी/पुलिस उपाधीक्षक राहुल रूसिया ने बताया कि मेरठ में करीब 150 शिकायतों लोकायुक्त टीम के समक्ष आई हैं। सहायक समीक्षा अधिकारी अश्वनी पाठक, आरक्षी जावेद अहमद ने शिकायतकर्ताओं को गंभीरता से सुना और उनकी शिकायत पर परिवाद दर्ज कराया। मेरठ में नगर निगम, एमडीए एवं विभिन्न सरकारी विभागों क अधिकारियों क खिलाफ इस दौरान जनता ने भ्रष्टाचार की शिकायत की।

यह रहीं प्रमुख शिकायतें

-नगर निगम में आउटसोर्सिग कर्मचारियों की भर्ती में भ्रष्टाचार।

-पेंशन क संबंध में शिकायत, पेंशन का समय से भुगतान नहीं हो रहा है।

-एमडीए क आवंटियों ने आवंटन में गड़बड़ी की शिकायत की।

-पराग डेयरी क एमडी, प्रिक्योरमेंट मैनेजर और प्रमुख सचिव दुग्ध विकास विभाग क खिलाफ शिकायत।

-भूमाफिया को संरक्षण देने पर पुलिस क खिलाफ शिकायत।

-एमएलसी डॉ। सरोजनी अग्रवाल क पति ओमप्रकाश अग्रवाल क खिलाफ समाजवादी आवास योजना में मकान दिलाने क नाम पर भ्रष्टाचार की शिकायत।

-कोटेदारों के खिलाफ शिकायत।

-आवास विकास परिषद पर भू-माफिया बाबूलाल को संरक्षण देने की शिकायत।

-शौचालय निर्माण में अनियमितताओं की शिकायत, आदि।

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नहीं हो रही सुनवाई

इनवेस्टीगेटिव अफसर राहुल रूसिया ने बताया कि ज्यादातर शिकायतें ऐसी हैं जिसमें डीएम-कमिश्नर स्तर पर सालोंसाल शिकायत के बाद भी फरियादी को न्याय नहीं मिल रहा है। न ही शिकायत का निस्तारण हो रहा है और न ही फरियादी का भटकना बंद हो रहा है। लोकायुक्त समयबद्ध शिकायत क निस्तारण का एक सशक्त माध्यम है।

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30 अधिकारियों पर शिकंजा

उन्होंने बताया कि अब तक लोकायुक्त कोर्ट ने प्रदेश में 30 से अधिक एमएलए, एमएलसी, आईएएस, पीसीएस अधिकारियों क खिलाफ जांच कर सख्त सिफारिश की संस्तुति सरकार से की है। टेंडर घोटाले क आरोपी निकाय अध्यक्ष भी इस लिस्ट में शामिल हैं। विभिन्न कार्रवाई क संबंध में लोकायुक्त गर्वनर को भी प्रत्यावेदन दे रहा है।

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लगातार बढ़ रहा भ्रष्टाचार

बसपा सरकार क कार्यकाल से अधिक शिकायतें सपा सरकार के कार्यकाल में मिली तो भाजपा सरकार में शिकायतें लगातार बढ़ ही रही हैं। इनवेस्टीगेटिव अफसर ने बताया कि लोकायुक्त एवं उप लोकायुक्त का प्रयास-प्रसार भी एक बड़ी वजह हो सकता है, किंतु यह कहना भी अतिश्योक्ति नहीं होगा कि भ्रष्टाचार पर अंकुश पाने क लिए कड़ी कवायद करनी होगी।

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ऐसे करें शिकायत

-निर्धारित प्रारूप पर परिवादी विस्तृत जानकारी के साथ तीन प्रतियों में एक आवेदन पत्र भरेगा।

-नोटरी शपथ पत्र एवं धारा 9(3) क तहत परिवाद शपथ पत्र, स्वयं से सत्यापित करते हुए दस्तावेजों को संलग्न करना होगा।

-अभिकथन रूपी परिवारों में आवेदक को 2 हजार रुपये भारतीय स्टेट बैंक अथवा कोषागार में जमा कराने होंगे।

-शिकायत गलत पाए जाने पर शिकायतकर्ता पर 50 हजार रुपये तक जुर्माना किया जा सकता है।

यहां करें आवेदन

सचिव,

लोक आयुक्त, उत्तर प्रदेश, लखनऊ

टीसी-46/वी-1 विभूति खंड, गोमती नगर लखनऊ, 226011

अथवा

पीओ बॉक्स नंबर-172, जीपीओ, लखनऊ

वेबसाइट-

www.lokayukt.up.nic.in

ईमेल-

lokayukta@hotmail.com