पानी की अंधाधुंध बर्बादी से कहीं इलाहाबाद का न हो जाए केपटाउन जैसा हाल

हर साल घट रहा है वाटर लेवल, फिर भी नहीं चेत रहे लोग

ALLAHABAD: हम धीरे-धीरे खतरे की ओर बढ़ रहे हैं। अलर्ट जोन में आने के बावजूद नहीं चेते तो भविष्य में इलाहाबाद के लोग साउथ अफ्रीका के केपटाउन सिटी की तरह बूंद-बूंद पानी को तरस जाएंगे। एक्सप‌र्ट्स भी इस चीज को मानते हैं। जागरुक जनता भी पानी के मिसयूज को गलत मानती है। फिर हम क्यों नहीं जाग रहे?

इतने पानी से तो सींचते हैं दरवाजा

पानी की बर्बादी का सबसे खराब एग्जाम्पल गर्मियों में मिलता है। जब हजारों लीटर पानी नहाने, कूलर चलाने और घर के सामने की जमीन को सींचने में बर्बाद कर दिया जाता है। जबकि प्रति दिन प्रति व्यक्ति पानी की खपत 170 लीटर तय की गई है। इसके बावजूद इसका पालन नहीं होता है।

इसलिए हो जाएं अलर्ट

-इलाहाबाद के कई इलाकों में जनसंख्या घनत्व दिल्ली के घने इलाकों से अधिक है। यहां पानी की खपत बहुत अधिक है।

-शहर की स्थलीय आकृति ऊपर-नीचे है। ऐसे में पानी ऊंचे इलाके से हो निचले इलाकों में जमा हो जाता है। इससे ऊपरी इलाकों में वाटर लेवल घट रहा है।

-इलाहाबाद के क्लाइमेट के चलते कम समय में अधिक बारिश हो जाती है, इससे पूरा पानी बह जाता है। अगर यह बारिश अधिक समय में हो तो वॉटर लेवल रीचार्ज आसानी से होता है।

-हर साल वाटर लेवल 62 सेमी नीचे जा रहा है। दस साल में पानी के लिए आठ से दस मीटर अधिक जमीन खोदनी पड़ रही है।

- पानी की कुल सप्लाई का तीस फीसदी वेस्टेज होने से एक तिहाई आबादी को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है।

इसे फॉलो करें तो बचेगा पानी

-एक्सप‌र्ट्स की मानें तो तमाम सरकारी भवनों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लगवाना होगा। फिर जनता स्वयं इसे फॉलो करेगी।

-जिन इलाकों में पानी की अधिक खपत है वहां प्री-पेड मीटर लगाकर सप्लाई की जानी चाहिए।

-पुराने तालाबों को पुन: जीवित किया जाए। इनसे बलपूर्वक अतिक्रमण को हटाया जाए।

-गवर्नमेंट को वॉटर लिटरेसी कैंपेन चलानी होगी। तमाम तरह के अभियान से लोगों को पानी की उपयोगिता बतानी होगी।

-फूड सिक्योरिटी बिल की तरह वॉटर सिक्योरिटी बिल लाकर पानी का वेस्टेज करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

-पानी की सप्लाई लाइनों की मरम्मत जरूरी है। इनके जर्जर होने से रोजाना हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है।

फैक्ट फाइल

20 लाख से अधिक है शहर की आबादी

170 लीटर प्रतिदिन पानी का प्रति व्यक्ति मानक

210 एमएलडी है कुल डिमांड

256 एमएलडी ट्यूबवेल व 80 एमएलडी यमुना से कुल सप्लाई

30 फीसदी से अधिक हो रहा वेस्टेज

01 तिहाई आबादी पानी सप्लाई से है महरूम

62 सेमी हर साल कम हो रहा वाटर लेवल

वर्जन

शहर में 2.19 लाख घर हैं। प्रत्येक घर में औसतन 5 से 6 लोग रहते हैं। प्रत्येक को 170 लीटर के हिसाब से पानी उपलब्ध कराया जाना मुश्किल टास्क है। ऐसे में पानी की बर्बादी हमारे भविष्य को खराब बना रही है। जल के संचय के लिए पब्लिक और सरकार दोनों को कदम उठाने होंगे।

-प्रो। एएआर सिद्दीकी, भूगोल विभाग, इलाहाबाद विवि

कॉलिंग

गर्मी के महीने में लोग अधिक पानी का यूज करते हैं। उनको पता नहीं होता कि थोड़ी देर तक नल खुला होने से कितना अधिक पानी बर्बाद हो जाता है।

-अनु राजपूत

हमलोग पानी की बर्बादी को रोकने के लिए लगातार कैंपेन चलाते आ रहे हैं। हमने हॉस्टल्स में छात्रों को जागरुक किया है। सरकार को जल साक्षरता अभियान चलाकर लोगों को अवेयर करना चाहिए।

-रामबाबू तिवारी

प्रीपेड मीटर लगाकर पानी की सप्लाई की जानी चाहिए। इससे लेागों को पानी के महत्व का अंदाजा होगा। नल में पानी आने का मतलब उसे बहाना नही होता है।

-शालू शुक्ला

जल अनमोल है। इसका कोई मोल नहीं है। ऐसी चीज को हम नाली में बहाते रहते हैं। केपटाउन के बारे में जानकर भी लोगों की अंाखें नहीं खुल रही हैं।

-परीक्षित शर्मा

अगर ऐसे ही पानी बहाया जाता रहा तो इलाहाबाद को केपटाउन बनने में अधिक समय नही लगेगा। तब लोगों को पछतावा होगा लेकिन बहुत देर हो चुकी होगी।

-गौरव