-मिलिट्री हॉस्पीटल में किया टेन्कुलाइजर नहीं हुआ था कारगर

-सीमेंट टिनशेड की पुरानी इमारत में दहाड़े मार रहा तेंदुआ

-देर शाम छोड़ा स्मोक, पिजरे तक भी नहीं पहुंचा

-ऑपरेशन रेस्क्यू की अवधि को लेकर संशय में अफसर

Meerut: सांसे थमी सी हैं, जरा सी आहट से कलेजा मुंह को आ रहा है। रिहायशी एरिया में तेंदुए की चहलकदमी से कैंट एरिया में दहशत का माहौल काबिज है। मंगलवार मिलिट्री हॉस्पीटल में ट्रैंकुलाइजर के बाद भी गिरफ्त से छूटने के बाद तेंदुए ने कैंट परिसर की एक निर्माणाधीन इमारत में शरण ली और मजदूरों को घायल कर दिया। बुधवार खबर लिखे जाने तक तेंदुए को पकड़ने का हर प्रयास वन विभाग की टीम कर रही थी तो वहीं तेंदुआ हर कोशिश को धता बता रहा था। मुश्किल की बात यह है कि महज 20 कदम की दूरी पर 'सदा विजय 60' यूनिट के 250 परिवार रह रहे हैं तो आसपास बड़ा रिहायशी इलाका।

साढ़े 12 बजे लगाया नेट

करीब नौ बजे पहुंची वन विभाग की टीम ने मिलिट्री की मदद से साढ़े 12 बजे जाल से क्षतिग्रस्त इमारत को कवर किया। डीएम पंकज यादव और एसएसपी डीसी दूबे मौके पर मौजूद थे। करीब एक बजे पहुंची डीआईजी लक्ष्मी सिंह ने ऑपरेशन को लीड किया। करीब दो बजे टीम ने परिसर को दोहरे नेट से ढंक दिया। तेंदुए को पकड़ने के लिए शिकंजे को एक ओर लगाया गया तो वहीं प्लास्टिक का नेट लेकर वन विभाग की टीम मुस्तैद दी। डब्ल्यूटीआई की समेत वन विभाग की टीम का नेतृत्व डीएफओ मनीष मित्तल कर रहे थे।

40 वन्यकर्मी तैनात

डीएफओ ने बताया कि जनपद मेरठ के अलावा हापुड़, बुलंदशहर एवं पड़ोसी जनपद से 40 वन्यकर्मियों को इस रेस्क्यू अभियान ने शामिल किया है। वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की दुधवा नेशनल पार्क से आई चार सदस्यीय टीम के अलावा कानपुर से एक टेक्निकल स्टॉफ तैनात है।

एसएसपी के निर्देश पर 250 पुलिसकर्मी इस पूरे अभियान में तैनात किए गए हैं। शहर के रियायशी इलाकों के आठ प्वाइंट पर विशेष निगरानी के निर्देश दिए गए हैं। डीएम पंकज यादव ने बताया कि एक मजिस्ट्रेट की तैनाती मौके पर की गई है तो वहीं शहर की जनता के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। घरों के खिड़की-दरवाजे बंद रखें। बच्चों को बाहर न निकलने दें।

बाहर निकलने का इंतजार

डीएफओ ने बताया कि परिसर में टूटा फर्नीचर रखा है। तेंदुए के बरामदे में आने का इंतजार किया जा रहा है। देर रात्रि स्मोक कर तेंदुए को दूसरी ओर लाने का प्रयास किया गया तो वहीं केज में मीट रखा गया। खबर लिखे जाने तक वन विभाग की टीम के अभी तक के प्रयास असफल रहे हैं। तेंदुआ परिसर में दहाड़ रहा है, शाम पांच बजे एक बार छलांग मारकर उसने अपनी मौजूदगी को दर्शाया है। डब्ल्यूटीआई की टीम का भी मानना है कि अब टै्रंकुलाइजर हडबड़ाहट में नहीं किया जाएगा, पहले उसकी स्थिति को देखा जाएगा। जद में आने पर ही उसे ट्रैंकुलाइज्ड किया जाएगा। वेट एवं वॉच की स्थिति परिसर में कायम थी तो देर रात्रि आर्मी की ओर से लाइटिंग का बंदोबस्त करा दिया गया।

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भई वाह! अपंग है हमारा 'वन विभाग'

-वाइल्ड एनीमल रेस्क्यू ऑपरेशन में पूरी तरह फेल वन विभाग

-डब्ल्यूटीआई ही एकमात्र सहारा, सूबे में होती है आए दिन घटनाएं

मेरठ: वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूटीआई) जी हां! यहीं वो सेंट्रल की एजेंसी है, जिसके कंधों पर मेरठ का तेंदुआ रेस्क्यू ऑपरेशन का दारोमदार है। यूपी गर्वमेंट और केंद्र की एजेंसी डब्ल्यूटीआई के बीच एक एमओयू साइन हुआ है। इस एमओयू के तहत सूबे के किसी भी हिस्से में वाइल्ड एनीमल को रेस्क्यू करने के लिए डब्ल्यूटीआई टेक्निकल सपोर्ट देगा। मजे की बात है कि सूबे में वन विभाग के पास ट्रैंकुलाइजर तो हैं किंतु टेक्निकल की टीम नहीं है तो उसे चला सके।

टीम में शामिल एक्सपर्ट

चार सदस्यीय डब्ल्यूटीआई की टीम में एक बायोलॉजिस्ट, एक वेटिनेरियन, एक सोशियोलॉजिस्ट और एक एनिमन केयर ऑफीसर शामिल है। तेंदुए को मिलिट्री हॉस्पीटल में भी डब्ल्यूटीआई की टीम ने ट्रैंकुलाइज्ड किया था। जेसीओएस क्लब में भी डब्ल्यूटीआई की टीम ही ट्रैंकुलाइज्ड गन के साथ परिसर के बाहर तैनात थी। डब्ल्यूटीआई का हेड ऑफिस दिल्ली में है।

मेरठ में हो तकनीकी टीम

मौके पर मौजूद डीएम ने एक टेक्निकल टीम की कमी का अहसास किया और आई नेक्स्ट को बताया कि वन विभाग के पास कुछ ऐसा टेक्निकल स्टॉफ अवश्य हो जो आपात स्थिति को नियंत्रित कर सके। उन्होंने कहा कि वेस्ट रीजन में जंगल अधिक हैं, दुधवा की तरह मेरठ में भी या तो सेंट्रल की टीम या स्टेट की एस्पर्ट टीम को होना चाहिए। उन्होंने शासन से इस संबंध में बात करने के लिए कहा है। ईस्ट, मिड यूपी, बुंदेलखंड में भी एक्सपर्ट की टीमों की सिफरिश डीएम ने की।

विचाराधीन है प्रपोजल

डीएफओ मनीष मित्तल ने बताया कि वेस्टर्न जोन के लिए मेरठ में एक टीम को स्थापित करने का प्रस्ताव शासन में विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि मेरठ के पास ट्रैंकुलाइजर तो है किंतु टेक्निकल न होने से हम आपात स्थिति में डब्ल्यूटीआई की टीम पर निर्भर हैं। प्रपोजल में एक्सपर्ट आर्गेनाइजेशन के वन विभाग की साझेदारी से ऐसे उपकरण और टेक्निकल टीम को जुटाने का प्रस्ताव भी शामिल है।