माघी पूर्णिमा पर संगम स्नान को आए लोगों को कई किलोमीटर तक चलना पड़ा पैदल

रास्ते की जानकारी नहीं होने से भीड़ में हलकान हुए कुंभ में शामिल होने आए श्रद्धालु

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PRAYAGRAJ: पिछले स्नान पर्व की तरह ही माघी पूर्णिमा स्नान पर भी लोगों का हुजूम कई दिनों से संगम नगरी प्रयागराज पहुंचने का सिलसिला जारी था। मंगलवार को स्नान पर्व के अवसर पर भी लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने संगम तट समेत गंगा व यमुना के जल में पुण्य की डुबकी लगाई। इस दौरान शहर में पहुंचने वालों को सबसे अधिक समस्या पैदल यात्रा ने दिया। भीड़ को कंट्रोल करने के लिए प्रशासन व पुलिस के जवानों ने भी लोगों को खूब पैदल चलवाया। इसके कारण श्रद्धालुओं को कम से कम दस किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा।

स्टेशन से संगम तक पैदल

संगम स्नान के बाद बस का इंतजार कर रहे यात्रियो ने बताया कि इलाहाबाद जंक्शन से पैदल ही उन्हें संगम तक का सफर करना पड़ा। कई स्थानों पर भीड़ बढ़ने के कारण पुलिस के जवानों ने उन्हें दूसरे रास्ते की ओर घुमा दिया। इससे उनको पहले के मुकाबले अधिक पैदल चलना पड़ा। नोएडा से दोस्तों के सग संगम स्नान को पहुंचे गौरव बताते है कि वह पहली बार प्रयागराज आए थे। उन्हें रास्तों के बारे में भी सही तरीके से नहीं पता था। ऐसे में पुलिस के लोगों ने जिधर घुमाया उधर ही घूम गए। इसके कारण उन्हें करीब 14 से 15 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा। भीड़ के साथ बस स्टेशन से निकल लिए और घूमते-घूमते संगम पहुंचे। वहां डुबकी लगाने के बाद भी पैदल ही सिविल लाइंस तक आए।

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प्रयागराज में सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए आज ही मुम्बई से आया हुं। स्टेशन से पैदल ही आना पड़ा, कोई वाहन नहीं मिला। अभी बैंक रोड जाना है क्योंकि वहां दोस्त का घर है और वहीं कुछ दिन रुकने का प्रोग्राम है। लेकिन दिक्कत ये है कि वहां जाने का रास्ता भी नहीं पता है।

अमित गुप्ता, मुम्बई

बाकी सब तो अलग बात है, लेकिन जितना आज पैदल चला, नोएडा में कभी इतना पैदल नहीं चलना पड़ा। ऊपर से धूप ने भी हालत खराब कर दी है।

गौरव, नोएडा

दोस्त की शादी फाफामऊ में है। सोचा इसी बहाने संगम में स्नान करने का मौका भी मिल जाएगा। लेकिन पैदल चलते-चलते झेलना पड़ गया। कोई भी मदद करने वाला नहीं मिला।

धर्मेन्द्र यादव, नोएडा

कम से कम रास्ता बताने वाला तो कोई होता। पहली बार यहां आए हैं। सुबह सात बजे इलाहाबाद जंक्शन पहुंचे। इसके बाद पैदल ही चल रहे हैं। भीड़ जिधर घूमती गई। हम सब भी उधर ही घूमते गए। पैदल चलते चलते हालत पस्त हो गई।

ललित कुमार, नोएडा

कुम्भ नहाने का बहुत मन था। इसीलिए यहां मार्निग में ही आए थे। भीड़ में पैदल चलते-चलते कई लोग बिछड़ गए। उनका ही इंतजार कर रहे हैं। कोई मदद करने वाला नहीं मिला।

शिशु पाल शर्मा, धौलपुर

हम तो यहीं रहकर तैयारी कर रहे हैं। फैमली मेंबर्स संगम नहाने आए थे। कोई साधन नहीं मिला जिससे संगम के पास तक जा सकें। ऐसे में घरवालों को पैदल ही स्नान कराकर लौटे हैं।

कृष्णा, गोंडा

पांच बजे कार से फाफामऊ तक पहुंचे थे। वहां पार्किंग में कार छोड़कर शटल बस से सिविल लाइंस पहुंचे। इसके बाद से पैदल ही चल रहे हैं। कन्वेंस की व्यवस्था और अच्छी करनी चाहिए थी प्रशासन को।

प्रहलाद सिंह, उधम सिंह नगर, उत्तराखंड

कुम्भ में सभी व्यवस्था बेहद अच्छी थी, लेकिन पैदल खूब चलाया प्रशासन ने। हम तो किसी तरह 12 किलोमीटर के करीब चल लिए, लेकिन रास्ते में देखा कि बुर्जूगों को बहुत परेशानी उठानी पड़ी।

विजय सिंह, उत्तराखंड