सनातन परंपरा के साथ-साथ शाही अंदाज में निकली श्री शंभू अटल अखाड़ा की पेशवाई

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PRAYAGRAJ: कुंभ मेला में अपनी-अपनी छावनी में पूरी भव्यता के साथ पेशवाई के जरिए प्रवेश करने का सिलसिला गुरुवार को भी जारी रहा। इसमें एक बार फिर सनातन परंपरा का निवर्हन करते हुए श्री शंभू अटल अखाड़े द्वारा पेशवाई निकाली गई। पेशवाई के दौरान जहां बक्शी त्रिमुहानी से लेकर त्रिवेणी मार्ग के बीच के पांच किमी मार्ग पर जगह-जगह गन शाट से संत-महात्माओं के ऊपर गुलाब के फूलों की पंखुडि़यां बरसाई गई। वहीं अपने-अपने घरों की छत पर खड़े जनमानस ने भी संतों पर पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत किया।

भाला, त्रिशूल के साथ नागा संन्यासी

अखाड़े की पेश वाई बक्शी त्रिमुहानी से सुबह दस बजे के लगभग छावनी में प्रवेश करने के लिए निकली। पेशवाई का मुख्य आकर्षण नागा संन्यासियों का करतब रहा। दारागंज निराला चौराहा, मोरी मार्ग व विद्युत शवदाह गृह के बीच जितनी बार गन शाट से गुलाब के फूलों की पंखुडि़यां बरसाई जाती रही उतनी बार और उतनी ही तीव्र गति से नागा संन्यासियों का समूह भाला और त्रिशूल लेकर अपना करतब दिखाता हुआ गुजरता रहा। संन्यासियों ने पेश वाई मार्गो पर कभी हवा में तो कभी अपनी जीभ पर त्रिशूल रखकर ऐसा करतब दिखाया कि वहां मौजूद जनमानस ने उन पलों को अपने कैमरे में कैद कर किया।

शाही बैंड ने बांधा समां

पेशवाई के लिए हरिद्वार और सहारनपुर से दो-दो शाही बैंड को आमंत्रित किया गया था। इन शाही बैंड की धुनों पर बोल राधा बोल तूने ये क्या किया, गंगा मइया में जब की पानी रहे, मां तुझे सलाम-मां तुझे सलाम, वंदे-मातरम्-वंदे मातरम्, कुछ याद करो अपना पवनसुत ओ बालपन, हर-हर महादेव जैसे गीतों की प्रस्तुति से समां बांधा। यही नहीं पेशवाई के मार्गो पर नागा संन्यासियों के द्वारा लगातार हर-हर महादेव का जयकारा भी लगाया जाता रहा।

महत्वपूर्ण तथ्य

- जम्मू-कश्मीर के वेद विद्यालय से आए सौ बच्चे पीला वस्त्र पहनकर ढोल मजीरा बजाते रहे तो काशी व हरिद्वार से आए अटल अखाड़े के एक दर्जन संत-महात्मा चांदी की छड़ी लेकर चल रहे थे।

- आधा दर्जन घोड़ों पर सवार होकर चल रहे नागा संन्यासी डमरू बजाते हुए चल रहे थे। तीन ऊंट और दो हाथी पर बैठकर नागा संन्यासी भाला लेकर करतब दिखाते चल रहे थे।

दही और गुड़ खाकर निकाली पेशवाई

बक्शी त्रिमुहानी के बगल में स्थित अखाड़े के मुख्यालय से पेशवाई निकालने से पहले संत-महात्माओं और महामंडलेश्वरों ने देव प्रसाद के रूप में दही व गुड़ खाया। इसके बाद शंखनाद करते हुए ध्वज-पताकाओं की रंगबिरंगी लड़ी के साथ पेशवाई का आगाज किया गया। अखाड़े की पेशवाई में महामंडलेश्वर महेश्वरानंद सरस्वती, महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती, महामंडलेश्वर चंद्रशेखरानंद सरस्वती सहित दर्जनों श्री महंत शामिल रहे।