- विधानसभा में बरामद पाउडर के विस्फोटक होने पर उठे सवाल

- आगरा फॉरेंसिक लैब की कथित जांच में बरामद पाउडर पीईटीएन न होने की खबर को सरकार ने बताया गलत

- अलग-अलग बयानों से गहराया शक, अधिकारियों ने साधी चुप्पी

LUCKNOW :

बजट सत्र के पहले दिन विधानसभा में विपक्षी नेताओं की कुर्सी के नीचे बरामद पाउडर पीईटीएन था या नहीं, इस पर संशय गहरा गया है। आगरा फॉरेंसिक लैब से छन-छन कर आती खबरों ने बरामद पाउडर के विस्फोटक होने पर सवाल खड़ा किया तो सरकार ने इस खबर को गलत बता दिया। प्रारंभिक जांच के बाद आगरा फॉरेंसिक लैब को इस पाउडर की कंफरमेट्री जांच के लिये भेजे जाने का दावा करने वाले अधिकारी भी चुप्पी साध गए। वहीं, देरशाम मीडिया से मुखातिब हुए होम सेक्रेटरी और आईजी एटीएस ने भी आगरा एफएसएल से किसी रिपोर्ट के मिलने की खबर को गलत बताया। हालांकि, वे मीडिया के कई सवालों से बचते भी दिखे।

प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर बढ़ाई सुरक्षा

पीईटीएन मामले को लेकर मंगलवार दिनभर चली चर्चाओं के बीच शाम को एनेक्सी स्थित मीडिया सेंटर में होम सेक्रेटरी भगवान स्वरूप और आईजी एटीएस असीम अरुण मीडिया से मुखातिब हुए। दोनों अधिकारियों ने बताया कि विधानसभा में बरामद पाउडर को लखनऊ एफएसएल ने प्रारंभिक जांच के बाद पीईटीएन होना पाया था। इसी रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने विधानसभा की सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने को लेकर तमाम कदम उठाए।

आगरा लैब नहीं भेजा सैंपल

पाउडर को आगरा फॉरेंसिक लैब भेजे जाने के सवाल पर आईजी एटीएस ने कहा कि संदिग्ध पाउडर को सिर्फ लखनऊ फॉरेंसिक लैब भेजा गया था। अब आगे की जांच लखनऊ फॉरेंसिक लैब कहां से कराती है, यह उसका विषय है। इसके बारे में पूछताछ करना पुलिस एजेंसी के अधिकार में नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ जगहों पर चर्चा है कि आगरा फॉरेंसिक लैब ने संदिग्ध पाउडर के पीईटीन होने से इंकार किया है, यह बेबुनियाद है। ऐसा कोई सैंपल उनकी ओर से आगरा फॉरेंसिक लैब भेजा ही नहीं गया।

दूसरी लैब से भी कराएंगे टेस्ट

आईजी असीम अरुण ने बताया कि यूपी एटीएस में इन्वेस्टिगेशन का प्रोटोकॉल है कि कहीं भी एक्सप्लोसिव या संदिग्ध पदार्थ पाया जाता है कि तो उसकी दो फॉरेंसिक लैब में जांच कराई जाती है। विधानसभा में संदिग्ध पाउडर बरामद होने के बाद उसे लखनऊ फॉरेंसिक लैब भेजा गया था। लेकिन, इसकी प्रारंभिक रिपोर्ट आने के बाद मामले की जांच एनआईए को सौंपने की घोषणा की वजह से इसके सैंपल को दूसरी लैब में नहीं भेजा गया। चूंकि एनआईए द्वारा जांच टेकअप करने में देरी हो रही है, इसलिए अब यूपी एटीएस जल्द इस पाउडर को जांच के लिये दूसरी लैब में भी भेजेगी।

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सवाल जिनके जवाब नहीं सूझे

ब्रीफिंग के दौरान दोनों ही अधिकारी बैकफुट पर नजर आए। कुछ सवालों को अधिकार क्षेत्र में न होने की बात कहकर टाल दिया तो कुछ सवालों के जवाब उन्हें सूझे ही नहीं। प्रस्तुत हैं ऐसे ही कुछ सवाल-

सवाल-1 यूपी पुलिस की वेबसाइट में साफ उल्लिखित है कि अगर कहीं संदिग्ध एक्सप्लोसिव पाया जाएगा तो उसे जांच के लिये आगरा फॉरेंसिक लैब भेजा जाएगा, फिर इस मामले में ऐसा क्यों नहीं हुआ?

सवाल-2

- अगर यूपी पुलिस के मुताबिक संदिग्ध एक्सप्लोसिव की जांच के लिये आगरा फॉरेंसिक लैब निर्धारित है तो फिर प्रमुख सचिव गृह द्वारा मंगलवार सुबह ये क्यों कहा गया कि आगरा फॉरेंसिक लैब में एक्सप्लोसिव की जांच करने के उपकरण मौजूद नहीं है?

सवाल-3

सिर्फ प्रारंभिक जांच की रिपोर्ट मिलने पर इस घटना को आतंकवाद से जोड़ना कहां तक उचित है, क्या कंफरमेट्री रिपोर्ट का इंतजार नहीं किया जाना चाहिये था?

सवाल-4

- लखनऊ फॉरेंसिक लैब में जब एक्सप्लोसिव जांचने के उपकरण ही नहीं हैं तो फिर संदिग्ध पाउडर को वहां जांच के लिये क्यों भेजा गया?

सवाल-5

- लखनऊ फॉरेंसिक लैब के डायरेक्टर पर बिहार में करप्शन के मामले चल रहे हैं। एक मामले में फर्जी रिपोर्ट तैयार करने में उन्हें चार्जशीट भी किया गया है। ऐसे अधिकारी की रिपोर्ट पर कितना भरोसा किया जा सकता है?

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प्रमुख सचिव गृह ने संभाला मोर्चा

आगरा एफएसएल द्वारा जारी कथित रिपोर्ट में बरामद पाउडर के पीईटीएन न होने की खबर पर मंगलवार को प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने भी मोर्चा संभाला। सोशल मीडिया पर पोस्ट किये गए मैसेज में उन्होंने कहा कि आगरा एफएसएल की जांच रिपोर्ट से संबंधित जो चर्चा चल रही हैं वह निराधार हैं। आगरा एफएसएल को जांच के लिये कोई सैंपल भेजा ही नहीं गया। उन्होंने आगे लिखा कि आगरा एफएसएल में एक्सप्लोसिव की जांच करने के न तो उपकरण हैं और न ही सुविधा। प्रमुख सचिव ने इस पोस्ट में लखनऊ स्टेट फॉरेंसिक लैब द्वारा दी गई प्रारंभिक रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए बताया कि संदिग्ध पाउडर की इंफ्रारेड स्पेक्ट्रम और गैस क्रोमाटोग्राफी-मास स्पेक्ट्रम विधि से कंफरमेट्री जांच की जा रही है।

कोट

संदिग्ध पाउडर को सिर्फ लखनऊ फॉरेंसिक लैब भेजा गया था। अब आगे की जांच लखनऊ फॉरेंसिक लैब कहां से कराती है, यह उसका विषय है। इसके बारे में पूछताछ करना पुलिस एजेंसी के अधिकार में नहीं है।

-असीम अरुण, आईजी, एटीएस

कोट

इस पूरे मामले में विधि विज्ञान प्रयोगशाला, लखनऊ के अधिकारियों से समय से और गुणवत्तापरक रिपोर्ट मांगी गई है। प्रयोगशाला के प्रभारी का काम एडीजी (टेक्निकल सुपरवाइजर) के पास है। उनसे जवाब मांगा गया है।

- भगवान स्वरूप, सचिव गृह