कुछ ऐसी है जानकारी
बताया गया है कि इस क्रम में शुक्रवार दोपहर से ही राजधानी में करीब आधा दर्जन पंपों पर पेट्रोल और डीजल की बिक्री को बंद कर दिया गया था. बंद किए गए इन पंपों में पॉलीटेक्निक चौराहे, एच ए एल और गोमती नगर के पेट्रोल पंप प्रमुख रहे. यह हाल सिर्फ लखनऊ का ही नहीं है, बल्कि लखनऊ जैसा हाल प्रदेश के अन्य जिलों में भी देखा गया है.

करीब एक महीने से है ये हाल
बताते चलें कि लखनऊ में इस तरह से पेट्रोल और डीजल की किल्लत करीब एक महीने से है. वहीं शुक्रवार को रेलवे से रैक न पहुंचने के कारण दिक्कत ने और भी विकराल रूप ले लिया. इसको लेकर इंडियन ऑयल के अधिकारियों ने जानकारी दी है कि मथुरा रिफाइनरी से चली रैक 24 घंटे तक टुंडला में आकर खड़ी हो गई. इस वजह से गुरुवार को राजधानी के पेट्रोल पंपों को इसकी सप्लाई नहीं की जा सकी.

ये भी हो सकती है वजह
वहीं यह भी बताया गया है कि पूरे प्रदेश में बिजली की जबरदस्त किल्लत चल रही है. इसकी वजह से जनरेटर भी खूब चल रहे हैं. इसके तहत डीजल की मांग में करीब 20 फीसदी कमी हो जाती है. गौर करें तो सिंचाई के लिए पंप चलाने में भी डीजल का इस्तेमाल ही किया जाता है. इनके अलावा इसकी किल्लत की एक और वजह ये भी है कि कई शहरों के पास स्थित डिपो में डीजल और पेट्रोल का स्टॉक तक उपलब्ध नहीं है. इस स्थिति में वहां के पेट्रोल पंप दूर के डिपो से ईंधन मंगवा रहे हैं. ये वो डिपो हैं जहां से स्टॉक को लाने में ज्यादा समय लग जाता है.

निजी कंपनियों की ली जा रही है मदद
पेट्रोल-डीजल की कमी पर लगाम लगाने के लिए निजी कंपनियों तक की मदद ली जा रही है. इसको लेकर कंसोर्सियम ऑफ पेट्रोलियम डीलर्स के अध्यक्ष बी एन शुक्ला ने जानकारी दी है कि इस तरह की विकट समस्या का निदान ढूंढने के लिए निजी कंपनियों की भी मदद ली जा रही है. लखनऊ के लिए इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम व हिन्दुस्तान पेट्रोलियम की रिफाइनरी से कम पेट्रोलियम उत्पाद मिल रहा है. ऐसे में कानपुर से 40 किलोमीटर दूर स्थित रिलायंस के डिपो से भी पेट्रोल और डीजल की सप्लाई की जा रही है.

सिर्फ लखनऊ या दिल्ली ही नहीं जूझ रहे
पेट्रोल और डीजल की यह किल्लत सिर्फ लखनऊ या दिल्ली में नहीं है, ये हाल यूपी के अलावा गुजरात और दक्षिण के राज्यों में भी है. पेट्रोल और डीजल की कमी को लेकर खड़ी हुई यह समस्या ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की रणनीति पर भी सवालिया निशान है. इस पूरे मामले को लेकर पेट्रोलियम एसोसिएशंस का का कहना है कि उन्होंने लॉजिस्टिक्स की इतनी बड़ी दिक्कत प्रॉडक्शन के साथ अब तक तो फिलहाल नहीं देखी. उनके अनुमान से ये पहला मामला है.

क्या कहते हैं अधिकारी
इस समस्या को लेकर कंर्सोसियम ऑफ पेट्रोलियम डीलर्स के अध्यक्ष बी एन शुक्ला ने बताया कि ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि पेट्रोल और डीजल की ये किल्लत 10 दिन में दूर हो जानी चाहिए. इसके मद्देनजर बंद रिफाइनरीज से उत्पादन को शुरू कर दिया गया है. इसके साथ ही लॉजिस्टिक्स की समस्या को भी दूर किया जाएगा. इस तरह से स्थिति को एक बार फिर से सामान्य कर दिया जाएगा.

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