- हर क्लास की फैमिली पर पड़ रहा असर

आगरा। ईंधन के आसमान छूते दामों का फर्क हर क्लास पर जाने-अनजाने रूप में पड़ रहा है। इससे हायर फैमिली भी अछूती नहीं हैं। उन्हें दो-चार रुपये के बढ़ते दामों से भले ही जेब में फर्क नहीं पड़ रहा हो, लेकिन पेट्रोल और डीजल के दामों में रोज-रोज के उतार-चढ़ाव ने खीझ पैदा कर दी है। वहीं एक मध्यमवर्गीय परिवार के लिए इन बढ़े दामों की कीमतों ने जनजीवन में प्रभाव डाला है। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने इसी मुद्दे को लेकर शहरवासियों की राय जानने की कोशिश की। पेश है एक खास रिपोर्ट-

पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों पर बातचीत शुरू की गई, तो उद्यमी सौरभ जसौरिया ने खास रूचि नहीं दिखाई। उन्होंने यह कहते हुए टाल दिया कि ड्राइवर को रुपये देते हैं। वह भरवा लेता है। फिर पेट्रोल के दाम 80 हो या 100. जेब में कोई फर्क नहीं पड़ता है। पर जैसे ही हर दिन दामों के उतार-चढ़ाव पर बात चालू की गई, तो उनकी खीझ निकल पड़ी। उन्होंने कहा कि बचपन से अब तक पेट्रोल के भाव में हर दिन बदलाव नहीं देखा। पहले साल-दो साल में एक बार दाम बढ़ते थे। उसके रेट भी रात 12 बजे जारी होते थे। अब हाल ये है कि सोना-चांदी, अनाज की तरह हर रोज भाव बदल रहे हैं। वह भी हर शहर का हर दिन अलग-अलग होता है। इन रेट के लिए अब सिर्फ पेपर पढ़ा जाए, फिर रेट भी चार बड़े नगरों के दिए जाते हैं। हमें कैसे मालूम होगा कि आगरा में पेट्रोल रेट क्या है? ट्रैवल्स का भी काम है। ड्राइवर को हिसाब-किताब से ही रुपये दिए जाते हैं। ऐसे में जिस दिन पेट्रोल की कीमत नहीं देखी गई। वह उसी दिन कम लेकर आता है और पूछने पर बढ़े दाम की पर्ची थमा देता है। इससे टूर में फर्क पड़ता है। इस उलझन से मानसिक परेशानी बढ़ती है और समय की बर्बादी होती है। उद्यमी जसौरिया का देशभर में पेट्रोल के दामों के अलग-अलग रेट पर भी गुस्सा है। वे कहते हैं कि कम दाम के पंप स्टेशन में पेट्रोल भरवाने के लिए लंबा सफर तय करते हैं। इस सफर के दौरान आंख पेट्रोल की सुई और पेट्रोल पंप की तलाश में घूमती रहती हैं। इससे दिमाग डिस्टर्ब रहता है, जिससे संतुलित गाड़ी नहीं चल सकती है। उनका मानना है कि एक देश में एक दाम होना चाहिए। साथ ही दामों को बढ़ाने के साथ पेट्रोल पंप में बेहतर सुविधाएं (साफ-सुथरे टॉयलेट, पेयजल, पार्किग, एयर) भी मुहैया कराई जाएं। ये पब्लिक की जरूरतें हैं और सुरक्षित यात्रा के कारण भी।

जीएसटी के दायरे में लाएं

सूर्यनगर कोठी नंबर 5 निवासी राम शर्मा इवेंट मैनेजमेंट व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। उन्हें कार्यक्रम को लेकर अक्सर शहर से बाहर भी जाना पड़ता है। पूरा बिजनेस उन्हें पेट्रोल के दामों के बढ़ने का लॉजिक समझ में नहीं आता है। उनका कहना है कि बैरल के रेट के हिसाब से पेट्रोल की कीमत महज 50 रुपये होनी चाहिए, फिर दाम क्यों बढ़े? वे यहीं नहीं रुके, दामों के बढ़ने को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि हर रोज पेट्रोल के दाम चुपचाप बढ़ा दिए जा रहे हैं। बढ़ने का औसत रुपये में होता है, जबकि कमी महज कुछ पैसे की होती है। बढ़ते पेट्रोल दामों के चलते लंबी यात्रा के दौरान एसी बंद करके हिसाब बराबर करने की कोशिश करते हैं। वहीं अब तीन गाडि़यों में एक गाड़ी कम कर दी है। इवेंट कॉ-आर्डिनेटर राम शर्मा का कहना है कि पेट्रोल-डीजल को भी जीएसटी के दायरे में लाना चाहिए। इससे पब्लिक को राहत मिलेगी।

पेट्रोल के भाव बढ़ा रहे चिड़चिड़ापन

पेट्रोल के बढ़ते दामों की बात करते ही मॉडल आलिया हुसैन के स्वर तेज हो जाते हैं। वे तपाक से बोल उठती हैं कि हर रोज पेट्रोल के दाम बढ़ाने का क्या लॉजिक है? घर से खास काम का प्लान लेकर निकलते हैं। पेट्रोल पंप में फ्यूल डालते वक्त हिसाब-किताब में किचकिच हो जाती है। डीलर का कहना होता है कि आज के रेट बढ़ गए हैं, जबकि हमें दो दिन पहले की याद होती है। ऐसे में हर रोज पेट्रोल के दामों के उतार-चढ़ाव की बात दिमाग से मिस होते ही ये झिकझिक तनाव दे देती है। काम से पहले डिस्टर्बेस पूरे दिन को प्रभावित करता है।