एक बड़ी ऊर्जा कंपनी के तथाकथित अधिकारी के हाथों मंत्रालय की जानकारी बेचने के आरोप में गिरफ्तार पेट्रोलियम मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ सरकार ने सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. इस सिलसिले में अब तक सात लोग अरेस्ट किए जा चुके हैं. पेट्रोलियम मिनिस्ट्री के डॉक्युमेंट लीक करने के मामले केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि अगर उनके मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ गोपनीय कागजात देने के आरोप साबित हुए तो उनके खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी. सरकार इस बारे में कोई भी कोताही बरतने नहीं जा रही है.

जानकारों का कहना है कि पेट्रोलियम मंत्रालय पिछले 15 सालों से निजी क्षेत्र की ऊर्जा कंपनियों के बीच आपसी लड़ाई का मैदान बना हुआ है. इसकी शुरुआत 2002 में तब हुई थी जब राजग सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत नियंत्रण को पहली बार समाप्त किया था और निजी क्षेत्र को खुदरा बिक्री केंद्र खोलने की इजाजत दी थी. इसके साथ ही देश में तेल व गैस ब्लाक खोजने व उत्खनन के लिए भी सरकार ने नई नीति जारी की थी. इससे निजी क्षेत्र को देश में निविदा के जरिये तेल व गैस ब्लाक खोजने का काम दिया जाने लगा था. इन दोनों वजहों से देशी व विदेशी निजी कंपनियों के बीच पेट्रोलियम मंत्रालय से सूचना हासिल करने की होड़ मच गई. कहा जाता है कि एक कंपनी ने मंत्रालय के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की मिलीभगत से हर कैबिनेट नोट को मंत्री के पास पहुंचने से हासिल करने की व्यवस्था की थी.
 
मंत्रालय के कॉरिडोर में आम तौर पर देखे जाने वाले कई लोगों को वहां के अधिकारी व अन्य कर्मचारी अच्छी तरह से पहचानते थे कि वह किस कंपनी का प्रतिनिधि है. इन पर पहली बार रोक लगाने का काम पूर्व पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी ने किया था. कई बार कंपनियों के प्रतिनिधि मंत्रालय के कागजात हासिल कर उसे अन्य पत्रकारों के बीच भी वितरित करते थे ताकि मनमाफिक खबरें प्रकाशित करवाई जा सके. अरेस्ट किए गए लोगों में पांच अन्य के साथ दो पेट्रोलियम मिनिस्ट्री के इंप्लायी हैं.

और भी हैं विभागों में जासूसी के मामले

माधुरी गुप्ता: इंडियन डिप्लोमेट माधुरी गुप्ता का नाम ऐसे लोगों में टॉप पर लिया जा सकता है जो हनी ट्रैप का शिकार बनीं. माधुरी को पाकिस्तान के लिए स्पाइंग करने के आरोप में अरेस्ट किया गया था.

सुखजिंदर सिंह: अपनी 2005 से 2007 के दौरान रूस में पोस्टिंग के दोरान नेवल ऑफीसर सिंह पर एक रशियन महिला के प्यार में डूब कर कांफीडेंशियल इंफार्मेशन लीक करने का आरोप लगा था.

मनमोहन शर्मा: रिसर्च और एनेलेसिस विंग ऑफीसर शर्मा पर 2008 में चीन की एक लेंग्वेज टीचर के प्यार में पड़ कर दोनों कंट्रीज की बॉर्डर टॉक्स से रिलेटेड रिर्पोटस इंधर उणर करने का संदेह किया गया था.

रवि नायर: इसी तरह रवि नायर को भी हांगकांग से वापस बुलाया गया क्योंकी वे एक चाइनीज महिला के साथ लिव इन रिलेशन में थे और संदेह था किवे उसे कांफीडेशियल इंफार्मेशन पास कर रहे हैं. नायर को कोलंबो पोस्टिंग के बावजूद इस महिला के साथ दोबारा रहने पर श्रीलंका से इंडियन हाई कमीशन की शिकायत पर वापस बुलाना पड़ा.

रबिंदर सिंह: इंडियन इंटैलिजेंस सर्विस रॉ से रिलेटेड अधिकारी थी जिन पर अमेरिकी एजेंसी सीआईए के लिए काम करने का शक किया गया और बात में वो रॉ छोड़ कर सीआईए में स्विच कर गयीं इससे पहले की इंडियन एंजेंसी उन पर कोई एक्शन ले पाती. 

अशोक साठे: रॉ के ही एक बेहद सीनियर अधिकारी के पर्सनल असिस्टेंट साठे अचानक लंदन में गायब हो गए और उन पर शक है कि वे भी यूएस की इंटेलिजेंस ऐजेंसी में शामिल हो गए. ईरान में स्थित एक रॉ के आफिस को जलाए जाने के इंसीडेंट के पीछे साठे का ही हाथ बताया जाता है.

आजाद भारत के साथ ऐसे हादसों की एक लंबी फेहरिस्त जुड़ी है जिसमें सपाइंग के मामलों में इंटरनल हाथ होने की बात सामने आयी है. इनफैक्ट ऐसी बातें इंडिया के फर्स्ट प्राइम मिनिस्टर जवाहरलाल नेहरू के टाइम से उनके ऑफिस में रशियन इंटेलिजेंस उजेंसी केबीसी के मोहरे होने की बात कही जाती रही है.

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