RANCHI : रांची की सड़कों पर दौड़ रही बेहिसाब गाडि़यों से धुआं नहीं जहर निकल रहा है। यह न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य को बिगाड़ रहा है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी खतरा है। सिटी के कांटाटोली, अपर बाजार, रातू रोड, लालपुर चौक, बूटी मोड़, लाल लाजपत राय चौक और अल्बर्ट एक्का चौक के पास जाम की समस्या के साथ एयर पॉल्यूशन का ग्राफ भी मानक सीमा को पार कर चुका है। इतना ही नहीं, जाम में गाडि़यों के फंसी रहने से पेट्रोल-डीजल की भी काफी बर्बादी हो रही है।

दो लाख के पेट्रोल-डीजल की बर्बादी

राजधानी की बात करें तो अलग-अलग चौक-चौराहों पर लगने वाले जाम में पांच-दस मिनट तक गाडि़यों के फंसे रहने से करीब दो लाख का डीजल-पेट्रोल यूं ही जलकर बर्बाद हो जाता है। कांटाटोली चौक की बात करें तो यहां पीक आवर के दौरान एक मिनट मे 30 दुपहिया और चार पहिया वाहन निकलते है। इस हिसाब से एक घंटे मे 600 वाहन औसतन गुजरते है। 12 घंटे मे कांटा टोली चौक से औसतन 7200 वाहन गुजरती है। अगर आधे घंटे का जाम लगता है तो 7200 गाडि़यों से करीब 38,880 रूपए का डीजल जल जाता है। यह डाटा सिर्फ कांटाटोली चौक का है। राजधानी के सभी चौक चौराहो के डेटा को जोड ले तो करीब 2 लाख रूपए से अधिक डीजल और पेट्रोल सिर्फ जाम में वाहनों के फंसे होने से बर्बाद हो रही है।

हर साल तीन हजार नई गाड़ी

डीटीओ ऑफिस में हर साल तीन हजार नई गाडि़यों का रजिस्ट्रेशन होता है। दूसरे जिलों और राज्यों से भी रजिस्टर्ड होकर हजारों गाडि़यां रांची आती है। करीब 25 हजार गाडि़यां 15 साल मे दूसरे जिले और राज्यों से रजिस्ट्रेशन होकर रांची मे है। करीब 75 हजार गाडि़यां रांची मे है। ऐसे में गाडि़यों की तादाद जिस तेजी से बढ़ी है, वह वायु प्रदूषण का भी कारण बना हुआ है।

एनवायरमेंट को पहुंच रहा नुकसान

सड़कों व चौक-चौराहों पर लग रहे जाम से एयर पॉल्यूशन का खतरा बढ़ गया है। खासकर डीजल ऑटो से निकलने वाले धुआं वातावरण को सबसे ज्यादा प्रदूषित कर रहा है.वाहनों से निकल रहे धुएं का पर्यावरण पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। वाहनों का धुआं वातावरण में घुलकर हवा में मिल जाता है.जो कि हरियाली और प्राकृतिक संपदा को भी नुकसान पहुंचा रहा है।

बीमारियों की बन रही वजह

वाहनों से निकलने वाले धुएं के माध्यम से कार्बन मोनोक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, कार्बन डाय ऑक्साइड,सल्फरडाईआक्साइड व लेड का उत्सर्जन होता है.वाहनों के मेंटनेंस नहीं होने से यह उत्सर्जन निर्धारित मात्रा से ज्यादा होता है और इसका हमारे हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है। वाहनों से निकलने वाले विषैले धुएं से चर्म रोग, श्वास रोग, हार्ट से जुड़ी कई बीमारियां हो सकती है.पेट्रोल में लेड की मात्रा ज्यादा होने से धुएं के माध्यम से एरोसेल के कण निकल रहे हैं। अगर इसकी लिमिट ज्यादा हो जाती है तो यह लोगों के नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है।

-कार्बन मोनोक्साइड- नर्वस सिस्टम को नुकसान

-सीसा- किडनी और लीवर को क्षति के साथ बच्चों के मानसिक विकास को प्रभावित करता है

-सल्फरडाइऑक्साइड- दमा का खतरा

ऐसे रोक सकते हैं वायु प्रदूषण

-ऑन रोड वाहनों की समय-समय पर जांच की जानी चाहिए, ताकि वह सड़कों पर काला धुआं नहीं फैला सके

2-प्रत्येक वाहन पर प्रदूषण कंट्रोल की एनओसी को अनिवार्य किया जाए

3-प्रत्येक पेट्रोल पंप पर वाहन के प्रदूषण लेवल के मापने की व्यवस्था हो

4-जर्जर हो चुके वाहनों के परिचालन पर रोक लगे

5-पेट्रोल व डीजल में मिलावट को रोका जाए

-सड़कों के किनारे ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए जाएं

एयर पॉल्यूशन लेवल की नहीं मिलती जानकारी

ट्रैफिक जाम में वाहनों के फंसने से वातावरण सबसे ज्यादा प्रदूषित हो रही है। वाहनों से निकलने वाले धुएं से कितना एयर पॉल्यूशन बढ़ रही है, इसकी जानकारी लोगों को नहीं मिल पा रही है। रांची में डोरंडा स्थित वन विभाग के पास एयर ट्रैफिक मेजरमेंट का बोर्ड लगा हुआ है, लेकिन कभी भी राजधानी के लोगों को सही जानकारी नही मिलती है। एयर पॉल्यूशन कितना बढ रहा है उसको कैसे कम किया जाए इसको लेकर भी कोई जानकारी आम लोगों को नही मिल पाती है।

ऑफिस में लगा रहता है ताला

डोरंडा वन भवन मे एयर ट्रैफिक मेजरमेंट का ऑफिस हमेशा बंद ही रहता है। वहां के कर्मचारियों की माने तो महीने मे कभी-कभार ही ऑफिस खुलता है। इस बारे मे पूछने पर रांची डीएफओ राजीव लोचन बक्शी बताते है हमलोग डेटा कलेक्ट तो करते है लेकिन हर दिन यह नहीं होता है।

हाईकोर्ट ने भी दिए हैं निर्देश

झारखंड हाईकोर्ट ने भी वाहनों से निकल रहे जहरीले धुएं को रोकने के लिए सरकार को कई निर्देश दिए हैं। इसके तहत 10 साल से ज्यादा पुरानी व्यवसायिक वाहनों को सड़क से हटाने को कहा गया है.गौरतलब है कि वाहनों की बढ़ रही तादाद की वजह से कई इलाकों में वायू प्रदूषण का लेवल खतरनाक स्थिति को पार कर गया है.स्थिति को नियंत्रित करने के लिए जरूरी है कि वाहनों के लिए निर्धारित मानकों का कड़ाई से पालन किया जाए।