- आईएमए हॉल में पीएफ कमिश्नर आलोक यादव की संपादित गजल संग्रह 'इज्तिराब' का हुआ विमोचन

- देर शाम मेहमान शायरों की चुनिंदा गजलों की पंक्तियों ने श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध

BAREILLY: अक्सर फाइलों से जूझते अधिकारियों की सृजनात्मक क्षमता, अनुभव और विचारों की संवेदना के स्वर सुनाई नहीं देते, लेकिन काम के झंझावतों के बाद भी कुछ ऐसे प्रशासनिक अधिकारी भी हैं, जिनका अंतर्मन हालातों और जज्बातों को बयां कर ही जाता है। इन्हीं संवेदनाओं के स्वर को शब्दों में पिरोकर पीएफ कमिश्नर आलोक यादव की संपादित गजल संग्रह 'इज्तिराब' का थर्सडे को विमोचन किया गया। इसमें क्9 प्रशासनिक अधिकारियों के बेहतरीन गजलें संग्रहित की गई हैं। आलोक यादव ने बताया कि इस गजल संग्रह को तैयार करने में दो साल लगे। इसे संपादित करने का मकसद अधिकारियों में छिपी अव्वल दर्जे की शायरी के हुनर को एक नया आयाम देना था। प्रोग्राम इनॉग्रेशन चीफ गेस्ट अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर प्रो। वसीम बरेलवी, शायर कुंवर बेचैन ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस मौके पर डीआईजी आरकेएस राठौर, डीएफओ धर्म सिंह, दैनिक जागरण सीजीएम एएन सिंह, डॉ। करुणा सिंह, सरदार जिया समेत अक्षरा फाउंडेशन से सीए शरद मिश्रा, विकास अग्रवाल व भारी संख्या में श्रोता मौजूद रहे।

शायरी ने लूट ली महफिल

पुस्तक विमोचन के साथ ही ऑल इंडिया मुशायरा में आमंत्रित अपनी विद्या के माहिर फनकार और शायरों ने आईएमए हॉल में आयोजित महफिल में समां बांध दिया। इस मौके पर शायर वसीम बरेलवी ने 'वो झूठ बोल रहा था बडे़ सलीके से, मैं एतबार ना करता तो क्या करता', डॉ। मनीष शुक्ल ने 'सुबह ओ दिन रात और शाम मेरे घर में मौजूद है', अनुराग मिश्र 'गैर' ने 'शब की जद में मेरा सर है, हरसू पत्थर ही पत्थर है', आलोक यादव ने 'दर्द गैरों का भी अपनों सा लगा है, यह हुनर मेरी मां से मिला है लोगों', समेत सूर्यपाल गंगवार, पवन कुमार, अवनीश कुमार, तूलिका सेठ, बीआर बिप्लवी, ओम प्रकाश यति, चरन सिंह बशर, लक्ष्मी शंकर बाजपेई, मंसूर उस्मानी, अकील नोमानी, किशन सरोज और शायरी की शख्सियत डॉ। कुंवर बेचैन ने अपनी बेहतरीन गजलकारी से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।