अब पहले की तरह पीएफ बेसिक सैलरी और डीए का 12 परसेंट नहीं कटेगा. इससे ऑर्गनाइजेशन या कंपनी का पीएफ में हिस्सेदारी बढ़ जाएगी. इंडस्ट्री जगत की तरफ से ईपीएफओ की इस नई पहल का विरोध किया जा रहा है.

प्राइवेट कंपनियां इस समय डीए यानी महंगाई भत्ता नहीं देती हैं. कंपनियां बेसिक सैलरी बढ़ाए बिना बाकी सैलरी बढ़ाती जाती हैं. इस वजह से हजारों इम्पलॉई का पीएफ बहुत कम बढ़ता है. इस तरह से इम्पलॉईज की टैक्स से जुड़ी जिम्मेदारी बढ़ती जाती है, लेकिन पीएफ में योगदार एक जैसा ही रहता है. कंपनियों की इस नीति से इम्पलॉईज नौकरी के दौरान ज्यादा सेविंग नहीं कर पाते हैं.

इस मामले में एक राय यह भी सामने आ रही है कि अगर पूरी सैलरी पर पीएफ कटेगा तो इम्पलॉईज को महीने के अंत में मिलने वाली सैलरी भी घट जाएगी. उम्मीद की जा रही है कि ईपीएफओ अपनी नई पहल को आगे बढ़ाएगा. लेबर मिनिस्ट्री की ओर से इस प्रस्ताव की स्टडी करने वाली कमेटी भी इसे हरी झंडी दे चुकी है.

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