Colleges में आसमान पर PG की fee, गरीब छात्रों का टूटा हौसला

University के भी नाक कान काटे, 15 गुना अधिक ले रहे fee

vikash.gupta@inext.co.in

ALLAHABAD: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के संघटक महाविद्यालयों में पहली बार पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज में प्रवेश की शुरुआत की गई है। यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने यहां पीजी कोर्स में प्रवेश की अनुमति दी है। लेकिन पहली बार में ही कॉलेजेस ने फीस के मामले में यूनिवर्सिटी के भी नाक कान काट दिए हैं। इसे लेकर प्रवेशार्थियों में गदर मची है। क्योंकि पीजी में भारी भरकम फीस के निर्धारण से आम और गरीब छात्र उच्च शिक्षा की दौड़ से बाहर होते नजर आ रहे हैं।

VC ने उठाया था step

गौरतलब है कि कॉलेजेस में पीजी की पढ़ाई शुरू किए जाने की मांग वर्षो से चली आ रही थी। छात्रों की मांग पर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो। आरएल हांगलू ने पहल की। कार्य परिषद की मंजूरी लेकर कॉलेजेस को पीजी कोर्स शुरू करने की अनुमति दे दी। इस छूट का फायदा उठाते हुए कालेजेस ने फ‌र्स्ट सेशन से ही लूट की शुरुआत कर दी। इविवि में पीजी कोर्स एमए, एमएससी और एमकाम की फीस 1400 रुपए के आसपास है। वहीं कॉलेजेस में यह फीस 8,000 रुपए से शुरू होकर 20,000 रुपए तक निर्धारित की गई है।

सरगर्म हो रहा मुद्दा

इससे आम और गरीब छात्रों की कमर टूट गई है। गरीब छात्र भारी भरकम फीस के चलते कदम पीछे खींच चुके हैं। साफ है जिनकी जेब नोट से गर्म है, वही एडमिशन लेने की स्थित में हैं। इसको लेकर यूनिवर्सिटी से लेकर कॉलेजेस तक विरोध के स्वर मुखर हो रहे हैं। छात्रों का कहना है कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गरीब छात्रों को उच्च शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने की बात करते हैं। इस परिस्थति में सरकारी कॉलेजेस में प्राइवेट इंस्टीट्यूशंस की तर्ज फीस का निर्धारण हैरत में डालने वाला है। छात्र इसे आगामी छात्रसंघ चुनाव में बड़े मुद्दे के रूप में उभारने की तैयारी में हैं। पूरे प्रकरण में यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा आंख मूंद लेने पर छात्रों की खासी नाराजगी है।

एसएस खन्ना में AU के समान fee

बताया जा रहा है कि यूनिवर्सिटी के नियंत्रण से बाहर जा चुके कॉलेजेस ने अपने लेवल पर ही फीस का निर्धारण कर डाला है। इससे अलग-अलग जगहों पर एक ही कोर्स की फीस में वैरिएशन भी है। इसका बड़ा प्रमाण एसएस खन्ना डिग्री कॉलेज है। यहां यूनिवर्सिटी के बराबर ही पीजी की फीस पर एडमिशन देने का फैसला किया है। कॉलेजेस में पीजी कोर्स की शुरुआत के लिए बनाई गई कमेटी के चेयरमैन प्रोफेसर मनमोहन कृष्ण का कहना है कि कॉलेजेस से कहा गया था कि वे अपने यहां कम से कम फीस तय करेंगे। जिससे छात्रों को परेशानी का सामना न करना पड़े।

न infrastructure न facality

उधर, बड़ा सवाल यह भी है कि कॉलेजेस जिस पढ़ाई के लिए इतनी तगड़ी फीस ले रहे हैं। उनके पास इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर क्या है? कॉलेजेस में शैक्षिक स्तर को बनाए रखने के लिए न तो संसाधन हैं और न ही उनके पास पर्याप्त संख्या में शिक्षक ही हैं। इविवि कार्य परिषद की बैठक में शामिल सदस्यों ने भी यह बात उठाई थी कि जब कॉलेजेस में यूजी की पढ़ाई के लिए ही शिक्षकों का आभाव है। ऐसे में पीजी चलाने की अनुमति क्यों दी जा रही है? उस समय उनकी बात को अनसुना करके प्रस्ताव को पास करवा लिया गया। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी एवं संघटक महाविद्यालय शिक्षक संघ (आटा) भी लम्बे समय से संसाधन एवं नियमित शिक्षक भर्ती की मांग करता चला आ रहा है।

Colleges में fee का ब्यौरा

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ईसीसी- एमए 12,500, एमएससी 20,000

सीएमपी- एमएससी 20,000, एमकॉम 10,000, एमए 8,000

एडीसी- एमएससी, 12,000, एमकॉम 10,000, एमए 8,000

आर्य कन्या- एमए 4000 प्रति सेमेस्टर

हमीदिया कॉलेज- एमए 4,000 प्रति सेमेस्टर

ईश्वर शरण- एमए 8,000

एसएस खन्ना- 1510 रुपए

हमें खुद के संसाधनों से पढ़ाई करवानी है। ऐसे में फीस बढ़ाकर रखी गई है। अलग अलग जगहों पर फीस कम या ज्यादा क्यों है? इसपर मैं कुछ नहीं कह सकती।

डॉ। शशि टंडन, प्रिंसिपल एडीसी

संसाधनों की कमी तो है ही, इसे इतनी जल्दी पूरा भी नहीं किया जा सकता। फिर भी जितना हो सकता है। उतना छात्रों को फैसेलिटी अवेलेबल करवाई जाएगी। एक साल तो लगेगा ही सबकुछ दुरुस्त करने में।

डॉ। कमला देवी,

प्रिंसिपल जगत तारन ग‌र्ल्स डिग्री कॉलेज