RANCHI रांची यूनिवर्सिटी में अब पीएचडी के लिए क्लासेज चलेंगे। रिसर्च स्कॉलर्स के लिए क्लास करना कंपल्सरी होगा। ये क्लासेज छह महीने तक चलेंगे। यूजीसी के गाइडलाइन के मद्देनजर पीएचडी के रूल्स एंड रेगुलेशंस में ये बदलाव किए गए हैं। इससे पहले यूनिवर्सिटी में पीएचडी कर रहे स्कॉलर्स के लिए क्लासेज का कोई प्रॉविजन नहीं था। गाइड के गाइडेंस में स्कॉलर्स अपना थिसिस पूरा कर यूनिवर्सिटी में सबमिट करते थे। इसी थिसिस की बेसिस पर स्कॉलर्स को पीएचडी की डिग्री दी जाती थी।

रिसर्च वर्क की ट्रेनिंग

रिसर्च वर्क की क्वालिटी को इंप्रूव और बेहतर करने के लिए ही रांची यूनिवर्सिटी में पीएचडी के पैटर्न में बदलाव किए जा रहे हैं। पीएचडी के लिए जो क्लासेज चलेंगे, उसमें स्कॉलर्स को रिसर्च वर्क करने की ट्रेनिंग दी जाएगी। सिनॉप्सिस और थिसिस को कैसे लिखा जाए, स्कॉलर्स को क्लासेज के जरिए बताया जाएगा। पीएचडी के न्यू सिस्टम के तहत रजिस्ट्रेशन के छह महीने बाद स्कॉलर्स को डेली क्लासेज करने होंगे। जो स्कॉलर्स क्लास अटेंड नहीं करेंगे, वे पीएचडी के लिए अयोग्य घोषित कर दिए जाएंगे।

यूजीसी का गाइडलाइन

यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) ने साल ख्009 में पीएचडी रेगुलेशंस में बदलाव किए थे। इसके तहत पीएचडी की डिग्री के लिए स्कॉलर्स के क्लासेज का प्रॉविजन किया गया है। क्लासेज कराने का जिम्मा यूनिवर्सिटीज को सौंपा गया। इस बाबत यूजीसी ने रांची यूनिवर्सिटी को लेटर भेजकर पीएचडी के न्यू रेगुलेशंस को फॉलो करने का डायरेक्शन दिया था। हालांकि, कुछ सालों तक यहां पुराने पैटर्न पर ही स्कॉलर्स को पीएचडी की डिग्री दी जा रही थी, पर अब यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने यूजीसी के न्यू रेगुलेशंस को फॉलो करने का फैसला किया है। अब यहां सभी सब्जेक्ट्स में पीएचडी के रेगुलर क्लासेज चलेंगे, जिसे अटेंड करना स्कॉलर्स को कंपल्सरी होगा।