इन दिक्कतों को नजदीक से जानने के लिए आई नेक्स्ट रिपोर्टर एग्जाम की सभी नियमों और शर्तों को पूरा करते हुए खुद एंट्रेंस में अपीयर हुआ। आप भी पढि़ए पीएचडी एंट्रेंस की लाइव रिपोर्टिंग-

गुरू पास होना है तो आमिर खान बन जाओ। दिल पर हाथ रखो। जो सही लगे ऑल इज वेल कहो और उस आन्सर को लॉक कर दो। कुछ इसी तरह कंडक्ट हुआ पीएचडी का कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीईटी)। एग्जामिनर से नजरें बचाकर स्टूडेंट्स कुछ इसी तरह ताकाझांकी करते रहे। पहली बार ऑर्गनाइज एंट्रेंस में पेपर बुकलेट सीरीज में भी तमाम खामियां देखने को मिलीं। कुछ स्टूडेंट्स के सेंटर में भी अदला-बदली हो गई। इससे उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। एसएन सेन कॉलेज में एक लडक़ी को नकल सामग्री के साथ पकड़े जाने पर बुक कर दिया गया।

मान जाएं तो स्टूडेंट काहे के

स्टूडेंट्स तो स्टूडेंट ठहरे। एडमिट कार्ड में प्रिंट इंस्ट्रक्शन्स को मान जाएं भला ऐसा कैसे हो सकता है। इस एंट्रेंस में कुछ ऐसा ही दिखा। एडमिट कार्ड के बैकसाइड पर क्लियर-कट इंस्ट्रक्शन्स थे कि मोबाइल फोन, क्लिप बोर्ड, डिजिटल डायरी आदि सामान लाना साफ मना है। फिर भी स्टूडेंट्स पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। एग्जामिनर्स को एग्जाम शुरू होने से पहले सारे मोबाइल स्विच ऑफ कराकर जमा कराने पड़े। हद तो तब हो गई जब ओल्ड बिल्डिंग में दो स्टूडेंट्स सेकेंड पेपर के दौरान मोबाइल फोन अपने साथ ही रखे रहे। चेकिंग के दौरान दोनों स्टूडेंट्स के फोन और एडमिट कार्ड जब्त कर लिए गए। वहीं सेन कॉलेज में दुर्गेश नाम की लडक़ी कागज की पर्ची पर नकल लिखकर लाई थी। चेकिंग के दौरान पकड़े जाने पर उसे बुक कर दिया गया।

पेपर देखकर आया चक्कर

डॉ। राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय के तत्वावधान में कानपुर में दस हजार कैंडीडेट्स पीएचडी एंट्रेंस में अपीयर हुए। सुबह आठ से दस बजे तक हुआ पहला पेपर बेहद आसान आया। दो घंटे में रीजनिंग और सामान्य ज्ञान के सौ सवाल जितने सरल थे। कोर सब्जेक्ट का पेपर उससे कहीं ज्यादा टफ था। कठिन पेपर देखकर स्टूडेंट्स को चक्कर आ गया। चूंकि निगेटिव मार्किंग थी नहीं। इसलिए कैंडीडेट्स ने बेझिझक होकर सारे क्वेश्चन्स ऑप्ट किए।

भाभी जी के चक्कर में 

यूनिवर्सिटी की एक बिल्डिंग में बने सेंटर के हॉल में एक जनाब को फीमेल स्टूडेंट्स के साथ बैठना पड़ गया। उसी कतार में एक मोहतरमा भी बैठी थीं। बेचारी ज्यादा प्रिपरेशन करके आईं नहीं थी। लिहाजा, बगल में बैठे एक सीधे-साधे जनाब को ऐसा रिझाया कि जनाब ने उन्हें पूरी आन्सर शीट ही कॉपी करा डाली। आखिरी मिनट तक सिलसिला बरकरार रहा। वो बात अलग है कि यह सारी चीजें एग्जामिनर साहब से बची रहीं।

मिला गलत सेंटर

एएनडी कॉलेज में फिजिकल एजुकेशन का सेंटर पड़ा था। कोड नंबर-20 के तहत एमपीएड के स्टूडेंट्स को यह सेंटर एलॉट किया गया था। मगर, यहां एक हिंदी के स्टूडेंट का सेंटर पड़ गया। तब जबकि उसने एप्लीकेशन फॉर्म में हिंदी का कोड स्पष्ट तौर पर भरा था। इस बात की जानकारी पर वहां हडक़ंप मच गया। फौरन यूनिवर्सिटी को सूचना दी गई। इसके बाद फस्र्ट पेपर वहीं दिलवाया गया। यूनिवर्सिटी से कोऑर्डिनेशन के बाद इस स्टूडेंट को हिंदी सेंटर एलॉट किया गया। जहां उसने अपना एग्जाम दिया।

सीरीज अलग, सवाल एक जैसे

खामियों का सिलसिला यहीं नहीं थमा। एएनडी कॉलेज में ही स्टूडेंट को बांटी गई बुकलेट सीरीज में कमियां नजर आईं। उदाहरण के तौर पर सेकेंड पेपर को ही ले लीजिए। तीन घंटे के चयनित विषय वाले पेपर में स्टूडेंट्स को अलग-अलग सीरीज की बुकलेट्स दी गई थीं। ‘ए’ और ‘बी’ सीरीज अलग-अलग होने के बावजूद इनमें सवालों का क्रम एक जैसा रहा। एक से लेकर 200 सवाल सभी एक सीरीज में थे। कुछ स्टूडेंट्स ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एग्जामिनर को बताया, लेकिन उन्हें चुप बैठे रहने को कह दिया गया।

Officer speaks

करीब दस हजार स्टूडेंट्स एग्जाम में अपीयर हुए हैं। सेन डिग्री कॉलेज में एक लडक़ी नकल सामग्री के साथ पकड़ गई है। उसे बुक कर दिया गया है।

सैय्यद वकार हुसैन, रजिस्ट्रार