हरा रंग इस बात का संकेत होगा कि संदेश अच्छा है.

लाल खराब और नीला तटस्थ संदेश दर्शाएगा.

ब्रिटेन की पोर्टस्मथ युनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग के शोधकर्ताओं की टीम ने संदेशों की ऐसी कलर कोडिंग पर काम किया है.

शोधकर्ताओं का यह भी मानना है कि इस कोडिंग की मदद से फालतू के संदेश को अनदेखा करने से उपभोक्ता तनाव से भी बच सकेगा.

शोधकर्ताओं ने एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलनेवाले फोनों पर इस नई कोडिंग का प्रयोग किया है.

इसके नतीजे सितंबर मे स्पेन में होने वाले अंतरराष्ट्रीय इंटेलिजेंट इंन्फॉरमेंशन एंड इंजीनियरिंग सिस्ट्मस पर 16वीं इंटरनेशनल कॉफ्रेंस में पेश किए जाएंगे.

संदेशों की छँटनी

इस शोध की अगुआई करने वाले डॉक्टर मोहम्मद गेबर ने बीबीसी को बताया, “फोन का यह एप्लिकेशन, इस्तेमाल करनेवाले के पिछले संदेशों के हिसाब से अच्छे, बुरे संदेश की छँटनी करेगा. ”

गेबर ने कहा, “इस शोध का मकसद सिर्फ इतना है कि फोन इस्तेमाल करने वाला निगेटिव संदेशों से दूर रह कर अपने तनाव को नियंत्रित करने का हर संभव प्रयास कर सके."

हालांकि शोधकर्ताओं ने साफ किया कि यह पहले से ही तैयार कार्यक्रम होगा. इस्तेमाल करने वाले खुद भी संदेशों का वर्गीकरण कर पाएंगे.

हालांकि ब्रिटिश साइकोलॉजिस्ट सोसायटी की मनोचिकित्सक पामेला ब्रिजिस को संदेह है कि यह प्रणाली सही जानकारी दे पाएगी या नहीं. या फिर इससे तनाव कम करने में कोई मदद मिलेगी या नहीं.

ब्रिजिस ने बीबीसी से कहा, “ मान लो कि किसी को बॉस, पति या दोस्त ने कोई परेशान कर देने वाला संदेश भेजा है. शोधकर्ताओं की सलाह है कि ऐसे संदेशों को एक तरफ रख कर उपयुक्त समय पर देखना चाहिए. लेकिन यह सोच कर तनाव और बढ़ जाता है कि कहीं कोई अप्रिय घटना न हुई हो. हालांकि समस्या से सीधे निपटने से तनाव कम ही होता है."