- नगर निगमके बदहाल पार्को को छोड़ कैंटोनमेंट के पार्क जा रहे लोग

- खेलने की जगह नहीं मिलने से बच्चे भी हो रहे गलत आदत के शिकार

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शहर में नगर निगम और बीडीए कॉलोनियों के अधिकांश पार्क तो मेंटिनेंस न होने के चलते बदहाल हो चुके हैं। कई कॉलोनी के पार्क इस लायक भी नहीं हैं कि बच्चे वहां जाकर खेल सकें। कहीं पार्क में सांड़ों का कब्जा है तो कहीं लोगों ने पार्क में तरकारी ही उगा दी। इन सभी बातों से पार्क के जिम्मेदार अंजान बने हुए हैं। लेकिन, कुछ भी हो इससे मासूम बच्चों की खुशियां कम होती नजर आ रही हैं। खेलने की जगह नहीं मिलने से बच्चे को तो मोबाइल और वीडियो गेम से समय काट रहे हैं।

गांधी बाग पार्क

-पार्क पूरी तरह से ग्रीनरी से भरपूर और सफाई व्यवस्था एकदम फिट

-पार्क में 2 माली कैंटोनमेंट के और 8 माली प्राइवेट तौर पर करते हैं काम

-पार्क में पानी भी व्यवस्था, कैंटीन और दो टॉयलेट की भी ै व्यवस्था

-बाइक पार्किंग की भी सही व्यवस्था, गेट पर मौजूद रहता है वाचमैन

-पार्क में लाइट की अच्छी व्यवस्था

-पार्क में फाउंटेन, झ्ाूले हैं

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राजेन्द्र नगर पार्क

-पार्क को स्थानीय निवासियों ने ही डलावघर जैसी कंडीशन बना दी

-स्थानीय निवासी पार्क में कपड़े और टूटे-फूटे गेट और अन्य सामान फेंक रहे

-पार्क से ग्रीनरी लापता, माली भी नहीं दिया दिखाई

-पार्क में दुर्गध के चलते स्थानीय निवासियों ने बैठना ही बंद कर दिया

-पार्क छोटा है झूले लगे हैं लेकिन घरों के मलबे के कारण झूले दिखाई नहीं देते हैं

-पार्क के सामने ही स्थानीय पार्षद का घर है, लेकिन वह भी इसे सुधारने की जगह उदासीन हो गए

-पार्क की लाइटें भी नहीं जलती हैं, और गंदगी भी है

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शहर में नगर निगम के पार्क बदहाल हैं इसीलिए कॉलोनी के लोग भी पार्क में जाना पसंद नहीं करते हैं। जबकि कैंटोनमेंट बोर्ड के पार्क आज भी अच्छे ही नहीं सुंदर है। इसीलिए फूलबाग आता हूं।

आर्यन

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ग्रीन पार्क से गांधी बाग पार्क परिवार के साथ आया हूं, यहां आकर अच्छा लगता है। पार्क में ग्रीनरी और झूला दोनों ही अच्छे हैं।

अवधेश

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पार्क की ग्रीनरी देख का गांधी बाग आई हूं। अच्छा लगा पार्क में आकर, इतने अच्छे पार्क शहर में नहीं हैं। शहर के भी पार्क अच्छे हों तो यहां पर लोगों की भीड़ न होती।

पूजा

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पार्क में पहली बार आई हूं, लेकिन पार्क बेशक अच्छा है। सिविल लाइंस एरिया के भी पार्क इतने अच्छे नहीं हैं। नगर निगम और बीडीए को भी कैंटोनमेंट बोर्ड के पार्क से सीख लेनी चाहिए।

रूचिका

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हमें जब भी समय मिलता है तो दोस्तों के साथ फूल बाग आता हूं। शहर में दो-तीन ही ऐसे पार्क हैं जहां पर बैठकर कुछ सुकून मिलता है। जबकि अधिकांश पार्क शहर के बदहाल हैं।

रिषभ

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हम अपनी सुविधाओं को नहीं देखते हैं और न हम अपने लिए पार्क की चिंता करते हैं। हमारे लिए जनता की समस्या निपटाना मेन है, इसीलिए हम जनता की समस्या को ध्यान देते हैं, और जनता के लिए ही काम कर रहे हैं।

सतीश कातिब उर्फ मम्मा, पार्षद राजेन्द्र नगर