ह्मड्डठ्ठष्द्धद्ब : अब यूनिवर्सिटी और कॉलेजों से मिलने वाली डिग्री पर स्टूडेंट्स का यूआईडी और तस्वीर भी होगी। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) ने देश की सभी यूनिवर्सिटीज को इसके लिए निर्देश जारी कर दिए हैं। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की मंजूरी के बाद सभी यूनिवर्सिटीज व इंस्टीट्यूट को आगामी सत्र से ही तस्वीर व आधार नंबर वाली डिग्री अनिवार्य रूप से जारी करने को कहा गया है। इससे डिग्रियों में छेड़छाड़ और हेराफेरी नहीं किया जा सकेगा।

कोर्स के टाइप का भी जिक्र

यूजीसी की ओर से सभी यूनिवर्सिटीज व इंस्टीट्यूट्स को कहा गया है कि वे डिग्री में यूआईडी और तस्वीर के अलावा यह भी अनिवार्य रूप से जिक्र करें कि स्टूडेंट ने रेगुलर, पार्ट टाइम अथवा डिस्टेंस कोर्स से पढ़ाई की है, ताकि उसकी पहचान करने में सहूलियत हो सके। यूजीसी का कहना है कि डिग्री को ज्यादा से ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए ये कदम उठाए जा रहे हैं।

स्कूली डिग्री में होगा लागू

पहले चरण में यूनिवर्सिटी और कॉलेजों की डिग्री और सर्टिफिकेट में आधार नंबर और तस्वीर को कंपल्सरी किया गया है। इसके बाद स्कूल समेत सभी तरह के एजुकेशनल डिग्री में इस सिस्टम को लागू करने की योजना पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय विचार कर रहा है। इसके लिए प्रस्ताव बनाने का काम चल रहा है।

डिग्रियां होंगी सुरक्षित

यूनिवर्सिटी, कॉलेज और संस्थानों द्वारा दी जाने वाली डिग्रियों को सुरक्षित बनाने के लिए ही उसमें आधार नंबर और स्टूडेंट की तस्वीर लगाने का फैसला लिया गया है। यूजीसी के मुताबिक, इससे न सिर्फ डिग्रियों में छेड़छाड़ खत्म हो जाएगा, बल्कि फर्जी डिग्रियों की भी पहचान आसानी से कर ली जाएगी। इतना ही नहीं, हायर एजुकेशन के फील्ड में इससे पारदर्शिता भी आएगी और स्टूडेंट्स को जॉब अथवा इंटरव्यू के दौैरान डिग्री वैरीफिकेशन को लेकर किसी तरह की परेशानी नहीं होगी।

वैरीफिकेशन में होगा आसानी

डिग्री में यूआईडी और तस्वीर अंकित होने से नौकरी या दाखिले में डिग्री या सर्टिफिकट की जांच के लिए सत्यापन भी साबित कर सकते है,क्योंकि आधार नंबर से छात्र की डिटेल व फोटो से पहचान हो जाएगी कि यह उस व्यक्ति की ही डिग्री, सर्टिफिकेट व मार्कशीट है। इसके साथ इस नई प्रणाली से डिग्री या सर्टिफिकेट के फर्जी होने की भी पहचान आसानी से हो जाएगी, क्योंकि सारा रिकॉर्ड ऑनलाइन उपलब्ध होगा।

फर्जी संस्थानों की पहचान

यूजीसी के इस फैसले से उन यूनिवर्सिटीज और संस्थानों की पहचान करने में आसानी हो जाएगी, जिनके द्वारा फर्जी डिग्री अथवा सर्टिफिकेट जारी किए जाते हैं। इतना ही नहीं, डिग्रियों में छेड़छाड़ किए जाने की जानकारी आसानी से हो जाएगी। इतना ही नहीं, नकली डिग्री भी पकड़े जा सकेंगे।

साल के अंत तक डिग्रियों का डिजिटलाइजेशन

सभी एजुकेशन डिग्रियां व सर्टिफिकेट डिजिटल हो रही हैं। 2017 के अंत तक इनका डिजिटल प्रारूप किया जाएगा। डिग्री और सर्टिफिकेट डिजिटल संग्रह में रखने से शिक्षा संस्थानों, छात्रों और रोजगार प्रदाताओं को ऑनलाइन प्रमाणपत्र आदि जांचने की सुविधा होगी। इसके साथ ही धोखाधड़ी तथा जाली दस्तावेजों से छुटकारा मिलेगा।