-चाइनीज मांझा में फंसे थे दो कबूतर, एक की मौत

-नगर निगम के प्रकाश विभाग ने मेहनत कर बचाया

BAREILLY: चाइनीज मांझे का शिकार इंसान ही नहीं बल्कि अब पशु-पक्षी भी होने लगे हैं। सैटरडे को कबूतर के जोड़े हेड पोस्ट ऑफिस के पास 85 फिट की ऊंचाई पर पेड़ से लटक रहे चाइनीज मांझे में फंस गए। करीब आधा घंटे चले रेस्क्यू में प्रकाश विभाग की क्रेन की मदद से एक कबूतर को तो बचा लिया गया लेकिन दूसरे कबूतर की तड़प-तड़प कर मौत हो गई। जिंदा कबूतर का प्राइवेट पेट शॉप कर्मी की शॉप में इलाज किया जा रहा है।

छूटने के लिए तड़पड़ाते रहे

सैटरडे दोपहर दो कबूतर उड़ते हुए पेड़ पर पहुंचे। दोनों पेड़ पर अठखेलियां कर रहे थे कि अचानक कटी पतंग के लटक रहे मांझे की चपेट में दोनों फंस गए। फिर खुद को बचाने का प्रयास करने लगे। जितना ही वह छूटने के लिए फड़फड़ा रहे थे, उतना ही वह मांझे में उलझते जा रहे थे। मांझे से शरीर पर जख्म भी हो गए। इसी दौरान पास में दुकानदार पम्मी की नजर कबूतरों पर पड़ी। उन्होंने अन्य लोगों के साथ कबूतरों को बचाने की कोशिश की लेकिन ऊंचाई होने की वजह से सफल न हो सके।

आधा घंटा तक चला रेस्क्यू

पम्मी ने कबूतरों की जान बचाने के लिए देर नहीं की और तुरंत नगर निगम के प्रकाश विभाग में फोन कर दिया। प्रकाश विभाग से कबूतर को बचाने के लिए हाइड्रोलिक ट्रक लेकर दो कर्मचारी पहुंच गए। करीब आधा घंटा तक दोनों कर्मचारियों ने पेट शॉप वाले की मदद से रेस्क्यू किया। एक कबूतर को तो ऊपर तक पहुंचकर मांझे से निकाल लिया गया, लेकिन दूसरा फंसा रह गया। किसी तरह उसे भी निकाला गया लेकिन उसकी मौत हो गई।

सिर्फ कागजों में चाइनीज मांझा पर रोक

चाइनीज मांझे पर पूरी तरह से रोक लगी है। कई बार डीएम व एडीएम मांझे पर रोक का लिखित आदेश भी कर चुके हैं लेकिन रोक सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह जा रही है। सिर्फ एक बार महिला कांन्स्टेबल की गर्दन कटने पर पुलिस ने छापेमारी की थी, लेकिन उसके बाद सब ठंडे बस्ते में चला गया। जबकि बरेली में चाइनीज मांझे के शिकार का मामले आए दिन सामने आते रहे हैं। बारादरी में श्यामगंज पुल पर लेडीज कॉन्स्टेबल की भी चाइनीज मांझे से गर्दन कट गई थी, किसी तरह उसकी जान बचाई गई थी। श्यामगंज पुल पर ही एक पत्रकार का भी चेहरा चाइनीज मांझे से कट गया था। इसी तरह से किला पुल, हार्टमन पुल, चौपुला पुल व अन्य स्थानों पर चाइनीज मांझे के शिकार के मामले सामने आ चुके हैं।