- उत्तर प्रदेश में रेप के केसेज को लेकर हाईकोर्ट में पीआईएल

- बदायूं केस को लेकर मंथन, रूरल एरिया में ग‌र्ल्स बनती हैं साफ्ट टारगेट

<- उत्तर प्रदेश में रेप के केसेज को लेकर हाईकोर्ट में पीआईएल

- बदायूं केस को लेकर मंथन, रूरल एरिया में ग‌र्ल्स बनती हैं साफ्ट टारगेट

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: बदायूं की दिल दहला देने वाली घटना तो याद है न! जहां पर दो बहनों से रेप के बाद उन्हें सजा ए मौत मिली। बॉडी पेड़ पर टांग दी गई। दोनों रात में निकली थीं और हैवानों के लिए साफ्ट टारगेट बन गई। रेप की इस घटना ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक सबको झकझोर के रख दिया। लेकिन सच्चाई तो यह है कि ऐसी ही घटनाएं प्रदेश में आए दिन सुनने को मिल रही हैं। ज्यादातर जिलों में यही हालत है। ग‌र्ल्स की इस स्थिति के लिए कहीं ना कहीं प्रदेश सरकार की प्लानिंग जिम्मेदार है। उसी स्थिति को टागरेट बनाते हुए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के ला स्टूडेंट्स ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल किया। मंडे को इस केस की सुनवाई होनी है।

क्या है बेसिक प्राब्लम

सीनियर एडवोकेट केके राय के ट्रेनी एडवोट्स इससे पहले भी कई पीआईएल दाखिल कर चुके हैं। इस बार बदायूं केस के बाद स्टूडेंट्स ने रिसर्च की। उन्होंने पता लगाने की कोशिश की कि आखिर रूरल एरिया में ग‌र्ल्स इतनी आसानी से कैसे साफ्ट टारगेट बन जा रही हैं। सिर्फ बदायूं ही नहीं बल्कि इलाहाबाद में भी कुछ यही स्थिति है। रेप केस में ज्यादातर लड़कियां शाम को घर से बाहर निकली थीं। वजह थी उनके घर में शौचालय का न होना। नतीजा रात में उनका अकेला निकलना ही उनके लिए अभिशाप बन गया।

कहां गई प्लानिंग

ला स्टूडेंट एश्वर्य गुप्ता ने यह पीआईएल दाखिल की है। स्टूडेंट ने अपने पीआईएल में यह सवाल उठाया है कि आखिर भारत सरकार व प्रदेश सरकार की प्लानिंग कहां गई। वर्षो से हर घर में शौचालय बनाने की प्लानिंग चल रही है। हर साल अरबों करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं लेकिन फिर भी अभी लाखों घरों में शौचालय नहीं बन सका है। तो इसके लिए कौन है जिम्मेदार। क्या सरकार की लापरवाही के कारण ही लड़कियां निशाना बन रही हैं। अब मंडे का इंतजार है जब इस केस की सुनवाई होगी।

इस बार तो विशेष ध्यान

वैसे इस बार उत्तर प्रदेश ने खास ध्यान रखा है। फ्राइडे को बजट में कई बड़े फैसले लिए गए। जिसमें रूरल एरियाज में टायलेट के लिए फ्भ्9 करोड़ रुपए का बजट बना है। मतलब साफ है कि प्रदेश सरकार को पता है कि रूरल एरियाज में प्राब्लम क्या है और उसका कैसे निस्तारण किया जा सकता है। लेकिन अब आने वाला वक्त ही बताएगा कि इन करोड़ों रुपए को खर्च कहां पर किया जा रहा है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि बजट का काफी पैसा सिर्फ कागजों पर ही खर्च हो जाता है।