MATHURA: पुत्र की चाहत को 2 और 3 नवम्बर को राधाकुंड में अर्ध रात्रि को आस्थावान डुबकियां लगाएंगे। दुनिया भर की चिकित्सा से निराश दंपती सूनी गोद भरने के लिए राधारानी के दरबार में झोली फैलाते हैं। विश्वास के अथाह सागर में प्रतिवर्ष बढ़ते आस्था के कदम मातृत्व सुख देने वाली राधारानी के आशीष को प्रमाणित करते नजर आते हैं। विज्ञान का यह युग श्रद्धा के इस चमत्कार पर हाथ जोड़े नजर आता है।

 

संतान प्राप्ति के लिए सात समंदर पार से आते हैं श्रद्धालु

विश्वास के विराट स्वरूप को श?द देने के लिए राधारानी के दरबार में उपमाएं हाथ जोड़ कर खड़ी हो गयीं हैं। राधाकुंड का प्रत्येक स्थल मां बनने की वेदना से गूंजता नजर आ रहा है। राधारानी के दरबार का आकर्षण भारत के विभिन्न प्रांतों से नहीं नहीं बल्कि सात समंदर पार से श्रद्धालुओं को ब्रजधरा ले आया है। यूं तो ब्रजधरा के आंगन में भक्ति की अविरल धार अनवरत बहती रहती है। परंतु संतान सुख की चाहत में राधारानी का दरबार वेदना और मन्नतों का सागर बन जाता है। इस बार यह दरबार भक्तों से दो दिन सजा नजर आएगा। सोमवार और मंगलवार को अ‌र्ध्य रात्री में सूनी गोद भरने के लिए दंपति राधाकुंड में स्नान करेंगे।

 

रहती हैं अव्यवस्थाएं

1.मेला परिसर का क्षेत्रफल भक्तों की संख्या के अनुरूप काफी छोटा रहता है।

2.राधाकुंड में जाने वाला मुख्य प्रवेश मार्ग काफी संकरा है।

3.श्रद्धालुओं के दबाब में अक्सर घुटन भरा वातावरण बन जाता है जिससे खतरा बना रहता है।

4.मेला परिसर में जेबकटों पर निगरानी प्रशासन के लिए चुनौती है।

5.महिलाओं का मेला होने के कारण महिला पुलिसकर्मी की तैनाती शांति व्यवस्था में सहायक होगी।

 

बरतें सावधानी

1.मेला क्षेत्र में श्रद्धालु सोने के आभूषण पहनकर न आएं

2.मेला में असामाजिक तत्वों की जानकारी तुरंत पुलिस को दें

3.संकरे मार्ग होने के कारण बच्चों पर विशेष निगरानी रखें

4.भीड़ की अधिकता के कारण मेला में प्रवेश के बाद बाहर निकलना मुश्किल होच है

5.पानी, बच्चों को दूध आदि साथ रखें

6.घाटों पर फिसलन बनी रहती है, बेरीके¨डग पकड़कर स्नान करें