8 हजार महिलाएं रोज करती सिटी बस में सफर

150 सिटी बसें राजधानी की सड़कों पर

2009 में शुरू हुआ था सिटी बसों का संचालन

7 हजार से अधिक ओला-उबर शहर में

- महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए नियमों का नहीं हो रहा पालन

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LUCKNOW : शहर में महिलाओं को सुरक्षित सफर कराने की जिम्मेदारी सिटी बस प्रबंधन और आरटीओ को दी गई है। लेकिन सिटी बस हो या फिर ऑटो हर जगह महिलाओं को सफर करने में दिक्कत हो रही है।

कहां गई सखी बस सेवा
जब 2009 में शहर में सिटी बसें चलाई गई तो इनमें सखी बस सेवा के रूप में पांच बसें शामिल थीं। महिलाओं के लिए चलाई गई इन बसों में परिचालक भी महिला रखी गई। लेकिन यह बस सेवा कहां गायब हो गई, पता ही नहीं चला। इसके बाद सिटी बसों के अंदर लाल रंग की पट्टी खींचकर महिलाओं के लिए बसों में आगे जगह आरक्षित की गई। यह भी तय किया गया कि महिलाएं बस के आगे वाले गेट से चढ़ें और उतरेंगी। लेकिन आज यह दोनों व्यवस्थाएं सिटी बसों में नहीं दिखाई देती हैं। महिलाओं के लिए रिजर्व स्पेस में भी पुरुषों का कब्जा रहता है। वहीं बसों में एक ही गेट से सभी को उतारा और चढ़ाया जाता है। जिससे महिलाओं को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।

पिंक ऑटो भी गायब
इसके बाद राजधानी में महिलाओं के लिए पिंक ऑटो की व्यवस्था शुरू की गई। करीब तीन साल पहले 1090 चौराहे से इसकी शुरुआत हुई थी लेकिन आज ये पिंक ऑटो भी राजधानी की सड़कों से गायब हो चुके हैं।

ओला-उबर में पैनिक बटन नहीं
परिवहन विभाग ने राजधानी में चलने वाले ओला-उबर के लिए आदेश जारी कर कहा था कि महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए इनमें पीछे के दोनों दरवाजों पर पैनिक बटन और डेश बोर्ड पर सीसीटीवी कैमरा लगाया जाए। लेकिन आज तक एक भी ओला-उबर में न तो सीसीटीवी कैमरा लगा है और ना ही पैनिक बटन।

सिटी बसों में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित हैं। अब बसों में उनके साथ छेड़छाड़ नहीं होती। रेड पट्टी के साथ बसों में महिलाओं और पुरुषों के चढ़ने-उतरने के नियम का सख्ती से पालन कराया जाएगा.
आरिफ सकलेन

एमडी, सिटी बस प्रबंधन

नियमों का पालन कराया जाएगा। जल्द ही सार्वजनिक वाहनों में पैनिक बटन और सीसीटीवी लगाने की प्रक्रिया शुरू होगी। तकनीकी दिक्कतों के चलते जीपीएस से सार्वजनिक वाहनों को लैस नहीं किया जा सका है.
एके सिंह, आरटीओ