दुनियाभर के ऐसे ही 20 व्यक्तित्व अब ब्रिटेन के नेशनल आर्मी संग्रहालय की उस सूची में शामिल हैं जिसके ज़रिए अंग्रेज़ों के सबसे दुर्जेय शत्रु की खोज की जाएगी।

ब्रिटेन का नेशनल आर्मी संग्रहालय एक ऐसी प्रतियोगिता करा रहा है जिसके ज़रिए इतिहास में ब्रिटेन के लिए सबसे दुर्जेय रहे शत्रु की खोज की जाएगी। दुनियाभर से चुनिंदा इन 20 ‘दुश्मनों’ की सूची में टीपू सुल्तान और रानी झांसी का भी नाम है।

इस प्रतियोगिता के लिए दुनियाभर से उन सिपहासालारों और सेना कमांडरों को चुना गया है जिन्होंने अपनी युद्ध नीति और निर्भीकता से ब्रितानी शासन के दौरान अंग्रेज़ों को कड़ी चुनौती दी। इस सूची में शामिल भारत के दो योद्धा टीपू सुल्तान और झांसी की रानी फिलहाल दसवें और तेरहवें स्थान पर हैं।

गणित और विज्ञान में विशेष रुची रखने वाले टीपू सुल्तान ने अपनी सेना को रणनीतिक कौशल और नई से नई तकनीक में पारंगत बनाया। टीपू सुल्तान ने 1780 में फ्रांसिसी सेना के साथ मिलकर 4000 योद्धाओं की अंग्रेज़ी फौज को हराया। माना जाता है कि ये भारत में अंग्रेज़ों की पहली करारी हार थी।

नतीजे आगामी 14 अप्रैल को

1857-59 की क्रांति के बाद झांसी द्वारा अंग्रेज़ों की खिलाफत का हिस्सा बनने पर झांसी की रानी ने 14000 पुरुषों, महिलाओं और युवाओं को मिलाकर एक फौज तैयार की।

इस फौज ने ब्रितानी शासन की ओर से लड़ रहे जनरल रोज़ को कड़ी टक्कर दी। युद्धकौशल में माहिर झांसी की रानी ने खुद कई अंग्रेज़ी सैनिकों को मार गिराया। हालांकि कुछ महीने बाद आखिरकार जनरल रोज़ ने झांसी की रानी को मौत के घाट उतार दिया।

माना जाता है कि जनरल रोज़ खुद झांसी की रानी को सबसे वीर योद्धा के रुप में देखते थे और अंग्रेज़ी महकमे सहित ब्रितानी इतिहास में अंग्रेज़ों के खिलाफ़ झांसी की रानी की लड़ाई को पराक्रम और हिम्मत की मिसाल के तौर पर देखा जाता है।

ब्रितानी शासन के ‘सबसे जांबाज़ और कट्टर दुश्मन’ का चुनाव ऑनलाइन मतदान के ज़रिए चुनी जाने वाली इन शख्सियतों में फिलहाल आइरिश रिपब्लिकन माइकल कॉलिन्स, फ्रांस के शासक रहे नेपोलियन बोनापार्ट और अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन आगे चल रहे हैं।

समाचार एजेंसी एएफपी ने संग्रहालय के प्रवक्ता जुलियन फारांस के हवाले से कहा, ''हमारा मकसद अंग्रेज़ी शासन या उसकी सैन्य शक्ति का महिमामंडन नहीं है। सच तो ये है कि ये सभी चुनिंदा योद्धा कभी न कभी अंग्रेज़ों के खिलाफ़ सफल हुए। ज़ुलु योद्धा ने तो अंग्रेज़ों की एक पूरी बटालियन का ही सफाया कर दिया था.'' इस ऑनलाइन प्रतियोगिता के नतीजे आगामी 14 अप्रैल को सुनाए जाएंगे और निर्णायक पैनल में कई नामी इतिहासकार शामिल हैं।

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