बस दो मिनट और हिंदी या ब्लू फिल्म तैयार

बिलकुल मैगी की तरह। बस दो मिनट और सवा दो या ढाई घंटे की मूवी की सीडी तैयार। बॉलीवुड में जिन फिल्मों को बनने में महीनों लग जाते हैं, जिनसे करोड़ों के बिजनेस की उम्मीद की जाती है, उसकी वाट लगाने में कुछ लोगों को बस कुछ मिनट लगते हैं। बॉलीवुड और म्यूजिक इंडस्ट्री को लाखों-करोड़ों की चोट पहुंचाने वाला ऐसा ही एक गैंग अपने बनारस में पकड़ा गया है। हालांकि पकड़े गये लोग तो इस गैंग के सिर्फ गुर्गे भर हैं लेकिन इनके नेटवर्क की यदि गहराई तक पड़ताल की जाए तो बड़े-बड़े चेहरे बेनकाब हो सकते हैं।

पाइरेटेड सीडीज का मिला जखीरा

दालमंडी से सटे हीरापुर में गुरुवार दोपहर के वक्त वाराणसी पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीम ने संकरी गली स्थित एक आलीशान मकान में रेड की। रिसेंटली रिलीज हिंदी मूवीज, फेमस हॉलीवुड मूवीज, मूवीज सॉन्ग्स की हजारों पाइरेटेड सीडीज के साथ बड़ी संख्या में ब्लू फिल्मों की सीडीज बरामद हुईं। टीम ने तीन हजार ब्लू फिल्मों की सीडीज, दस हजार मूवीज, सॉग्स की पाइरेटेड और ब्लैंक सीडीज, 12 सीडी राइटर, दो टीवी, एक डीवीडी प्लेयर, 13 यूपीएस समेत दो हजार ब्लू फिल्मों के रैपर तथा दो हजार नॉर्मल फिल्मों के रैपर बरामद किए।

मुखबिर से मिली इन्फॉर्मेशन

क्राइम ब्रांच के एसपी कमलेश्वर दीक्षित ने बताया कि उनके इन्फॉर्मर ने बताया कि हीरापुर मुहल्ले की गली में रहने वाले राजकुमार सिंह के घर में पाइरेटेड और ब्लू फिल्मों की सीडी बनाने का धंधा कई साल से चल रहा है। इस पर उन्होंने टीम बनाकर रेड करने का ऑर्डर दिया। लास्ट मूवमेंट में चौक पुलिस को साथ लिया गया। जब टीम ने छापेमारी की तो मौके पर राजकुमार सिंह, इनके तीन बेटे, बबलू सिंह, धीरज सिंह, रवि कुमार, भेलूपुर निवासी बालेश्वर मौर्य और चेतगंज निवासी नफीस हत्थे चढ़े। जबकि इसी बीच मौका देखकर फरहान नाम का आदमी घुंघरानी गली की ओर भाग निकला। फरहान ही इन लोगों का मेन सप्लायर है जो सीडीज को मार्केट तक पहुंचाता है।

पाइरेटेड सीडीज का हब है बनारस

दालमंडी के हीरापुर में पाइरेटेड और ब्लू फिल्मों की सीडी के धंधे का भंडाफोड़ तो सिर्फ एक झलक है। दरअसल पकड़े गए लोग बनारस में गहराई तक जड़े जमा बैठे पाइरेसी बिजनेस के एक यूनिट भर हैं। सच तो ये है कि बनारस ही पूरे पूर्वांचल, यूपी से सटे बिहार के हिस्सों तथा ईस्ट मध्य प्रदेश के कई डिस्ट्रिक्ट तक पाइरेटेड सीडीज के लिए हब बन चुका है। यहां न सिर्फ सीडीज बनती है बल्कि उनकी दूर-दूर तक सप्लाई भी होती है। दिसम्बर 2012 से लेकर मार्च तक में पुलिस ने सिटी के अलग-अलग इलाकों में रेड कर पाइरेटेड और ब्लू फिल्मों की सीडीज का कई बार जखीरा बरामद किया है। अकेले दालमंडी के ही कई घरों में ये धंधा फल-फूल रहा है जबकि यहां ऐसी सीडीज की खुली सेल किसी से छिपी नहीं है।  

ऐसे तैयार होती है पायरेटेड सीडीज

- जब भी बॉलीवुड की बड़ी मूवी रिलीज होती है तो पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश के किसी सिनेप्लेक्स में इसकी रिकॉर्डिंग कर सीडी बनाई जाती है। ये सीडी मास्टर सीडी कहलाती है।

- मास्टर सीडी नेपाल के रास्ते बनारस सहित देश के कई बड़े शहरों में पहुंचती है। इन शहरों में फिर मास्टर सीडी से कॉपी करके मदर सीडीज तैयार होती हैं।

- मदर सीडीज को उन लोगों तक पहुंचाया जाता है जो घर में चोरी-छिपे सीडी कॉपी का धंधा करते हैं। इन्हें हर एक सीडी कॉपी के बदले एक से पांच रुपये मिलते हैं।

- सीडी कॉपी करने का रेट फाइल साइज के हिसाब से होता है। फाइल छोटी है तो एक या दो रुपये मिलते हैं जबकि सॉन्ग्स के केस में या फोर इन वन मूवी की डीवीडी के केस में रेट पांच रुपये तक पहुंच जाता है।

- सीडी तैयार होने के बाद रैपर में रखकर इन्हें दालमंडी जैसे मार्केट में उतारा जाता है जहां आस-पास के छोटे से शहरों से आने वाले बिजनेसमैन थोक में खरीदकर ले जाते हैं।

पहले भी हो चुका है खुलासा

पाइरेटेड सीडीज के खिलाफ भले ही क्राइम ब्रांच और पुलिस की टीमें कार्रवाई कर खुद ही अपनी पीठ ठोंक रही हो लेकिन आई नेक्स्ट ने पहले कई बार इस काले धंधे का खुलासा किया है। रिसेंटली 19 जनवरी 2013 के इश्यू में आई नेक्स्ट ने 'द डर्टी पिक्चर' के नाम से स्टिंग ऑपरेशन छापा और बताया कि कैसे ब्लू फिल्मों की सीडी बिक रही है। इस स्टिंग के बाद पुलिस ने अपने इन्फॉर्मर्स को एक्टिव किया और ये छापेमारी सामने आई है।

छापेमारी तो है बस नाम की

पाइरेटेड या ब्लू फिल्मों की सीडीज के मामले में छापेमारी बस नाम की होती है। सच ये है कि लोकल थाने को इस धंधे के बारे में पता होता है मगर लोकल पुलिस कुछ करती नहीं। छापेमारी में तभी बड़ी सफलता हाथ लगी है जब पुलिस ने लास्ट मिनट में लोकल पुलिस को साथ लिया या फिर बिना लोकल थाने को इन्फॉर्म किये ही छापेमारी की है। पिछले कुछ सालों में दालमंडी व आस-पास के मुहल्लों छापेमारी के दौरान लाखों की सीडीज बरामद हो चुकी हैं। इसके अलावा लक्सा, सिगरा, चेतगंज, लोहता और भेलूपुर में ऐसे धंधेबाज पकड़े जा चुके हैं। इन सबके बावजूद ये धंधा लगातार फल-फूल रहा है क्योंकि लोकल पुलिस कहीं न कहीं इनको पाल-पोस रही है। जब बीडी पॉल्सन एसएसपी थे तो उन्हें चौक एरिया में छापेमारी के लिए कोतवाली पुलिस को लगाना पड़ा जिसको लेकर डिपार्टमेंट के अंदर काफी हो-हल्ला भी हुआ था।

करोड़ों का कारोबार, गहरी हैं जड़ें

- सिटी में लगभग पांच हजार से ज्यादा छोटी दुकानों पर नकली और पोर्न फिल्मों की सीडीज बिकती है।

- नकली और पोर्न सीडीज का कारोबार दालमंडी, नई सड़क, चौक, लंका, भेलूपुर, मंडुवाडीह, पाण्डेयपुर समेत रामनगर व शिवपुर में होता है।

- सिटी के सिर्फ दालमंडी इलाके में लगभग हर तीसरे घर में पाइरेसी का काम होता है।

- मोबाइल सेलिंग के नाम पर नकली व पोर्न सीडीज को बेचने का काम तेजी से पनप रहा है।

- महज पांच से 10 रुपये में तैयार पाइरेटेड सीडी बाद 15 से 50 रुपये तक में बिकती है।

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नकली सीडीज का कारोबार करने वाले बनारस में बैठे-बैठे मुम्बई से ऑपरेट होने वाले सिनेमा जगत को चोट पहुंचा रहे है। ये बड़ा अपराध है। इसी शिकायत पर ये कार्रवाई हुई है और आगे भी ये जारी रहेगी।

कमलेश्वर दीक्षित, एसपी, क्राइम बांच