- माघ मेले में अंधविश्वास के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाने का खेल जारी
-यहां सबकुछ गारंटी से होता है
- भगवान के नाम पर करते हैं प्रोडक्ट की ब्रांडिंग
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- माघ मेले में अंधविश्वास के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाने का खेल जारी
-यहां सबकुछ गारंटी से होता है
- भगवान के नाम पर करते हैं प्रोडक्ट की ब्रांडिंग
ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in
ALLAHABAD: भगवान के नाम पर ठगी का धंधा हर तरफ फल-फूल रहा है। आपका पीके हर रोज अंधविश्वास के नए स्वरूप से आपको रूबरू करा रहा है। हर तरफ रॉन्ग नंबर लग रहे हैं। शनिवार को पीके ने माघ मेले की ओर रुख किया और जायजा लेने की कोशिश की तो पता चला कि भगवान के नाम पर सबकुछ गारंटी से चल रहा है। फिर वह रत्न बेचने का बिजनेस हो या अगरबत्ती, मोमबत्ती सहित अन्य चीजों को बेचने का। सभी जगह लोगों का विश्वास जीतने के लिए भगवान का सहारा लिया गया है। पीके ने एक बार फिर मेले में घूमकर लोगों मानसिकता जानने की कोशिश की।
भगवान का फोटो लगाने से ज्यादा बिक्री होती है<भगवान के नाम पर ठगी का धंधा हर तरफ फल-फूल रहा है। आपका पीके हर रोज अंधविश्वास के नए स्वरूप से आपको रूबरू करा रहा है। हर तरफ रॉन्ग नंबर लग रहे हैं। शनिवार को पीके ने माघ मेले की ओर रुख किया और जायजा लेने की कोशिश की तो पता चला कि भगवान के नाम पर सबकुछ गारंटी से चल रहा है। फिर वह रत्न बेचने का बिजनेस हो या अगरबत्ती, मोमबत्ती सहित अन्य चीजों को बेचने का। सभी जगह लोगों का विश्वास जीतने के लिए भगवान का सहारा लिया गया है। पीके ने एक बार फिर मेले में घूमकर लोगों मानसिकता जानने की कोशिश की।
भगवान का फोटो लगाने से ज्यादा बिक्री होती है!
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धीरे-धीरे माघ मेला अपने चरम पर पहुंच रहा है। चारों ओर दुकानें सजने लगी हैं। कल्पवासियों के पूजा-पाठ सहित रोजमर्रा के कामकाज में यूज होने वाले सामान की बिक्री भी बढ़ती जा रही है। ऐसे में कुछ दुकानें ऐसी भी हैं जिनके यहां बिकने वाले सामानों पर भगवान का फोटो लगाया गया है। रोली बेचने वाले एक दुकानदार से जब पीके ने पूछा कि भगवान का फोटो क्यों लगाया है? तो जवाब में उसने कहा कि पूजा-पाठ का सामान है इसलिए। इस पर पीके ने पूछा कि रोली खत्म होने के बाद डिब्बी यूजलेस हो जाएगी, तब भगवान की फोटो का अपमान नहीं होगा। इस पर दुकानदार ने सवाल टालने की कोशिश की।
बेईमानी के धंधे में बेईमानी
लोगों की बुरी नजर से बचाने के लिए लोग अपने घरों में नींबू-मिर्ची लटकाते हैं। लेकिन, इस अंधविश्वास का फायदा उठाने में भी बाजार पीछे नहीं रहा है। मेले की दुकानों में प्लास्टिक के बने नींबू-मिर्ची को धड़ल्ले से अंधविश्वास के नाम पर बेचा जा रहा है। दुकानदार ने बताया कि इसको लटकाने से लोगों की बुरी नजर से बचाव हो जाता है। कार, घर, ऑफिस में लोग इसका बड़े चाव से यूज करते हैं। इस पर पीके ने कहा कि यह तो ओरिजिनल नहीं है, फिर कैसे असर होगा। इस पर दुकानदार कुछ नहीं जवाब दे यका।
सौ फीसदी गारंटी वाला रत्न
ग्रह-नक्षत्रों की चाल का लोगों के जीवन पर अधिक असर होता है। ऐसा ज्योतिष विज्ञान का कहना है और ऐसा हो भी सकता है। लेकिन, पब्लिक सही जगह से उपाय कराए तो समझ में आता है। ढोंगियों और ठग के चक्कर में पड़कर पैसे गंवाना समझ से परे है। मेले में फिलहाल ऐसा ही हो रहा है। रंग-बिरंगे पत्थरों को रत्न बताकर लोगों को चूना लगाया जा रहा है। रत्नों के जरिए सौ फीसदी असर की गारंटी भी दी जा रही है। इस पर पीके ने एक दुकानदार से पूछा कि रत्न की गारंटी तो आप ले रहे हैं, लेकिन आपकी गारंटी कौन लेगा? इस वह भड़क गया और कहा कि भरोसा हो तो लीजिए, वरना चले जाइए। इस रत्न के पहनने मात्र से जीवन में बदलाव शुरू हो जाएंगे।
पीके का सवाल
भगवान के नाम पर अपने प्रोडक्ट की ब्रांडिंग करने वालों को खुद की काबिलियत पर भरोसा नहीं होता है। वह अपने प्रोडक्ट की कमजोरी छिपाने के लिए भगवान के नाम का सहारा लेते हैं। नींबू-मिर्ची लटकाने और टोना-टोटका करने से भलाई नहीं होती है, इसके लिए लोगों का मन साफ होना चाहिए।
पब्लिक भी है पीके के साथ
अगर पीके की बातों पर ध्यान दिया जाए तो ढोंगी बाबाओं की दुकान बंद हो जाए। इस मुहिम के लिए आई नेक्स्ट का थैंक्स।
शहबाज अहमद
जो लोग धर्म की आड़ में अपना बिजनेस चला रहे हैं, उनसे होशियार रहने की जरूरत है। ऐसे बाबाओं के मैं सख्त खिलाफ हूं।
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अगर बाबा लोग पैसे लेकर समस्याएं दूर करने का दावा करते हैं तो पूरी तरह से रांग नंबर है। इससे दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
अमित कुमार पटेल