लेकिन शुक्रवार को दो महत्त्वपूर्ण घटनाएं हुईं जिसके बाद आनन-फानन में उत्तर प्रदेश में भाजपा ने अमेठी चुनाव क्षेत्र में मोदी की एक बड़ी रैली की रूपरेखा तैयार कर डाली.

नरेंद्र मोदी पूर्वी उत्तर प्रदेश में एक बड़ी रैली को संबोधित करने बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी के साथ हेलीकॉप्टर से लखनऊ जा रहे थे.

लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने उड़ान के दौरान नरेंद्र मोदी को ये बताया कि अमेठी में भाजपा उम्मीदवार स्मृति इरानी की जनसभाओं में 'ख़ासी भीड़' उमड़ रही है.

वाजपेयी ने उनसे पूछा कि, "आप अमेठी आने के बारे में क्यों नहीं सोचते. वहां पर लोग आपको देखना चाहते हैं, आपसे मिलना चाहते हैं?"

नरेंद्र मोदी से जवाब मिला, "मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है".

प्रदेश भाजपा के सूत्र बताते हैं कि इसी दौरान शुक्रवार को मोदी के सिपहसालार अमित शाह अमेठी संसदीय क्षेत्र के दौरे पर थे जहाँ उन्होने गौरीगंज में पार्टी कार्यालय में लोगों से बात की और कथित रूप से समर्थकों में उत्साह को भांपा.

कैसे बना नरेंद्र मोदी का अमेठी प्लान?

ग़ौरतलब है कि शुक्रवार के दिन अमित शाह को तय कार्यक्रम के मुताबिक अमेठी नहीं बल्कि रॉबर्ट्सगंज और ग़ाज़ीपुर में होना था.

'कमज़ोर भाजपा'

उसी रात को नरेंद्र मोदी की सहमति लेने बाद फ़ैसला लिया गया कि पांच मई को मोदी गौरीगंज-मुसाफिरखाना क्षेत्र में दुल्ला खुर्द नाम की जगह पर एक बड़ी रैली करेंगे.

सूत्रों के अनुसार पिछले एक हफ़्ते से उत्तर प्रदेश के नेताओं ने भाजपा चुनाव प्रभारियों पर दबाव बढ़ा रखा था कि नरेंद्र मोदी को अमेठी आना चाहिए.

इस दबाव के पीछे की एक अहम वजह यह भी है कि सात मई को प्रदेश की जिन 15 सीटों के लिए मतदान होना है उनमें से भाजपा के पास फ़िलहाल एक भी सीट नहीं है.

इन सीटों में अमेठी के अलावा सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, कौशांबी, फूलपुर, इलाहाबाद, फैज़ाबाद, अंबेडकर नगर, बहराइच, कैसरगंज, श्रावस्ती, गोंडा, बस्ती, संत कबीर नगर और भदोही शामिल हैं.

कैसे बना नरेंद्र मोदी का अमेठी प्लान?

प्रियंका ने अमेठी में राहुल के लिए प्रचार का काम संभाला हुआ है.

उत्तर प्रदेश में भाजपा नेताओं को लग रहा है कि अगर नरेंद्र मोदी अमेठी जैसी चर्चित सीट में आकर गांधी परिवार के ख़िलाफ़ प्रचार करेंगे तो सभी सीटों में एक सकारात्मक संदेश जाएगा.

बड़े नेताओं ने डेरा डाला

शायद यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी मोदी की इस रैली को सफल बनाने में जुट गई है. शनिवार को पार्टी के गौरीगंज दफ़्तर में मुझे सालों बाद सुधांशु मित्तल इंतज़ाम का लेखा-जोखा तैयार करते हुए दिखे.

एक ज़माने में प्रमोद महाजन के दाएं हाथ कहे जाने वाले ये वही सुधांशु मित्तल हैं जो अटल बिहारी वाजपेयी जैसे बड़े नेताओं का चुनाव प्रबंधन बारीकी से देखते थे.

शुक्रवार को मोदी की इस महत्त्वपूर्ण रैली के तय होते ही पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी को अमेठी रवाना कर दिया और अब उन्होंने गौरीगंज में पार्टी के चुनाव कार्यालय के पीछे एक कमरे में डेरा डाल रखा है.

हालांकि मोदी की आगामी रैली अमेठी ही नहीं, उससे जुड़े हुए दूसरे संसदीय क्षेत्रों में भी चर्चा का विषय बन चुकी है. क्योंकि पहली बार होगा जब विपक्षी पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीद्वार अमेठी में आकर राहुल गांधी के खिलाफ़ प्रचार करेंगे.

अभी तक यहाँ आलम ये रहता था कि 2009 के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने राहुल गांधी के ख़िलाफ़ उम्मीदवार खड़ा ही नहीं किया था और इस बार भी समाजवादी पार्टी ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है.

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