जरूरी सामान के लिए 35 रुपये रोजाना

मौजूदा कीमतों के लिहाज से दिल्ली में रोजमर्रा के जरूरी सामान के लिए एक व्यक्ति को न्यूनतम 35 रुपये रोजाना की जरूरत पड़ेगी. दिल्ली में अभी आटा 20 रुपये प्रति किलो और चावल (सामान्य) 28 रुपये प्रति किलो है. प्रति व्यक्ति न्यूनतम खुराक 250 ग्र्राम आटा और चावल पर ही रोजाना 12 रुपये खर्च करने होंगे. इसके अलावा सरसों तेल, आलू, प्याज, हरी सब्जी, दाल, दूध, चाय, नमक, मसालों पर 30 रुपये अतिरिक्त खर्च करने होंगे. यह स्थिति तब है जब सिर्फ दाल-रोटी-चावल और मामूली सब्जी ही बनाई जाए.

2011 में 26 रुपये वाला भी नहीं था गरीब

सितंबर, 2011 में सरकार ने जब 26 रुपये के आंकड़ों को खारिज किया था तब भी यही तर्क दिया गया था. विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाए थे कि उसके सदस्य 26 रुपये में जीवन यापन कर दिखाएं. आंकड़ों की ताजा बाजीगरी ने विपक्षी दलों को सरकार पर हमला करने का एक और मौका दे दिया है. वर्ष 2011 में विपक्षी दलों की तरफ से जोरदार आलोचना के बाद ही सरकार ने इसे वापस ले लिया था. तब सरकार में योजना मंत्री अश्विनी कुमार ने 26 रुपये रोजाना कमाई के आंकड़े को खारिज किया था और कहा था कि इस राशि में इज्जत से जीवन यापन नहीं हो सकता.

2013 में 27 रुपये कमाने वाला गरीब नहीं

भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार को बताना होगा कि पहले 26 रुपये की परिभाषा को क्यों नाकारा था और अब 27 रुपये की परिभाषा लागू करने का क्या मतलब है? सरकार का मकसद क्या सिर्फ आंकड़ों में गरीबों की संख्या को घटाना है. प्रसिद्ध अर्थशास्त्री सुरजीत भल्ला ने सवाल उठाया कि जब गरीबों की संख्या 15 फीसद कम हो गई है तो फिर इन वर्षों में राशन के दुकानों के जरिये खाद्य वितरण की राशि इतनी तेजी से क्यों बढ़ी है? सरकार को इस बात का भी जबाव देना होगा जब खुदरा महंगाई की दर सालाना 10 फीसद से ज्यादा रही है, तब वह रोजाना कमाई में सिर्फ एक रुपये की वृद्धि कर गरीबी कैसे कम रही है.

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