समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक  केंद्रीय मंत्री हरीश रावत ने बताया, "इसके लिए राज्यसभा में सोमवार का दिन तय किया गया है... ये हमारी दिली ख्वाहिश है कि लोकपाल विधेयक पारित हो जाए. हमने इसे इसी सत्र में सूची में शामिल किया है जो इसका स्पष्ट संकेत है."

इससे पहले संसदीय मामलों के मंत्री कमलनाथ ने कहा था कि सरकार इसे शुक्रवार को राज्यसभा में कार्यसूची में 'प्राथमिकता' के आधार पर शामिल करेगी.

पीटीआई के अनुसार शुक्रवार का दिन सदस्यों के निजी विधेयकों के लिए सुरक्षित है इसलिए विधेयक अब सोमवार को सदन में आएगा और इसके लिए छह घंटे का समय आवंटित किया गया है.

'सामूहिक दायित्व'

लोकपाल विधेयक संसद में पेश करने की तैयारीइस बीच कांग्रेस ने भाजपा नेता अरुण जेटली के इन आरोपों को भी खारिज कर दिया कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार लोकपाल सहित महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने की इच्छुक नहीं है.

हरीश रावत ने कहा, "कुछ दोस्त जो अपनी पार्टी के महत्वपूर्ण नेता हैं, उन्होंने ऐसी छवि बनाई है कि सरकार विधायी कार्यों को आगे बढ़ाने की इच्छुक नहीं है... मैं इससे इनकार करता हूं. तथ्य हमें कुछ और ही बताते हैं. हमें समर्थन नहीं मिल रहा है जो हमें मिलना चाहिए."

उन्होंने कहा, "संसद में माहौल (काम का) बनाने में सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों की बड़ी भूमिका होती है. जबकि वो दिखाना चाहते हैं कि केवल सत्तारूढ़ पार्टी की जिम्मेदारी है."

इसके साथ ही केन्द्र सरकार ने अन्ना हजारे से अपना अनशन खत्म करने की अपील ही है.

अन्ना का अनशन

लोकपाल विधेयक संसद में पेश करने की तैयारीदूसरी ओर अन्ना हज़ारे ने कहा है कि लोकपाल विधेयक पर केंद्र का रुख लोकतंत्र के साथ छलावा है. वह पिछले चार दिनों से संसद में लोकपाल विधेयक को जल्द पारित करने की मांग को लेकर अनशन पर हैं.

राज्यसभा में विपक्ष के नेता  अरुण जेटली ने अन्ना हज़ारे को स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि भाजपा शुरू से सख्त लोकपाल के पक्ष में है और जो भी देरी हुई है उसके लिए कांग्रेस पार्टी जिम्मेदार है.

दरअसल अन्ना के आन्दोलन से निकली आम आदमी पार्टी को दिल्ली विधानसभा के चुनाव में मिली जोरदार कामयाबी के बाद सभी राजनीतिक दल सतर्क हो गए हैं और वे जनता में किसी तरह का गलत संकेत नहीं देना चाहते हैं.

भाजपा का आरोप

लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा है कि सरकार सत्र को छोटा करने की कोशिश कर रही है, ताकि भ्रष्टाचार विरोधी विधेयक को रोका जा सके. साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी चाहती है कि इस विधेयक को बिना किसी देरी के पारित किया जाए.

इस बीच समाजवादी पार्टी ने स्पष्ट किया है कि वो राज्यसभा में विधेयक का विरोध करेगी, जबकि जनता दल सेक्युलर और एनसीपी ने इसे जल्द पारित करने का समर्थन किया है.

आम आदमी पार्टी ने कहा है कि वह जन लोकपाल को बिना किसी बदलाव के पारित करने के पक्ष में है और इससे कम पर वो कोई समझौता नहीं करेगी.

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