- कुंभ से पहले काटे गए थे हजारों पेड़, अभी तक नहीं हो सकी भरपाई

- इलाहाबाद-लखनऊ हाइवे पर अभी तक शुरू नहीं हो सका पौधरोपण

ALLAHABAD: प्रकृति से इंसान भी कैसा मजाक कर रहा है। पेड़ों को तो हकीकत में काटा जाता है लेकिन इसकी भरपाई फाइलों में कर दी जाती है। यकीन नहीं है तो वन विभाग का डाटा उठाकर देख लीजिए। कुंभ मेले की शुरुआत में सड़क चौड़ीकरण के नाम पर हजारों पेड़ों की कटाई की गई थी। जब हो-हल्ला मचा तो इसके पांच गुने पौधे लगाने का दावा किया गया। ये संख्या भी फिलहाल अभी फाइलों पर दर्ज है। बदले में लगाए पौधों में कितने सर्वाइव कर रहे हैं, इसके बारे में भी विभाग को जानकारी नहीं है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई मौसम के मिजाज को भी बिगाड़ रही है।

दस सालों में कटे दस करोड़ पेड़

एक रिपोर्ट के हवाले से यह बात सामने आई है कि पिछले दस सालों में इंडिया में दस करोड़ पेड़ों की कटाई हुई है। खुद एक्सप‌र्ट्स भी मानते हैं कि इन सालों में देश के कई शहरों में नई सड़कें बनी हैं, उनका चौड़ीकरण हुआ है, शहरों का फैलाव होने के साथ-साथ कई आवासीय योजनाओं का विस्तार भी किया गया है। ऐसे में पेड़ों का काटा जाना लाजिमी है। लेकिन, सवाल यह खड़ा होता है कि काटे गए पेड़ों के मुकाबले आखिर लगाए कितने गए। इस सवाल के जवाब में सिस्टम को सांप सूंघ जाता है। एग्जाम्पल के तौर इलाहाबाद में पिछले साल हुआ कुंभ मेले का जिक्र किया जा सकता है।

पौधे लगाने से ज्यादा देखभाल जरूरी है

अगर हम केवल इलाहाबाद की बात करें तो वन विभाग के आंकड़े ही काफी हैं। अवैध रूप से रोजाना 5 से 15 पेड़ो की कटाई तो औसतन हो जाती है। इसके अलावा 2013 में हुए कुंभ मेले से पहले सड़कों के चौड़ीकरण को लेकर बल्क में हरे-भरे पेड़ काटे गए थे। इलाहाबाद-मिर्जापुर रोड, झूंसी के आगे जीटी रोड और इलाहाबाद-लखनऊ हाईवे मिलाकर 11565 पेड़ों की कटाई की गई थी। इसके बदले में वन विभाग के फाइलों में 65 हजार पौधे लगाने का दावा किया जा रहा है लेकिन इनमें से कितने सुरक्षित इसका जवाब किसी ऑफिसर के पास नहीं है। विभाग के पास कई महीने बीतने के बाद भी इन पौधों की मॉनीटरिंग रिपोर्ट तक मौजूद नहीं है। खुद अधिकारी भी मानते हैं कि पौधरोपण से ज्यादा जरूरी उनकी देखभाल करना होता है।

काटे गए पेड़ों की संख्या

इलाहाबाद-मिर्जापुर रोड- 1481 पेड़

झूंसी के आगे जीटी रोड- 32 पेड़

इलाहाबाद-लखनऊ हाईवे- 10052 पेड़

(इलाहाबाद-लखनऊ हाइवे पर 64 हजार पौधे लगाने की बात कही गई थी लेकिन अभी यह काम शुरू नहीं हो सका है)

बॉक्स

अभी कटने बाकी हैं हजारों पेड़

नेचर के साथ खिलवाड़ का सिलसिला अभी रुका नहीं है, फ्यूचर में इलाहाबाद-रीवां रोड का भी चौड़ीकरण होना है। इसकी प्लानिंग के मुताबिक रोड पटरी पर लगे पेड़ों को काटा जाना है। इनकी संख्या हजारों में भी पहुंच सकती है। फिलहाल प्लानिंग चल रही है और गवर्नमेंट से आने वाले अगले निर्देश का इंतजार किया जा रहा है।

मौसम पर कितना इफेक्ट डालते हैं पेड़

एक्सप‌र्ट्स की मानें तो मौसम के बदलाव में पेड़ों की अहम भूमिका होती है। यह इकोलॉजिकल साइकिल को मेंटेन रखते हैं। यूं कह लें कि मौसम की रेग्युलेटर इन पेड़ों के पास होता है। वेदर एक्सप‌र्ट्स मानते हैं पिछले दस सालों में मौसम में असामान्य बदलाव देखने को मिले हैं। शहरों में तेजी से विकास कार्य इस एक्स्ट्रीम इवेंट के जिम्मेदार हैं। एक्सपर्ट कहते हैं वन विभाग की रिपोर्ट से वनों की स्थिति का अंदाजा नहीं लगता, अगर हकीकत जाननी है तो सेटेलाइट के जरिए फारेस्ट एरिया का आंकलन कर सकते हैं। अगर पेड़ों की कटाई ऐसे ही जारी रही तो वेदर फेनोमिना बिगड़ सकता है। पिछले दिनों में टेम्प्रेचर ब्8 डिग्री पहुंचना इसी का नतीजा माना जा रहा है।

रीडर ने बताया तरीका

आई नेक्स्ट के रीडर दिवाकर अग्रवाल ने लोगों से अधिक से अधिक प्लांटेशन करने की अपील की है। उनका कहना है कि महंगे बीजों को खरीदने से अच्छा है कि हम मैंगो, लेमन, जामुन, कस्टर्ड एप्पल और जैक फ्रूट्स के बीज एकत्र कर प्लांटेशन कर सकते हैं। इन बीजों को लगाने के बाद दो दिन पानी का छिड़काव कीजिए और इसके बाद रेनी सीजन में ये अपने आप पनप जाएंगे। महज क्भ् से ख्0 दिनों में अपने आप स्माल प्लांट्स दिखने लगेंगे। ऐसा करके तापमान को भ्0 डिग्री क्रॉस करने से रोका जा सकता है।

इस सीजन में कुछ शहरों का उच्च तापमान

दिल्ली- ब्7 डिग्री

लखनऊ- ब्7 डिग्री

आगरा-ब्भ् डिग्री

इलाहाबाद- ब्8 डिग्री

नागपुर- ब्म् डिग्री

कोटा- ब्8 डिग्री

हैदराबाद- ब्भ् डिग्री

अहमदाबाद- ब्म् डिग्री

फैक्ट फाइल

-निजी संपत्ति पर लगे पेड़ काटने पर सजा- चार हजार रुपए जुर्माना

-सरकारी संपत्ति पर लगे पेड़ा काटने पर सजा- एफआईआर सहित जुर्माना

- पिछले दो महीने में वन विभाग ने पेड़ों की अवैध कटाई पर क्म् जगहों पर छापे मारकर भ्भ् हजार रुपए जुर्माना वसूलने के साथ क्क् लोगों पर एफआईआर दर्ज की है।

वन विभाग के आंकड़ों से बेहतर है कि आप सेटेलाइट पर फारेस्ट एरिया देखिए। यह लगातार कम होता जा रहा है। पिछले दस सालों में मौसम में हुए असामान्य बदलाव का यही मेन रीजन रहा है। अगर यही हाल रहा तो तापमान में अधिक बढ़ोतरी हो सकती है। अगर विकास के नाम पर पेड़ों की कटाई हो रही है तो इनके बदले में प्लांटेशन करने के साथ उनकी मॉनीटरिंग भी की जानी चाहिए।

डॉ। एआर सिद्दीकी, ज्योग्राफी डिपार्टमेंट, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी

कुंभ मेले से पहले सड़कों के चौड़ीकरण को लेकर पेड़ों की कटाई हुई थी लेकिन इनके बदले में कई गुना अधिक प्लांटेशन भी किया गया है। हालांकि इलाहाबाद-लखनऊ रोड पर अभी पौधे लगाए जाने अभी बाकी हैं। हमारी ओर से पौधों की मॉनीटरिंग भी जारी है। इसकी रिपोर्ट अभी मौजूद नहीं है, जल्द ही उपलब्ध करा दी जाएगी।

एनबी सिंह, अपर सांख्यिकी अधिकारी, वन विभाग