1 - सीएम योगी आदित्यनाथ का निर्देश, 50 माइक्रोन तक के प्लास्टिक प्रोडक्ट्स पर पूरी तरह से पाबंदी

- सूबे के 653 नगर निकायों में कड़ाई से किया जायेगा लागू

LUCKNOW :

15 जुलाई से 653 नगर निकायों में 50 माइक्रोन तक की प्लास्टिक और उससे बने उत्पादों को पूरी तरह से बैन किया जाएगा। उन्होंने नगर विकास विभाग को कार्य योजना तैयार करने को कहा है। सोमवार को स्वच्छता सर्वेक्षण-2018 में शानदार प्रदर्शन करने वाले नगर निकाय, नगर पालिका और पंचायतों के अधिकारियों के सम्मान समारोह में सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसका निर्देश दिया। साफ है कि पॉलीथिन के साथ ही प्लास्टिक से बने डिस्पोजल कटोरी, ग्लास, चम्मच, आदि भी बैन होंगे। इतना ही नहीं, ओडीएफ, स्मार्ट सिटी, पीएम आवास आदि योजनाओं के हाल से नाराज सीएम ने अधिकारियों को संकेत दे दिए हैं कि समय रहते 30 सितंबर तक प्रदेश ओडीएफ घोषित नहीं हु्आ तो जिम्मेदारों को अलग तरह से सम्मानित किया जाएगा।

दो साल पहले पॉलीथिन पर लगी थी रोक

प्लास्टिक हर तरह से पर्यावरण के लिए खतरनाक है। यह करीब 400 से 1 हजार वर्षो तक नष्ट नहीं होती। इसके खतरों को देखते हुए दो वर्ष पहले प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पॉलीथीन या प्लास्टिक बैग पर रोक लगा दी थी, लेकिन नगर निगमों और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की लापरवाही के चलते यह रोक प्रभावी नहीं हो सकी। यूपी में बैन लागू होने के कुछ माह तक ही नगर निगम के अधिकारियों ने अभियान चलाया और पॉलीथीन जब्त की। लेकिन कार्रवाई का अधिकार न मिलने और शिक्षित नियमों के कारण अधिकारी कार्रवाई से बचने लगे। लखनऊ नगर निगम ने 400 कुंतल के करीब पॉलीथीन जब्त की जो अब भी गोदामों में पड़ी है। उसका क्या किया जाना है और जिन लोगों के पास से पकड़ी गई उन पर क्या कार्रवाई हो इस पर ठोस निर्देश शासन ने जारी नहीं किए। जिन फैक्ट्रियों को बंद कराया गया था वे आज फिर से धड़ल्ले से खुल गई और हजारों टन पॉलीथीन हर वर्ष बनाकर मार्केट में बेच रही हैं।

सही निस्तारण जरूरी

वैज्ञानिकों के मुताबिक पॉलीथीन बैग, बोतल या कोई भी प्लास्टिक का सामान उसका सही निस्तारण किया जाना जरूरी है। उसे दोबारा कंपनियों में रिसाइकिल करने के लिए भेजा जाएगा। जिनसे दोबारा कपड़े, कारपेट, बैग व अन्य सामान बनाया जा सकता है। सड़को को बनाने में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है जिससे वे अधिक टिकाऊ होती हैं। प्रदेश सरकार भी इनके सही निस्तारण के लिए सड़क बनाने में इस्तेमाल करने का प्रयास कर रही है।

राजधानी का हाल

- हर रोज डेढ़ सौ मीट्रिक टन से अधिक निकता है प्लास्टिक वेस्ट

- हर घर में रोजाना पहुंचते हैं 10 से 12 पॉलीबैग

- राजधानी और आस पास के इलाकों में प्लास्टिक और पॉलीथिन बनाने वाली करीब 2000 यूनिट्स

- एक साल में करीब 1200 मीट्रिक टन प्लास्टिक के प्रोडक्ट्स का उत्पादन

- शहर की 45 लाख से ऊपर की आबादी साल भर में करीब 40 करोड़ पॉलीबैग्स का उपयोग कर सड़क पर फेंक देती है।

मिलकर पॉलीथिन से लड़ें

- बाजार में सामान लेने जाते समय अपना कपड़े का बैग लेकर जाएं।

- खाने या सामान के लिए कपड़े का बैग ही प्रयोग करें

-अपना पानी खुद साथ लेकर लें, प्लास्टिक बोतल न खरीदे

-प्लास्टिक के बर्तनों का प्रयोग न करें

-सड़कों पर पड़े प्लास्टिक सामान को कूड़ेदान में डालें

प्लास्टिक से ऐसे निपट रहे देश

- अफ्रीकी देश रवांडा में 2008 से ही प्लास्टिक बैग मुक्त हो चुका है

- फ्रांस में प्लास्टिक बैन को 2016 में बना कानून, 2022 तक प्लास्टिक पूरी तरह से बैन करने की तैयारी

- चीन 2008 में ही प्लास्टिक बैग पर बैन लगाया, दो वर्ष यूज आधा हो गया।

- स्वीडन प्लास्टिक बेस्ट रिसाइकिलिंग के लिए जाना जाता है। बैन की बजाए प्लास्टिक को अधिक रिसाइकिल करने के लिए कानून बनाया है।

- आयरलैंड ने 2002 में ही प्लास्टिक बैग्स पर टैक्स लगा दिया, एक हफ्ते के अंदर ही 94 फीसद प्लास्टिक बैग प्रयोग में कमी आ गई।

महीनों से सफाई नहीं हुई

गोमतीनगर विस्तार सेक्टर-7 के नगरीय प्रशिक्षण एवं शोध केंद्र व स्थानीय निकाय निदेशालय के सभागार में स्वच्छ भारत मिशन की बदहाल स्थिति को लेकर सीएम ने तंज भी कसा। उन्होंने कहा कि अगर हम किसी भी शहर, जिले में जाएं और इसकी जानकारी पहले से दे दी जाए तो वहां पर साफ सफाई हो जाती है। लेकिन स्थिति यह है कि अगर हम बिना बताए पहुंच जाएं तो ऐसा लगता है महीनों से सफाई नहीं हुई है। गाजियाबाद, अलीगढ़, कानपुर, झांसी और बिजनौर ने बेहतर काम किया है।

यूपी का मतदाता बोलता कम, जवाब ज्यादा देता है

सीएम ने कहा कि यूपी का मतदाता जागरूक है, वो बोलता कम है और जवाब ज्यादा देता है। जरूरी है कि जनता को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। शुद्ध पेयजल, बेहतर सड़क, फेरी नीति को लागू किया जाना, ट्रैफिक पर फोकस, स्ट्रीट लाइट पर ध्यान दिया जाना जरूरी है। जनप्रतिनिधियों को इस तरफ ध्यान देना होगा। मेयर-नगर आयुक्त रोज सुबह-शाम एक-एक घंटा अपने-अपने शहर का निरीक्षण करें। फिर देखिए शहर का कितना विकास होता है।

शहर में बने सिर्फ 5 लाख 35 हजार टॉयलेट

ओडीएफ की बदहाल स्थिति बयां करते हुए सीएम ने कहाकि शहरों के मुकाबले गांव में अधिक संख्या में टॉयलेट बने हैं। गांवों में जहां 72 लाख के करीब टॉयलेट बने हैं, वहीं शहरों का आंकड़ा सिर्फ 5 लाख 35 हजार है। आखिर हम कहां जा रहे हैं। अभी शहर में 3 लाख 15 हजार टॉयलेट और बनने हैं। कैसे बनेंगे, यह ध्यान देना होगा। जिम्मेदार लाभार्थियों से सिर्फ यह न कहें कि शासन से पैसा आने पर दिया जाएगा, बल्कि अधिकारी उद्यमियों और व्यापारियों से संपर्क कर इस दिशा में कदम बढ़ाएं।

पीएम आवास में तो रुचि नहीं

सीएम ने कहा कि लगता है पीएम आवास के निर्माण में नगर निकायों की रुचि नहीं है। शहरी क्षेत्रों में करीब 14 लाख लोगों को आवासीय सुविधा दी जानी है। स्मार्ट सिटी की बात की जाए तो सिर्फ बनारस में कुछ काम हुआ है, शेष नौ शहरों में अभी कार्य योजना ही बन रही है। नगर निकायों को खुद भी निर्णय लेने होंगे, सिर्फ शासन पर निर्भरता ठीक नहीं है। आय बढ़ाने के लिए निकाय फेरी नीति और ऑनलाइन टैक्स सिस्टम पर जोर दें।

घोटाला हुआ नहीं, बल्कि बचाया

एलईडी लाइट को लेकर सीएम ने कहाकि ईईएसएल कंपनी फ्री में प्रदेश भर में एलईडी लाइट लगा रही है। सात साल तक कंपनी ही मेंटीनेंस भी करेगी। कुछ दिन पहले एक मेयर ने सवाल उठाया था कि इसमें बड़ा घोटाला हुआ है, जबकि मैं साफ कर दूं कि घोटाला हुआ नहीं बल्कि बचाया है। सीएम ने यह भी कहाकि यह राजधानी है लेकिन यहां भी काफी ध्यान दिए जाने की जरूरत है।

हर हाल में गंदगी खत्म करें

सीएम ने कहाकि सभी नगर निकाय मिलकर गंदगी पर वार करें। उन्होंने उदाहरण देते हुए 15 जुलाई के बाद पूर्वी यूपी में दिमागी बुखार से फिर से मासूमों की मौत होना शुरू हो सकती है। इसकी वजह बनेगी गंदगी। जरूरी है कि अभी से ही साफ सफाई अभियान पर जोर दिया जाए। उन्होंने सालों से जमे बाबुओं को हटाए जाने की बात भी कही।

अब एक छत के नीचे तीन ऑफिस

नगरीय प्रशिक्षण एवं शोध केंद्र व स्थानीय निकाय निदेशालय का लोकार्पण होने के बाद अब अमृत योजना, नमामि गंगे और स्वच्छ भारत मिशन के कार्यालय एक ही छत के नीचे आ गए हैं।