-प्लास्टिक बोतल की जगह शीशे के गिलास का किया जाएगा यूज

-पीईटी का ढक्कन रीसाइकिल नहीं हो पाता, जिससे बनता है डेंजरस

PATNAs@inext.co.in

PATNA: एक तरफ जहां तमाम मीटिंग में प्लास्टिक बोतल बंद पानी दिखता है, वहीं दूसरी ओर वन एवं पर्यावरण डिपार्टमेंट ने बड़ा कदम उठाया है। डिपार्टमेंट ने डिसाइड किया है कि विभागीय बैठकों में पीईटी बोतलों का यूज नहीं किया जाएगा। विभाग की ओर से प्रिंसिपल सेक्रेटरी विवेक कुमार सिंह ने ख् दिसंबर को एक पत्र प्रधान मुख्य वन संरक्षण, बिहार को लिखते हुए यह कहा है। विवेक सिंह ने कहा है कि ब्0 माइक्रोन से कम मोटाई के प्लास्टिक थैलों पर तो वैधानिक रूप से बैन लगाया जा चुका है, पर पीईटी बोतलों का उपयोग अभी भी धड़ल्ले से हो रहा है, जिसे सीमित किया जाना पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से अत्यावश्यक है।

लेटर में कई और खतरे गिनाए गए हैं :-

-पीईटी बोतलों का उपयोग, मनुष्य के लिए आर्थिक, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण कारणों से निश्चय ही हानिकारक है।

-पीईटी बोतलों के निर्माण में बिस्फएनॉल ए (बीपीए) नामक रसायन का प्रयोग होता है, जो मानव ग्रंथियों के लिए नुकसानदेह बताया गया है।

-पीईटी बोतलों के ढक्कन रीसाइकिल नहीं हो पाते हैं। इसे जानवरों के द्वारा खाये जाने से उनकी जान को खतरा रहता है। हर साल प्लास्टिक खाने से क्0 लाख से ज्यादा पशु, पक्षी और मछलियों की मौत होती हैं।

-एक पीईटी बोतल के निर्माण से म् किलो सीओ टू का उत्सर्जन वायुमंडल में होता है। इसके अतिरिक्त एक लीटर पीईटी बोतल के निर्माण में करीब पांच लीटर पानी का अलग से प्रयोग होता है।

- विश्व के कुल तेल खपत का लगभग म् परसेंट सिर्फ प्लास्टिक निर्माण में होता है।

- कुल कचरे का ब्-भ् परसेंट भाग प्लास्टिक का होता है। यही कचरा बिखर कर नालियों में इकट्ठा होता है, जो नालियों, गटरों सीवेज डिस्पोजल पाइपों में अवरोध पैदा करता है।

-स्पष्ट है कि पीईटी बोतलों का उपयोग मनुष्य, समाज और पर्यावरण तीनों के लिए हानिकारक है। एक पीईटी बोतल का वजह औसतन फ्0 ग्राम होता है। अगर क्00 व्यक्तियों की मीटिंग में पीईटी बोतल का इस्तेमाल किया गया, तो केवल पीईटी बोतल मात्र से क्8 किलो सीओटू का उत्सर्जन होगा। तीन किलो नॉन बायो-डिग्रेडिएबल कचरे का उत्पादन होगा और भ्00 लीटर अतिरिक्त पानी का अनावश्यक व्यय होगा।

- पत्र के अंत में कहा गया है कि प्रारंभिक तौर पर पर्यावरण के हित को ध्यान में रखते हुए विभागीय बैठकों में पीईटी बोतलों का इस्तेमाल नहीं किया जाए। इसकी जगह फ्लास्क और शीशे के गिलास का उपयोग करने की बात कही गई है।

यह पर्यावरण को बेहतर रखने व सुरक्षा के नजरिए से उठाया गया हमारा छोटा-सा कदम है। इससे और डिपार्टमेंट्स भी प्रेरणा लें, तो अच्छी बात है। लोगों को भी इस बात को समझने की जरूरत है। जानकारी के अभाव में लोग ऐसे बोतलों का धड़ल्ले से यूज कर रहे हैं।

- विवेक कुमार सिंह, प्रिंसिपल सेक्रेटरी, वन एवं पर्यावरण डिपार्टमेंट