- हर खुले नाले के पानी में जा रहा है घर का कचरा

- नाले के किनारे बसे लोगों की गलती का खामियाजा उठा रहे हैं पटनाइट्स

- बड़े नालों और मैनहोल के पानी को एक मीटर भी सरकने नहीं देता है पॉलीथिन

PATNA : पिछले दो साल से नगर निगम कई बार पॉलीथिन के यूज पर बैन लगाने की बात कर चुका है। अभियान चलाकर फाइन भी करता रहा है, लेकिन इसका असर कुछ नहीं दिख रहा है। निगम को पता है कि पॉलीथिन आने वाले दिनों में कितनी मुसीबत खड़ी करने वाली है। निगम के स्टाफ्स जब शहर की सफाई और नाला उड़ाही शुरू करते हैं तो उन्हें सबसे पहले पॉलीथिन का ही सामना करना पड़ता है। कई बार नाला उड़ाही करने के दौरान पता चलता है कि कई लीटर सीवरेज पानी कचरे की वजह से ही फंसा था। नगर निगम कमिश्नर कुलदीप नारायण ने बताया कि खुले नाले का यूज लोग अमूमन कचरे डालने के रूप में कर रहा है। लोग कचरे को पॉलीथिन में रखकर नाला में ही फेंक देते हैं जिससे पॉलीथिन सीधे जमीन में बैठ जाता है और वो सीवरेज पाइन लाइन को पूरी तरह से चॉक्ड कर देता है।

कचरा उठाओ नाला में फेंको

शहर के नौ बड़े नालों पर अगर गौर करें तो इन नालों के एक किनारे में मार्केट और दूसरे किनारे डेंस पॉपुलेशन है। घरों या शॉप्स से जो भी कचरा निकलता है वो सीधे नाले में डाल दिया जाता है। इतना ही नहीं सरपेंटाइन नाला, आनंदपुरी नाला, बाकरगंज नाला, कुर्जी नाला में तो हर सुबह और शाम बची और खराब सब्जी को सीधे नाला में डालकर लोग चले जाते हैं। यही हाल घर के कचरे के साथ भी करते हैं। सब्जी, पॉलीथिन, घर का कचरा आपको नाला में बहते हुए आसानी से दिख जाएगा। धीरे-धीरे यह शिल्ट के रूप में जमीन पर जमने लगता है और नालों के नीचे से बहने वाले पानी को पूरी तरह रोक देता है। पॉलीथिन सिर्फ नालों में ही नहीं फेंका जा रहा है बल्कि मैनहोल, कैचपिट भी पॉलीथिन से पूरी तरह ढंका है। इस वजह से पानी मैनहोल में फंसकर रह जाता है।

हर सामान में पॉलीथिन का यूज

सब्जी से लेकर कपड़े की खरीदारी तक में हर जगह पॉलीथिन का यूज हो रहा है। सोर्सेज की मानें तो सिर्फ छोटे पॉलीथिन की सेलिंग पचास क्विंटल से कम नहीं है। ये पॉलीथिन जेनरल यूज में हर दिन पटनाइट्स करते हैं। पॉलीथिन के डिस्पोजल नहीं होने से निगम के लिए सफाई के बाद भी इसे कहीं रखना मुसीबत से कम नहीं है। सोशल एक्टिविस्ट गुड्डु बाबा ने बताया कि पॉलीथिन से नाला ही नहीं बल्कि शहर की गंगा भी मैली हो रही है, क्योंकि नाला का पानी भी तो गंगा में ही गिराया जा रहा है।

मैनहोल से निकल चुके हैं प्लास्टिक के जूते-चप्पल

निगम की ओर से अशोक राजपथ एरिया में मैनहोल की सफाई कर रहे पंकज ने बताया कि मैनहोल की सफाई के दौरान सिर्फ प्लास्टिक और रबर के चप्पल, पॉलीथिन निकाला गया। इसके बाद इस एरिया के पानी का निकासी हो पाया।

लकड़ी से सीवरेज की अधूरी होती सफाई

सीवरेज में पॉलीथिन फंसने की वजह से कई एरिया में जलजमाव की प्राब्लम अचानक बढ़ जाती है। ऐसे में आज भी लकड़ी से ही इसकी सफाई होती है। निगम के स्टाफ बताते हैं कि उससे सफाई करने से कोई फायदा नहीं होता है क्योंकि लकड़ी डालने से प्लास्टिक फटकर साइड में चिपका रह जाता है और कुछ दिनों बाद फिर से सीवरेज को चोक कर देता है। आनंदपुरी के रहने वाली माला ने बताया कि मैनहोल में पॉलीथिन की वजह से हर महीने सफाई करवानी पड़ती है।