यह सब बातें हम इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि आज खेल दिवस है। खेल दिवस मेजर ध्यानचंद के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। लोग आज भी बहुत बातें करते हैं, हमारे देश में सुविधाएं नहीं है, संसाधन नहीं हैं। इसी को जवाब देते हुए आज आई नेक्स्ट आपको ऐसे खिलाडिय़ों की हकीकत से रूबरू कराएगा। जिन्होंने संसाधनों की कमी में भी खेला तो सिर्फ देश के लिए। इनकी शख्सियत इतनी बड़ी है कि शब्दों में बयां नहीं की जा सकती।

मेजर ध्यानचंद

ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है। 1928, 1932, 1936 ओलंपिक में उन्होंने भारत को लगातार गोल्ड दिलवाए। दद्दा की  स्टिक से अगर एक बार गेंद फंस गई तो उसका निकलना मुश्किल था। उन्होंने जर्मनी के तानाशाह हिटलर को भी अपना कायल बना दिया।

मिल्खा सिंह

मिल्खा सिंह 400मी। के जबरदस्त एथलीट हैं। नेशनल गेम्स के दौरान जब कुछ विरोधियों ने उनके पैरों में चोट पहुंचाई, तो उनकी हालत दौडऩे लायक नहीं थी। मिल्खा दौड़े और ऐसा दौड़े कि उन्होंने नेशनल रिकॉर्ड बना दिया। उन्होंने 1958 कॉमनवेल्थ गेम्स में 45.8 में दूरी तय करके विश्व रिकॉर्ड कायम किया।

प्रकाश पादुकोण

प्रकाश पादुकोण अपने समय में विश्व रैकिंग में नंबर वन शटलर रहे हैं। इस खिलाड़ी में गजब का स्टेमिना था। उन्होंने अपने स्टेमिना की बदौलत ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप जीती, ऐसा करने वाले वो पहले भारतीय बने।

सचिन तेंदुलकर  

सचिन ने हमेशा अपने विरोधियों को अपने बल्ले से जवाब दिया। जब उनका सेलेक्शन रणजी के लिए हुआ तो उन्हें पूरे सीजन मौका नहीं दिया गया। इसके बाद उन्होंने गुजरात के खिलाफ डेब्यू मैच में ही शतक ठोंक डाला, जो अब तक सबसे कम उम्र में डेब्यू मुकाबले में बनाया गया घरेलू शतक का रिकार्ड है।  

विश्वनाथन आनंद

विश्वनाथन आनंद  देश के बेहतरीन शतरंज खिलाड़ी हैं। मेंटल लेवल से इतने स्ट्रांग कि अपनी चालों से दुनिया के खिलाडिय़ों की बोलती बंद कर दें।

एमसी मैरीकॉम

एक शादीशुदा महिला ने अपने बॉक्सिंग करियर में ऐसा धमाल मचाते हुए एक मिसाल बन गई। मैरीकॉम विश्व की अकेली ऐसी महिला बॉक्सर हैं, जिन्होंने लगातार पांच विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया है। अपने खेल के साथ उन्होंने अपने परिवार पर भी पूरा ध्यान दिया और देश को लंदन ओलंपिक में ब्रांज मेडल दिलाया।

इनसे हुआ खेल जगत को नुकसान

डोपिंग

हमारे देश में खिलाड़ी जितना आगे बढ़ रहे हैं। उतना ही डोपिंग का जाल फैल रहा है। ऐसा जाल जो खिलाडिय़ों को तबाह कर रहा है। नशे में खिलाड़ी अपना करियर बर्बाद कर रहे हैं। सीख लेनी है तो मिल्खा सिंह से लीजिए, जिन्होंने अपनी जिद के दम पर वो करके दिखाया जो उन्होंने सोचा था।

फिक्सिंग और गुस्सा

क्रिकेट जैसे खेल में खिलाडिय़ों को भरपूर पैसा दिया जा रहा है। फिर भी अक्सर इस खेल की गरिमा कुछ चंद खिलाड़ी खराब कर रहे हैं। फिक्सिंग में लिप्त होकर क्या मिल जाएगा? सचिन को देखिए, जिनके 25 साल के करियर पर कोई उन पर एक उंगली नहीं उठा सका।

भ्रष्टाचार

एक खिलाड़ी को आगे बढ़ाने के लिए रिश्वत, चयन पर रिश्वत। यही सब तो होता है भारतीय खेलों में। भ्रष्टाचार पर लगाम लगानी है तो आपको खुद को सुधारना होगा। क्यों दे रिश्वत। मेजर ध्यानचंद ने अपने जुनून के दम पर ही दुनिया भर को अपना लोहा मनवाया।

 

राजनीति

भारतीय खेलों में हमेशा से ही राजनीति हावी रही है। खिलाड़ी हो या फिर खेल संघ हमेशा से ही कुछ ना कुछ बवाल कराते आए हैं। अगर राजनीति ही करनी है तो अच्छे के लिए करिए। देश को मेडल जीताने के लिए करिए.  

हाय संसाधन

अपने देश के खिलाड़ी संसाधनों का रोना रोते आए हैं। लेकिन कभी ये नहीं सोचा कि जब हमारे महान खिलाडिय़ों ने मेडल जीते तो उस वक्त कितने संसाधन हुए होंगे। संसाधनों का ही रोना रोना है तो जरा एक बार महिला बॉक्सर मैरीकॉम के बारे में सोचिए। नार्थ ईस्ट में पली बढ़ी मैरीकॉम ने किन हालातों में अपने सपनों को पूरा किया।

"खिलाड़ी बेहतर हैं उन्हें बस तराशने की जरूरत होती है। कई खिलाड़ी बहक जाते हैं तो कुछ आगे निकल जाते हैं."

-राजाराम, एथलेटिक्स कोच

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