- यूनिवर्सिटी में खेल सुविधाओं के लिए स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट ने बना रखा है 25 करोड़ का प्रपोजल
- कवरिंग लेटर देने में आना-कानी कर रहे हैं यूनिवर्सिटी के जिम्मेदार
-खिलाडि़यों को मिल सकती है कई गेम्स की सौगात और फैसिलिटी
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syedsaim.rauf@inext.co.in
GORAKHPUR: खेल को बढ़ावा देने के लिए सरकार हर इंतजाम कर रही है, लेकिन लोकल लेवल पर अधिकारी खेल के साथ 'खेल' कर दे रहे हैं। ताजा वाकया दीनदयाल उपाध्याय यूनिविर्सिटी का है। गोरखपुर यूनिवर्सिटी के लिए खेल सौगातों का पिटारा तैयार करने के बाद रीजनल स्पोर्ट्स ऑफिसर ने इस संबंध में एक लेटर यूनिवर्सिटी को भेजा है। एक हफ्ते बीत चुके हैं, लेकिन सिर्फ 700 मीटर की दूरी पर मौजूद यूनिवर्सिटी के जिम्मेदारों को अब तक यह लेटर नहीं मिल सका है। वहीं, स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट दावे से कह रहा है कि उन्होंने इस लेटर को भिजवा दिया है। इसकी ऑफिस कॉपी फाइल में भी है। मगर डीडीयूजीयू के जिम्मेदार न जाने किस वजह से कतरा रहे हैं।
'खेलो इंडिया' के तहत फैसिलिटी
स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने और देश में मेडल्स की बरसात करने के इरादे से केंद्र सरकार ने खेलो इंडिया मुहिम स्टार्ट की है। इसके तहत बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराने पर यूनिवर्सिटीज को बाकी जरूरी फैसिलिटीज, स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) मुहैया करा रहा है। गोरखपुर यूनिवर्सिटी में खिलाडि़यों को बेहतर फैसिलिटीज मिल सके, इसके लिए रीजनल स्पोर्ट्स ऑफिस की ओर से 25 करोड़ का प्रपोजल तैयार किया गया है। इसमें खिलाडि़यों के लिए कई स्पोर्ट्स के लिए ट्रेनिंग सेंटर खुलेंगे।
सिर्फ जगह देंगे और मिलेंगी सौगातें
- सिंथेटिक ट्रैक
- बास्केटबॉल
- फुटबॉल
- एस्ट्रोटर्फ
- मल्टीपरपज जिम
कोच और खर्चा भी
इतना ही नहीं खिलाडि़यों का अगर किसी इवेंट में पार्टिसिपेट करने के लिए सेलेक्शन होता है तो इसका भी सारा खर्च अथॉरिटी ही उठाएगी। खिलाडि़यों को एनआईएस कोच स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) मुहैया कराएगा।
35 साल में सिफर् 40 मेडल
गोरखपुर यूनिवर्सिटी में खेलों की हालत काफी खराब है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1982 से अब तक 35 साल में यूनिवर्सिटी के खाते में महज 40 मेडल हैं। जबकि यूनिवर्सिटी की टीम हर साल इंटर यूनिवर्सिटी कॉम्प्टीशन में हिस्सा लेती है।
कुल मेडल- 40
गोल्ड मेडल- 06
कुश्ती- 03
एथलेटिक्स- 3
सिल्वर मेडल- 8
कॉलिंग
यूनिवर्सिटी में अगर बेहतर ट्रेनिंग फैसिलिटी हो, तो यूनिवर्सिटी के खाते में मेडल्स की बरसात हो, लेकिन फैसिलिटी न होने की वजह से स्टूडेंट्स कमाल नहीं दिखा पाते हैं।
- संदीप शुक्ला, एथलीट
अगर यूनिवर्सिटी में फैसिलिटी मिलेगी, तो स्टूडेंट्स को इधर-उधर जाकर ट्रेनिंग नहीं करनी पड़ेगी। इससे यूनिवर्सिटी के खाते में मेडल्स भी बढ़ेंगे।
- विक्रम त्रिपाठी, फुटबॉल प्लेयर
यूनिवर्सिटी में कभी भी बेहतर स्पोर्ट्स फैसिलिटी नहीं रही है। पिछले साल कुछ स्पोर्ट्स इक्विपमेंट्स मिले हैं, लेकिन उसका इस्तेमाल सिर्फ एनुअल स्पोर्ट्स में ही होता है। एक स्टेडियम बन रहा है जो काफी दिनों से बन नहीं सका है।
- शेषनाथ, एथलीट
जिम्मेदार यह कहते हैं
साई के डायरेक्टर से मेरी मुलाकात नहीं हुई है, लेकिन यह मालूम हुआ था कि अगर हम जमीन देते हैं, तो वह बाकी फैसिलिटी प्रोवाइड कराएंगे। इसके लिए अगर वह यूनिवर्सिटी को डिमांड लेटर भेजे, तो वीसी की परमिशन से एग्जिक्यूटिव काउंसिल की मीटिंग में प्रपोजल पास करवाया जा सकता है। लेकिन इसके लिए पहले स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट प्रपोजल भेजे।
- शत्रोहन वैश्य, रजिस्ट्रार, डीडीयूजीयू
यूनिवर्सिटी को एक हफ्ते पहले ही लेटर भेजा जा चुका है। वहीं उनकी तरफ से 25 करोड़ का एक प्रपोजल भी तैयार करके रखा हुआ है। जितनी जल्दी जिम्मेदार लेटर देंगे, उतनी जल्दी हम इसे साई को फॉर्वर्ड कर देंगे। अगर यूनिवर्सिटी को लेटर नहीं मिला है, तो मैं अभी आउट ऑफ स्टेशन हूं, आते ही दोबारा लेटर की कॉपी मुहैया करा दूंगा।
- अरुणेंद्र पांडेय, रीजनल स्पोर्ट्स ऑफिसर
साई की खेलो इंडिया मुहिम के लिए साई के डायरेक्टर से मुलाकात हुई है। इस संबंध में बात भी हुई है, लेकिन अभी हमें कोई आधिकारिक लेटर नहीं मिला है। जैसे ही लेटर मिलेगा, वैसे ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। हमारी कोशिश है कि यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स को भी बेहतर स्पोर्ट्स फैसिलिटी मुहैया कराई जा सके।
- विजय चहल, सेक्रेटरी, स्पोर्ट्स काउंसिल, डीडीयूजीयू