जमकर बहा रहे पसीना

23 जुलाई से तीन अगस्त 2014 तक स्कॉटलैण्ड के ग्लास्गो में कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन होना है। इसमें स्विमिंग, एथलेटिक्स, बैडमिंटन, बॉक्सिंग, साइकिलिंग, जिमनास्टिक, हॉकी, जूडो, शूटिंग, स्क्वैश, टेबल टेनिस, वेट लिफ्टिंग, कुश्ती समेत तमाम गेम्स में पदक के लिए खिलाडिय़ों के बीच मशक्कत होगी। इंडिया भी लगभग सभी खेल में अपनी चुनौती पेश करेगा। जल्द ही टीम का सेलेक्शन भी किया जाएगा। टीम में अपनी जगह बनाने के लिए प्लेयर्स जमकर पसीना बहा रहे हैं। इंटरनेशनल लेवल पर अपनी पहचान रखने वाले बनारस की सरजमीं से जुड़े प्लेयर भी खूब मेहनत कर रहे हैं। अभी उनका पूरा फोकस टीम में जगह बनाने पर है।

स्वाति की नजर सोने पर

बनारस के बलुआबीर में रहने वाली वेटलिफ्टर स्वाति सिंह कॉमनवेल्थ 2014 में मेडल की प्रबलतम दावेदार हैं। दिल्ली में 2010 में हुए कॉमनवेल्थ गेम भी 53 केजी वेट कैटेगरी में देश का प्रतिनिधित्व कर रही थीं लेकिन ऐन वक्त पर इंजरी की वजह से मेडल से दूर हो गयी थीं। पिछली बातों को भूलकर भविष्य की तैयारियों में जुट गयी हैं। पूर्वोत्तर रेलवे में कार्यरत स्वाति के लिए ग्लास्गो में गोल्ड मेडल जीतना मुख्य लक्ष्य है। लखनऊ में साई कोच जीपी शर्मा के साथ जमकर तैयारी कर रही हैं। वह बेहद कॉन्फिडेंट हैं, कहतीं हैैं कि दिल्ली में पदक से चूक गयी थी लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। स्वाति कहती हैं कि मेरी तैयारी अच्छी चल रही है। मेरा ध्यान इस समय सीनियर नेशनल में गोल्ड मेडल हासिल करके स्कॉटलैंड का टिकट हासिल करना है।

अबकी सोने पर साधेंगे निशाना

देश में तीरंदाजी की बात होती है तो ऋतुल चटर्जी का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। बनारस का यह खिलाड़ी दिल्ली कॉमनवेल्थ में इंडिया का सबसे छोटे उम्र का खिलाड़ी था। अपनी प्रतिभा के बल पर सिल्वर मेडल भी जीता था। इस बार ऋतुल को इससे कुछ अधिक करने के मूड में हैं। बंगलुरु में जमकर अभ्यास कर रहे हैं। केदारघाट निवासी एक मीडियम क्लास फैमिली के ऋतुल के उपलब्धियों की लिस्ट काफी लम्बी है। विशेष तौर पर विजयवाड़ा में हुई मिनी जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में दो सिल्वर्स व एक बॉन्ज मेडल हासिल करना खासा चर्चा का विषय रहा। ऋतुल भी अपने प्रदर्शन के प्रति काफी आश्वस्त हैं। वे कहते हैं कि मेरा पूरा ध्यान अपने खेल को इम्प्रूव करने में लगा है। इसके लिए कोच के साथ जमकर मेहनत करता हूं। वह कहते हैं कि मेरा खेल जितना बेहतर होगा स्काटलैंड में मेडल हासिल करने के मौके उतने अधिक होंगे।

हर बाधा पार करेगी प्रियंका

 3000 मीटर स्टीपलचेज में प्रियंका पटेल की तैयारी जबरदस्त है। वह भोपाल में घंटों रियाज कर रही हैं। मिर्जामुराद के बभनियांव (कण्ठेपुर) की रहने वाली प्रियंका स्कूल से डिस्ट्रिक्ट, जोनल, स्टेट और फिर नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी हैं। 2010 में दिल्ली में भी देश की ओर से चुनौती पेश की थी। गांव की एक सीधी-साधी लड़की के लिए सीडब्ल्यूजी तक का सफर ईजी नहीं था। अपनी मेहनत और लगन के बदौलत सारी बाधाओं से पार पा लिया। वह सेंट्रल रेलवे नौकरी करते हुए जबरदस्त तैयारी कर रही हैं। कहती हैैं कि मौका मिला तो स्कॉटलैण्ड में अपना बेस्ट करूंगी और देश के लिए मेडल हासिल करूंगी। प्रियंका कहती हैं कि अब चोट से उबर चुकी हैं। ज्यादा से ज्यादा वक्त ग्र्राउंड पर दे रही हूं। कॉमनवेल्थ क्वालीफाइंग मुकाबले में चुनौती मिलेगी लेकिन उन्हें यकीन है कि स्काटलैंड का टिकट हासिल कर लेंगी।

ग्लास्गो में दहाड़ेगा नरसिंह

दिल्ली कॉमनवेल्थ में कुश्ती में गोल्ड मेडल जीतने के बाद ओलम्पिक तक का सफर तय करने वाले पहलवान नरसिंह पंचम यादव भी ग्लास्गो के लिए जोरदार तैयारी कर रहे हैं। वह 74 केजी वेट कैटेगरी में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। उन्हें खुद पर काफी कॉन्फिडेंस है। साथ ही कुश्ती से जुड़ा हर शख्स उनके प्रदर्शन को लेकर आश्वस्त हैं। चोलापुर के नीम गांव के रहने वाले नरसिंह के पहलवानी की शुरुआत गांव से ही हुई थी। वक्त के साथ उनका खेल निखरता गया। उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया है। वह रेलवे में नौकरी करते हैं। नरसिंह जमकर पसीना बहा रहे हैं। कहते हैं कि इस तरह से मेहनत कर रहा हूं कि कॉमनवेल्थ में प्रदर्शन अच्छा हो। साथ ही अगले ओलम्पिक पर भी नजर है। पिछली बार मेडल चूक गया था लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा।
 
रन रामसिंह रन

चोलापुर के बभियांव गांव के रहने वाले राम सिंह ओलम्पिक में मैराथन में देश का प्रतिनिधित्व किया था। बेहद प्रतिभाशाली मैराथन धावक रामसिंह ने समर ओलम्पिक 2012 में शामिल होने के देश का मान बढ़ाया था। प्रतिष्ठित मुम्बई मैराथन 2012 में उनका प्रदर्शन शानदार रहा। ग्लास्गो कामनवेल्थ में उनके देश का प्रतिनिधित्व करने की काफी उम्मीद है। सेना में नौकरी रहने वाले रामसिंह फिलहाल पुणे में जमकर अभ्यास कर रहे हैं। उन्हें देशी-विदेशी कोच का मार्गदर्शन भी मिल रहा है। रामसिंह कहते हैं कि पूरा समय अपनी तैयारी पर दे रहा हूं। जिस ईवेंट में शामिल होने का मौका मिलेगा उसमें प्रदर्शन अच्छा रहेगा। बोलते हैं कि ओलम्पिक में मौका मिला तो वहां भी देश को मेडल दिलाने की कोशिश करेंगे।